यूपी: अपने पति को कंधे पर बिठाकर अस्पताल पहुंची महिला
इसके बाद वह व्यक्ति अपनी पत्नी के शव को अपनी मोटरसाइकिल पर लाद कर घर ले गया था.
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View In Appवहीं बीते साल बिहार के पूर्णिया जिले में ऐसी ही घटना घटी थी जहां सरकारी अस्पताल ने एक व्यक्ति को उसकी पत्नी का शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस देने से मना कर दिया था.
यूपी के मथुरा में एक महिला अपने पति को पीठ पर बैठा कर अस्पताल ले गई. महिला अपने पति को लेकर विकलांगता का सर्टिफिकेट लेने के लिए मुख्य चिकित्सक अधिकारी के पास पहुंची थी.
उसने आगे कहा, हम कई और ऑफिस भी गए लेकिन अभी तक हमें विकलांगता का प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है.
इस घटना पर महिला ने मीडिया को बताया कि उसे अस्पताल पहुंचने तक के लिए किसी प्रकार की मदद नहीं मिली थी और ना ही कोई व्हील चेयर अस्पताल ने मुहैया कराई.
शिक्षा से सदैव दूर रहे इन आदिवासी व्यक्ति के प्रयास के बारे में कल तक किसी को पता नहीं था लेकिन स्थानीय अखबर में उनके बारे में खबर पढ़कर जिलाधिकारी के कार्यालय में बुलाये जाने के बाद वह सुर्खियों में आ गए.
इससे पहले ऐसा ही कुछ नजारा ओडिशा के दशरथ मांझी के साथ देखने को मिला था. ओडिशा के जालंधर नायक ने बच्चों के स्कूल जाने के लिए पहाड़ काटकर रास्ता बना डाला था. कंधमाल जिले में फुलबनी शहर के मुख्य मार्ग से अपने गुमाशी गांव को जोड़ने वाली 15 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण करने के लिए जालंधर नायक अकेले ही पहाड़ की चट्टानों को हटा दिया और रोजाना आठ घंटे जी-तोड़ मेहनत करी थी. जिला प्रशासन ने नायक को मनरेगा योजना के तहत भुगतान कर सम्मानित करने और उनके प्रयासों में सहयोग करने का निर्णय लिया है.
नायक जालंधर (45) ने बताया था कि उनके तीन बच्चों को पहाड़ पार कर शहर के स्कूल जाने में हो रही दिक्कत ने उन्हें छेनी और हथौड़ा पकड़ने की मजबूर कर दिया था.
उनका यह कारनामा काफी हद तक बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी की तरह ही नायक अपने अटल निश्चय से पिछले दो साल में पहाड़ से आठ किलोमीटर तक सड़क बना चुके हैं. उनकी अगले तीन साल में और सात किलोमीटर तक इस रास्ते का विस्तार करने की योजना है. मांझी ने 360 फीट की सड़क बनाने के लिए अपने जीवन के 22 साल गुजार दिए थे.
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