कर रही हैं मां बनने की प्लानिंग, तो ये बातें जानना है जरूरी
ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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View In Appडॉ. आरिफा आदिल ने कुछ ध्यान रखने योग्य बातों का जिक्र करते हुए कि 22 से 34 वर्ष की उम्र में गर्भावस्था को प्राथमिकता दें. इस अवधि में गर्भधारण की क्षमता बेहतर मानी जाती है. 18 से 25 वर्ष तक अपने बीएमआई को मेंटेन रखे. बीएमआई के कम या बहुत ज्यादा होने पर मां बनने में खतरा हो सकता है. नियमित व्यायाम करें और हेल्दी फूड लें. इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है. वजन अधिक हो तो फैट और चीनी युक्त भोजन कम से कम करें. जितना हो सके फल, हरी पत्तेदार सब्जियां और सलाद खाएं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
फर्टिलिटी होती है प्रभावित- कम वजन का अर्थ है शरीर में फैट के प्रतिशत का कम होना. ओव्यूलेशन और पीरियड्स के समय पर होने के लिए बॉडी फैट 22 प्रतिशत अवश्य होना चाहिए. यदि बॉडी फैट लो होने के बावजूद पीरियड्स समय पर हो रहे हों तो भी गर्भधारण नहीं होने की आशंका होती है क्योंकि ऐसी स्थिति में ओव्यूलेशन प्रभावित होता है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
गर्भपात का खतरा- वजन बढ़ने के कारण गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है. अत्यधिक वजन के कारण कई बार आईवीएफ ट्रीटमेंट में भी परेशानी आती है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम- यह वह अवस्था है जब महिलाओं में इंसुलिन का स्तर बढ़ता है. इसके कारण ओव्यूलेशन का घटना अनियमित मासिक और टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन में वृद्धि होती है. पीड़ित महिला को कुछ किलो वजन घटा कर गर्भधारण का प्रयास करना चाहिए. इससे बिना कोई दवा खाये ही समस्या को दूर किया जा सकता है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
डॉ. आरिफा आदिल ने कहा कि मोटापा कई तरीके से गर्भधारण को प्रभावित कर सकता है. मोटापे से ओव्यूलेशन प्रभावित होता है. वजन बढ़ने से हार्मोन प्रभावित होते हैं, इससे ओव्यूलेशन प्रभावित होता है और गर्भधारण की संभावना कम हो जाती हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
गर्भधारण के समय उम्र के अनुसार आदर्श वजन को इस फार्मूले से निकाला जा सकता है. अगर आपकी लंबाई 155 सेमी है तो आपका वजन 55 किलो होना चाहिए. इस प्रकार वजन को संतुलित रख कर समस्याओं से बचा जा सकता है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
कम वजन की महिलाओं में प्रीटर्म बर्थ का खतरा भी होता है. प्रीटर्म ना भी हो, तो भी बच्चे का वजन सामान्य से कम होता है जिससे बच्चे को भी कई परेशानियां हो सकती है. एनिमिया या कुछ अन्य प्रकार की समस्याएं भी हो सकती हैं. इसलिए अगर महिलाएं गर्भधारण करने की इच्छुक हैं तो प्रयास करें कि वजन सामान्य रखें. फोटोः गूगल फ्री इमेज
इंदिरा आईवीएफ हास्पिटल की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. आरिफा आदिल का कहना है कि गर्भधारण के समय वजन का काफी महत्व होता है. वजन की बात करते ही लोगों के दिमाग में सिर्फ मोटापे का ख्याल आता है. मोटापा तो कई समस्याओं कारण है लेकिन यह जरूरी नहीं हैं कि सिर्फ अधिक वजन से ही गर्भधारण प्रभावित हो, बल्कि कम वजन से भी गर्भधारण में कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
महिलाओं के गर्भधारण को प्रभावित करने वाले कई कारणों में वजन भी एक महत्वपूर्ण कारण है. स्वास्थ्य, उम्र, बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और वजन के सही तालमेल से ही गर्भधारण सफल होता है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
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