Manikarnika Ghat: वाराणसी के इस घाट पर होती है मोक्ष की प्राप्ति, जानिए- भगवान शिव से जुड़ा इसका इतिहास
Manikarnika Ghat: यूपी का वाराणसी (Varanasi) शहर अपनी संस्कृति के अलावा घाटों के लिए भी जाना जाता है. यहां मौजूद सभी घाटों में से सबसे पुराना है मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat). कहा जाता है इस घाट पर जिसका अंतिम संस्कार होता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसका जिक्र पुराणों में भी किया गया है. तो अगर आप वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर घूमने के बारे में सोच रहे हैं तो उससे पहले इससे जुड़ी सभी बातें जान लें....
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View In Appवाराणसी में मणिकर्णिका घाट सिंधिया घाट और दशाश्वमेध घाट दोनों के बीच में स्थित है. इस मणिकर्णिका घाट का उल्लेख 5वीं शताब्दी के एक गुप्त अभिलेख में भी किया गया है और हिंदू धर्म में भी इसका बहुत सम्मान दिया जाता है.
वहीं बात करें तो घाट के नाम की तो इसका नाम मणिकर्णिका इसलिए पड़ा क्योंकि देवी आदि शक्ति जिन्होंने देवी सती का रूप लिया था. वो एक बार अपने पिता के अपमान की वजह से आग में कूद गईं थीं और जिसके बाद भगवान शिव उनके जलते शरीर को हिमालय तक ले गए.
वहां भगवान विष्णु ने भगवान शिव की दुर्दशा देखी तो उन्होंने अपना सुदर्शन चक्र देवी आदि शक्ति के जलते हुए शरीर पर फेंका दिया. जिसकी वजह से उनका शरीर 51 टुकड़े में बंट गया. इसके बाद उनके शरीर के टुकड़े घरती पर जहां भी गिरे उन्हें शक्तिपीठ घोषित किया गया था.
वहीं कहा जाता है कि इस दौरान मणिकर्णिका घाट पर माता सती की कान की बालियां गिरी थी. इसलिए इसे भी एक शक्ति पीठ के रूप में स्थापित कर इसका नाम मणिकर्णिका रख दिया गया. क्योंकि संस्कृत में मणिकर्ण का अर्थ है कान की बाली.
बता दें कि इस पर एक मणिकर्णिका कुंड भी है. जिसे भगवान विष्णु द्वारा बनवाया गया था. हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें तो जब एक बार भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ विष्णु के सामने उनकी एक इच्छा पूरी करने के लिए वाराणसी आए थे. तब भगवान विष्णु ने उनके स्नान के लिए गंगा तट पर एक कुआं खोदा था.
वहीं जब भगवान शिव इसमें स्नान करने लगे तो उनके कान की बाली से एक मणि कुएं में गिर गई. इसलिए इसे मणिकर्णिका कुंड कहा जाना लगा. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस घाट पर चिता की अग्नि कभी ठंडी नहीं होती है. वहीं लोगों का मानना है कि अगर कभी इस घाट पर चिताएं जलनी बंद हो गई तो वो दिन वाराणसी के लिए प्रलय का दिन का है. इन सभी चीजों की वजह से ये घाट वाराणसी का सबसे फेमस घाट है. जहां देश ही नहीं विदेश भी पर्यटक घूमने आते हैं.
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