समाज की तरह ही फिल्म जगत में भी पितृसत्तात्मक मानसिकता मौजूद है: तापसी
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तापसी आने वाली फिल्म ‘जुड़वा-2’ में दिखाई देंगी. उनका कहना है कि वह कमर्शियल और आर्ट सिनेमा के बीच बैलेंस बनाना चाहती हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘अब बहुत सी अभिनेत्रियां मुखर हो रही हैं. कम से कम अब वह सवाल उठाने लगी हैं मुझे पता नहीं कि किस बात के कारण वह अपने कदम पीछे खींच रही हैं, लेकिन हां...अब उन्होंने बोलना शुरू कर दिया है.’’
उन्हें को इस बात की खुशी है कि महिलायें अब ‘मुखर’ हो रही है और अपना दिमाग इस्तेमाल कर रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘कई बार मुझे लगता है कि क्या मुझे वाकई चालाक और तेज तर्रार होना चाहिये, क्योंकि इससे मुझे या मेरे कैरियर को फायदा होगा. लेकिन कई बार आत्म सम्मान के खातिर मुझे अपने कदम पीछे खींचने पड़ते हैं, जिसे बहुत से लोग अच्छा नहीं समझते हैं.’’
तापसी ने कहा, ‘‘एक अदाकारा होने के नाते, जो एक दृढ़ सोच समझ रखती है और जो आत्म-सम्मान नहीं छोड़ सकती है. कई बार मैं अपने आप से पूछती हूं कि क्या मैं अपने आत्म सम्मान से समझौता कर सकती हूं या क्या मुझे कुछ ऐसा करना चाहिये, जो मेरे कैरियर के लिहाज से बेहतर हो?
तेलगु फिल्म ‘झुमंदी नादम’ से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाली 30 साल की अदाकारा का कहना है कि समाज की तरह ही फिल्म जगत में भी पितृसत्तात्मक मानसिकता मौजूद है.
बालीवुड अदाकारा तापसी पन्नू को ‘पिंक’ ओर ‘नाम शबाना’ जैसी फिल्मों में जोरदार अभिनय के लिये फिल्म इंडस्ट्री की ओर से तारीफ मिल सकती है, लेकिन उनका कहना है कि असल ज़िंदगी में यह बहुत मुश्किल है कि लोग इस तरह की महिला को स्वीकार करें.
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