In Pics: राम मंदिर निर्माण से बनारस की प्राचीन काष्ठ कला को मिली नई गति, महिलाओं को भी मिला रोजगार
बीते 4 से 5 वर्षों से बनारस की काष्ठ कलाकारी दुनिया भर में लोकप्रिय हो रही है. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है. राम मंदिर निर्माण से काष्ठ कला को नई गति मिली है.
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View In Appबनारस काष्ठ कलाकारी का केंद्र प्राचीन समय से रहा है. काष्ठ कला उद्योग से जुड़े व्यापारियों को राम की जीवनी पर अलग-अलग मॉडल बनाने के आर्डर मिल रहे हैं.
लाखों ऑर्डर मिलने से महिलाओं और मध्यम वर्गीय लोगों को भी रोजगार के बड़े अवसर प्रदान हुए हैं. व्यापारी रामेश्वर सिंह बताते हैं कि बनारस की काष्ठ कलाकारी को दुनिया में पसंद की जाती है.
उन्होंने कहा कि काष्ठ कला उद्योग से जुड़े व्यापारियों कते लिए गौरव का विषय है. विशेष तौर पर 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर उद्घाटन से पहले काष्ठ कला उद्योग में भारी उछाल देखने को मिला है.
प्रभु राम से जु़ड़े प्रसंगों पर अलग-अलग मॉडल बनाने के लिए लाखों आर्डर मिले हैं. अब तक 75 हजार लकड़ी से बने राम दरबार के ऑर्डर की सप्लाई हो चुकी है.
बढ़ती डिमांड को व्यापारियों के लिए पूरा करना मुश्किल हो रहा है. कारीगर दिन-रात काष्ठ कला से राम दरबार बनाने में जुटे हैं. रामेश्वर सिंह ने बताया कि बड़ी संख्या में ऑर्डर मिलने की वजह से कारीगरों की कमी हो गई.
इसलिए काम में सैकड़ों महिलाओं और मध्यम वर्गीय लोगों को लगाया गया है. काष्ठ कारीगरी रोजगार का बड़ा अवसर बनकर उभरा है. अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के बाद काष्ठ कला का कारोबार और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
विशेष प्रकार की लकड़ी से राम के मॉडल को बनाने में काफी मेहनत लगती है. बनाने से पहले विशेष लकड़ी को आकार दिया जाता है. लकड़ी की रंगाई पुताई भी की जाती है. रंगाई पुताई के बाद छवि अनुसार आकृति को तैयार किया जाता है.
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