Indian Railways: वेस्टर्न रेलवे की क्वीन है ये ट्रेन, फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर; 117 साल पुराना है इतिहास
अब फ्लाइंग रानी को नए लिंके हॉफमैन बुश (एलएचबी) रेक से बदल दिया गया है. इसके रेक पहले से आराम, सुविधाजनक और सुरक्षा के मामले में बेहतर हैं. हालांकि इस ट्रेन की शुरुआत और इसके नाम के पीछे एक रोचक कहानी है.
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View In Appयह एक बेहद लोकप्रिय ट्रेन है, जिसे वेस्टर्न रेलवे का क्वीन कहा जाता है. इस ट्रेन का फ्लाइंग रानी नाम एक बड़ी सभा से पहले बॉम्बे सेंट्रल में बुलसर अब वलसाड के तत्कालीन जिला अधीक्षक की पत्नी ने रखा था.
फ्लाइंग रानी ट्रेन की पहली सर्विस 1906 में शुरू हुई थी. हालांकि बीच-बीच में इसे बंद किया गया और इसे 1950 से फिर से शुरू कर दिया गया. देश की आजादी के बाद इस ट्रेन को फिर से संचालित किया गया था. 01 नवंबर, 1950 को सूरत स्टेशन से आठ कोचों और 600 यात्रियों के साथ इसका उद्घाटन किया गया था.
यह ट्रेन उस समय रविवार को छोड़कर सप्ताह के सभी दिनों को चलती थी और लिमिटेड स्टॉपेज के साथ यह सबसे तेज ट्रेन थी. यह ट्रेन बोरीवली, पालघर, दहानू, दमन, उदवाड़ा, वलसाड, बिलिमोरा और नवसारी में रुकती थी. बाद में इसके कुछ और स्टॉपेज बनाए गए.
फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस 18 दिसंबर, 1979 को डबल-डेकर कोचों में बदल दिया गया था. इनमें से प्रत्येक में 148 यात्रियों को लेकर जाने की क्षमता है. 1965 के दौरान यह ट्रेन देश की मध्यम दूरी वाली सबसे तेज ट्रेन बन गई थी. वहीं यह देश की पहली डबल डेकर कोचों वाली ट्रेन भी है.
मौजूदा समय में यह एक सदी पुरानी ट्रेन प्रतिदिन सुबह 5:10 बजे सूरत से रवाना होती है और 09:50 बजे मुंबई पहुंचती है. वापसी के दौरान यह ट्रेन मुंबई सेंट्रल से 17:55 बजे चलती है और 22:35 बजे अपने स्थान पर पहुंच जाती है.
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