जानिए, दिल्ली के दमघोटू प्रदूषण का क्या है अफगानिस्तान कनेक्शन?
साहा ने कहा, अमेरिकी सरकार के नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के प्रक्षेपीय मॉडल का इस्तेमाल करते हुए हमने एक अध्ययन किया. तब हमने पाया कि नमक वाले कण अफगानिस्तान के उन इलाकों से आ रहे हैं जहां बड़े पैमाने पर नमक मौजूद है.
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View In Appवैज्ञानिकों ने दिल्ली की हवा में क्रोमियम और तांबे जैसे धातुओं की मौजूदगी भी पाई, जिसके बारे में साहा ने कहा कि वे हरियाणा में इलेक्ट्रोप्लेटिंग उद्योगों से उत्सर्जित हो रहे हैं.
बहरहाल, ठंड के महीनों में अध्ययन किए जाने के कारण वैज्ञानिकों ने इस बात की संभावना जताई कि ये कण समुद्र से आ रहे हों क्योंकि इस समय हवा अमूमन उत्तर या उत्तर-पश्चिम से बहती है.
सीपीसीबी की वायु प्रयोगशाला के प्रमुख दीपांकर साहा सहित अन्य वैज्ञानिकों की ओर से किए गए एक अध्ययन में पाया गया दिल्ली में पीएम2.5 का करीब 11 फीसदी कण दरअसल नमक है.
शुरू में सीपीसीबी की टीम ने सोचा था कि हवा बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से समुद्री नमक साथ ला रही हो. लेकिन बाद में पता चला कि प्रदूषकों का स्रोत अफगानिस्तान है.
दिल्ली में आए दिन प्रदूषण से यहां रहने वाले लोगों को काफी समस्या हो रही है. यहां प्रदूषण इतना भयानक है कि कई बार स्कूल तक बंद करने की स्थिति आ जाती है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि प्रदूषण बढ़ने की वजह क्या है? आज हम आपको बताएंगे कि दिल्ली के प्रदूषण का अफगानिस्तान कनेक्शन क्या है?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया है कि अफगानिस्तान के नमक खदानों से आने वाले धूल-कण दिल्ली में वायु प्रदूषकों के स्तर को बढ़ा रहे हैं.
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