Railway News: बड़ी खूबसूरत है दार्जिलिंग हिमालयन रेल यात्रा, टॉय ट्रेन की तस्वीरों से लें इसका आनंद
देश में यूं तो खूबसूरती को संजोए हुए बहुत से हिस्से हैं. दार्जिलिंग अपने आप में सबसे अलग है. उससे भी उम्दा है यहां की टॉय ट्रेन... जिसमें सवारी करके आप पहाड़, झरने, बादल, बारिश, ठंड आदि का मजा एक साथ ले सकते हैं.
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View In Appगर्मी हो या ठंड या फिर बरसात का मौसम हो. हर मौसम में दार्जिलिंग की खूबसूरती देखने लायक रहती है. क्योंकि दार्जिलिंग-हिमालयन रेल यात्रा में प्रकृति का आनंद लेने के साथ रोमाचिंद हो उठेंगे.
यदि आपने दार्जिलिंग घूमने का टूर बनाया है तो आप टॉय ट्रेन को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करना. क्योंकि आपके टूर में यह टॉय ट्रेन ही है जो चार चांद लगाएगी. आपको हर पल एक नए सुखद अनुभव को महसूस कराएगी.
यह ट्रेन मात्र दो फीट चौड़ी रेलवे लाइन पर चलती है. इसीलिए इसे नैरो गेज लाइन भी कहा जाता है. पहाड़ियों पर बने घुमावदार ट्रैक से जब ट्रेन गुजरती है तो लोग इस नजारे को कैद करने के लिए जी-जान लगा देते हैं.
यह ट्रेन दार्जिलिंग से पहले विभिन्न बस्ती, मोहल्ले और बाजारों में होकर गुजरती है. छोटी रेलवे लाइन होने की वजह से यह ट्रेन काफी धीमी चलती है. यही धीमी चाल ही लोगों को बहुत पसंद आती है.
इस ट्रेन में सवारी करनी की खासियत यह है कि रास्ते में आपको जंगल, पहाड़, झरने, बादल, बारिश या फिर ठंडो में स्नोफॉल आदि बड़ी आसानी से देखने को मिल जाते हैं.
इस रेल यात्रा में एक दिलचस्प बात यह है कि ट्रेन की पटरियां कई जगह पर सड़क के एक तरफ बिछी हुई है. इसीलिए आपकी ट्रेन अन्य वाहनों के साथ-साथ चलती हुई भी दिखाई देगी.
कई बार यह ट्रेन सड़क को एक तरफ से दूसरी तरफ क्रॉस भी करती है. इसके लिए कोई रेलवे क्रॉसिंग नहीं रखी गई है. क्योंकि लोग इस ट्रेन के संचालन को अच्छी तरह से जानते हैं. ट्रेन आसपास दिखाई देने पर वह रेलवे लाइन से दूर हो जाते हैं.
इसके इतिहास की बात करें तो यह रेलवे लाइन अंग्रेजों ने 1879 और 1881 में बिछाई दी. जिसकी कुल लंबाई लगभग 78 किलोमीटर है. रेलवे लाइन बिछने के बाद अब तक कुछ लूप लाइनों को हटा दिया गया है. पहले यह ट्रेन घूमकर चलती थी. कुछ पहाड़ियों पर अब यह सीधे निकल जाती है.
ऐतिसाहिक इस रेल यात्रा को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में चयनित भी किया है. भारत की यह पर्वतीय रेल देश-विदेशी मेहमानों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है.
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