काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं. उनकी बेहद लोकप्रिय कविता थी.
2/11
देश एक मंदिर है, हम पुजारी हैं, राष्ट्रदेव की पूजा में हमें खुद को समर्पित कर देना चाहिए. इस कविता से उन्होंने अपने राष्ट्रप्रेम का परिचय दिया था.
3/11
छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता.
4/11
मेरे प्रभु मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना, गैरों को गले न लगा सकूं मुझे इतनी रुखाई कभी मत देना.
5/11
टूटे हुए ताशों से फटे बासंती स्वर, पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर, झरे सब पीले पात, कोयल की कूक रात, प्राची में अरुणिमा की रेख देता पाता हूं, गीत नया गाता हूं, टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?, अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी, हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा..
6/11
भरी दुपहरी में अंधियारा, सूरज परछाई से हारा, अंतरतम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएं. हम पड़ाव को समझे मंज़िल, लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल, वर्तमान के मोहजाल में, आने वाला कल न भुलाएं. आओ फिर से दिया जलाएं, आहुति बाकी यज्ञ अधूरा, अपनों के विघ्नों ने घेरा, अंतिम जय का वज्र बनाने, नव दधीचि हड्डियं गलाएं, आओ फिर से दिया जलाएं..
7/11
चौराहे पर लुटता चीर, प्यादे से पिट गया वजीर, चलूं आखिरी चाल कि, बाजी छोड़ विश्क्ति सजाऊं मैं? राह कौन सी जाऊं मैं?.... सपना जन्मा और मर गया, मधु ऋतु में ही बाग झर गया, तिनके टूटे हुए बटोरूं या नवसृष्टि सजाऊं मैं? राह कौन सी जाऊं मैं? दो दिन मिले उधार में, घाटों के व्यापार में, क्षण-क्षण का हिसाब जोड़ू या पूंजी शेष लुटाऊं मैं? राह कौन सी जाऊं मैं..
8/11
बाधाएं आती हैं आएं, घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पावों के नीचे अंगारे, सिरे पर बरसें यदि अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों में हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा.. हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर अल्पसंख्यक बलिदानों में उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा. कुछ कांटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार से वंचित यौवन.. नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन.. जीवन को शत-शत आहुति मैं, जलना होगा, गलना होगा.. कदम मिलाकर चलना होगा..
9/11
जीवन की ढलने लगी सांझ, उमर घट गई डगर कट गई. बदले हैं अर्थ, शब्द हुए व्यर्थ,
ये कविता लिखने वाले अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन की आज सांझ हो गई और वो देश को छोड़कर चले गए.
10/11
पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद आज 94 साल की उम्र में निधन हो गया है. उनके निधन की खबर मिलते ही पूरा देश शोक में डूब गया है.
11/11
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक दिग्गज राजनेता होने के साथ-साथ कवि हृद्य के स्वामी थे. उनकी कई कविताएं लोगों के जेहन में आज भी जिंदा हैं