Year Ender 2016: Brexit और ट्रंप के बीच आशा की किरण रहा कोलंबिया में फेल होने वाला जनमत संग्रह!
साल 2016 एक तरफ जहां ब्रेक्ज़िट कैपेंन के तहत ब्रिटेन के यूरोप से बाहर निकलने और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के चुने जाने जैसे वैश्विक घटनाओं के लिए याद किया जाएगा तो वहीं दूसरी तरफ नॉर्थ अमेरिका के कोलंबिया में लंबे समय से चले आ रहे विद्रोह को समाप्त करने को लेकर देश में हुए जनमत संग्रह के लिए भी याद किया जाएगा. कोलंबिया के राष्ट्रपति Juan Manuel Santos विद्रोह समाप्त करने को लेकर हुए इस कैंपेन में कांटे भले ही टक्कर से हार गए हों, लेकिन उन्होंने देश और दुनिया की एक बड़ी आबादी का दिल ज़रूर जीता है जिससे 2016 में एक उम्मीद की किरण दिखाई दी.
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View In Appअत्याधुनिक हथियारों के इस्तेमाल करने के मामले में इन्होंने दुनिया की कई फौजों को पीछे छोड़ दिया था.
वहीं लेटेस्ट टेक्नॉलजी इस्तेमाल करने के मामले में भी ये लोग किसी से पीछे नहीं थे.
इसके पहले अपनी मांगों और उससे जुड़े विरोध को जताने के लिए विद्रोहियों ने हिंसा के सारे रास्ते अपनाए.
अगर ये मुख्यधारा की तरफ लौटते हैं तो कोलंबिया का ये प्रयास इस तरह की समस्या से जुझ रहे देशों के लिए एक बड़ा उदाहरण होगा.
इसके लिए कोलंबिया के राष्ट्ररति Santos को लंबे समय तक याद किया जाएगा.
यूनाइटेड नेशंस के एक आंकड़े के मुताबिक कोलंबिया में 12% हत्याओं के जिम्मेवार ऑर्म्ड फोर्स गुरिल्ला के लोग हैं.
इन्होंने कोलंबिय के दक्षिण में Putumayo के जंगलों में अपना कैंप बना रखा था. रियो ओलंपिक के दौरन ही रेवॉल्यूशनरी ऑर्म्ड फोर्स वालों ने भी अपने यहां खेलों का आयोजन किया था.
Santos जनमत संग्रह में कड़ी टक्कर में हार गए. लेकिन उन्होंने इन विद्रोहियों को मुख्यधारा में लाने के लिए नए प्रयास शुरू किए हैं.
साल 2016 में जो चंद घटनाएं राहत की सांस लाईं उनमें से एक कोलंबिया में हुआ ये जनमत संग्रह रहा.
अगर इसे भारत के संदर्भ में समझने की कोशिश करें तो इसे देश के नक्सल आंदोलन से जोड़कर देख जा सकता है. मार्क्सवादी-लेनिनवादी संगठन कोलंबिया में तमाम उन बातों के लिए विद्रोह कर रहा है जिसके लिए भारत के नक्सली कर रहे हैं.
रेवॉल्यूशनरी ऑर्म्ड फोर्स ऑफ कोलंबिया के क्रांतिकारी देश में एक गुरिल्ला आंदोलन चला रहे थे. ये सशस्त्र संघर्ष 1964 के बाद से जारी था.
रेवॉल्यूशनरी ऑर्म्ड फोर्स ऑफ कोलंबिया का ये 48वां बटालियन है. ये जंगलों में अपनी कठिन ज़िंदगी को कुछ इस तरह से बसर कर रहे थे.
इसे समाप्त करने के लिए कोलंबिया के राष्ट्रपति Santos ने कई नए प्रयास किए जिसमें इसी साल इन विद्रोहियों को मुख्याधारा की राजनीति में लाने को लेकर कराया गया जनमत संग्रह शामिल है.
ये आंदोलन दूसरे विश्व युद्ध के बाद जन्मे कोल्ड वॉर के समय शुरू हुआ था.
ये तस्वीरें साल 2016 के अगस्त महीने की हैं. तस्वीरों में आप रेवॉल्यूशनरी ऑर्म्ड फोर्स ऑफ कोलंबिया के विद्रोहियों को देख सकते हैं.
तस्वीरों में आप इन्हें ग्रुप में नहाते देख सकते हैं. बाकी के कई और ज़रूरी काम भी ये समूह में ही करते थे.
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