तस्वीरों के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत से जुड़ी 25 कहानियां जानिए
अटल बिहारी वाजपेयी और उनके भाई ने महात्मा गांधी के साथ जुड़कर 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग लिया था. जिसके कारण उन्हें 23 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया था.
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View In Appसाल 1939 में फुलटाइमर बन गए. अटल बिहारी वाजपेयी बेहद कम उम्र में ही राजनीति से जुड़ गए.
वहीं 25 दिसंबर, 2014 को वाजपेयी को उनके जन्मदिन पर देश का सबसे बड़ा पुरस्कार भारत रत्न देने का ऐलान किया गया.
जब साल 1953 में बिना पर्मिट लिए जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर पहुंचे थे तब उनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी भी साथ थे.
उस समय उनकी उम्र सिर्फ 18 साल थी. इस घटना के कारण ही राजनीति में आने का फैसला लिया.
जब वो साल 2001 में पीएम थे तब ही उनके दाएं पैर के घुठने का ऑपरेशन हुआ था.
2000 के बाद से अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत अचानक से बिगड़ गई.
अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन बार देश की बागडोर संभाली है. साथ ही उनकी गिनती देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में होती है.
इसके बाद कानपुर में ही उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की. इस बीच वो एलएलबी की पढ़ाई छोड़कर पत्रकारिता और सार्वजनिक कामों में लग गए.
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई दूसरे ऐसे नेता थे जिन्होंने सबसे ज्यादा बार लोकसभा चुनाव जीता. बता दें कि वो 10 बार लोकसभा चुनाव जीते थे जबकि सीपीआई के इंद्रजीत गुप्ता ने 11 बार लोकसभा चुनाव जीता.
साल 2009 में उनको स्ट्रोक लगा था जिसके बाद से उन्हें बोलने में काफी तकलीफ होने लगी थी.
साल 1957 से लेकर 2004 यानि 50 बार संसद के किसा न किसी सदन में पहुंचे.
साल 2005 में अटल ने आखिरी बार किसी जनसभा को संबोधित किया था. बता दें कि यह जनसभा मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई थी.
उन्होंने साल 2009 में राजनीति से संन्यास लिया.
उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में शिक्षक थें जहां अटल बिहारी वाजेपयी का जन्म हुआ, लेकिन बताया जाता है कि मूलरूप से आगरा के बटेश्वर के रहने वाले थे.
उन्होंने अपना जीवन देश की भलाई के लिए और एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रचारक के रुप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प ले लिया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी साम्यवाद से प्रभावित थे. फिर बाद में बाबा साहब आप्टे से प्रभावित होकर उन्होंने साल 1939 में आरआरएस से जुड़े.
साल 2007 में विधानसभा चुनाव के दौरान लखनऊ में लोगों ने अपने नेता को आखिरी बार देखा था. वो यहां आखिरी बार चुनावी रैली करने पहुंचे थे.
इससे पहले अटल 2007 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालने आखिरी बार संसद पहुंचे थे. इस दौरान वो व्हील चेयर पर गए थे.
कानपुर के डीएवी कॉलेज में अटल जब पढ़ाई कर रहे थे तब उनके पिताजी ने भी यहां एक छात्र के रुप में एडमिशन लिया था. बता दें कि उन्होंने विवाह नहीं किया.
पूर्व प्रधानमंत्री एक दो दिन से नहीं बल्कि 8 साल से बेड रेस्ट पर हैं.
पहली बार साल 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने और फिर साल 1998 से 1999 तक यानि 13 महीने के लिए दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने. फिर आखिरी और तीसरी बार साल 1999 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहें.
वहीं 1962 से 1986 तक राज्यसभा के सदस्य रहे.
उन्होंने पहले ग्वालियर के विकटोरियल कॉलेज से बीए की पढ़ाई की और फिर कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में डिग्री ली.
इस पुरस्कार को 27 मार्च, 2015 को खुद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भारत रत्न देने के लिए पूर्व पीएम के घर पहुंचे. इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी के साथ कई केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हुए.
पूर्व प्रधनमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था. वो एक राजनेता के साथ-साथ बेहतरीन कवि और लेखक भी हैं. उनकी कविताओं के चर्चे संसद से लेकर जनसभा तक सुनाई दिए हैं.
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