साल 2024 में सिर्फ इतने लोगों के ही हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम हुए सेटल, जानें क्यों बाकी हो गए रिजेक्ट
भारत में बहुत सी कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइड करवाती हैं. इनमें अलग-अलग प्लान के हिसाब से कवरेज मिलती है. हेल्थ इंश्योरेंस होने के बाद आप कई अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा ले सकते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी का जिस अस्पताल में टाई अप होता है. सामान्य तौर पर आपको वहां कैशलेस इलाज की सुविधा मिल जाती है.
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View In Appलेकिन जिनमें नहीं होता वहां आपको कैशलेस की सुविधा नहीं मिलती. इसके लिए आप रीइंबर्समेंट ले सकते हैं. इंश्योरेंस रेगुलेटर एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (IRDAI) ने साल 2024 में इंश्योरेंस को लेकर डाटा जारी किया है. जिसमें बताया गया है कि इस साल सिर्फ 71% हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम ही सेटल हुए हैं. यानी बाकी क्लेम रिजेक्ट कर दिए गए हैं.
किन-किन परिस्थितियों में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम को रिजेक्ट कर सकती हैं. कहां हो जाती है हेल्थ इंश्योरेंस का क्लेम लेने में अचूक जिस वजह से क्लेम हो जाता है रिजेक्ट चलिए आपको बताते हैं इस बारे में.
आपको बता दें हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के मामलों में एक नहीं कई कारण हो सकते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में बताए गए खर्चों की लिमिट से ज्यादा खर्च होता है तो ऐसे में क्लेम रिजेक्ट किया जा सकता है.
अगर कोई बीमारी जो पॉलिसी में कवर नहीं होती उसके उसका क्लेम मांगा गया है. तो क्लेम रिजेक्ट हो जाता है या फिर आपने क्लेम के दौरान कोई गलत जानकारी दे दी है या किसी बीमारी को या किसी जानकारी को छुपाने का प्रयास किया है. या फिर आपने फर्जी डॉक्यूमेंट लगाकर क्लेम लेने की कोशिश की है. तो ऐसे में भी क्लेम रिजेक्ट हो सकते हैं.
IRDAI की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में 3 करोड़ क्लेम किए गए. जिनमें से 2 करोड़ 70 लाख क्लेम ही सेटल हुए हैं. इस मामले में ओम्बड्समैन को 34 हजार से ज्यादा कंप्लेंट्स भी मिली हैं.
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