Year Ender 2016: रियो से पारा ओलंपिक तक महिला खिलाड़ियों ने लहराया दुनियाभर में तिरंगा
रियो ओलम्पिक में तिरंगे के मान-सम्मान को बनाए रखने की बात हो या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का लोहा मनवाने का जज्बा, इस साल भारतीय महिलाएं विश्व खेल जगत में भारत का मस्तक ऊंचा रखने में अपने साथी पुरुष खिलाड़ियों से कहीं आगे रहीं. भारत को इस साल रियो ओलम्पिक में सिर्फ दो पदक मिले और ये दोनों पदक देश को महिला खिलाड़ियों ने ही दिलाए.
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View In Appदीपा दो बच्चों की मां हैं और उनके पति सेना में अधिकारी हैं. कमर से नीचे लकवाग्रस्त दीपा को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. उनकी रीढ़ की हड्डी में एक ट्यूमर था जिसे 1999 में ऑपरेशन के जरिए हटाया गया. हालांकि 31 सर्जरी के दौरान उनके कमर के निचले हिस्से में 183 टांके लगे और इसके बाद छह वर्षो तक वह व्हीलचेयर पर रहीं. लेकिन छह वर्षो के बाद उन्होंने पैरा-खेलों की ओर रुख किया और आज वह देश की बेहद सफल पैरा-खिलाड़ियों में शुमार हैं.
मलिक ने रियो पैरालम्पिक की गोला फेंक स्पर्धा (एफ 53) में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 4.61 मीटर दूर गोला फेंक रजत पदक हासिल किया. इस जीत के साथ ही वह पैरालम्पिक खेलों में भारत के लिए पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी भी बनीं.
अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाकर जिंदगी में आगे बढ़ने वाली दीपा मलिक ने इस साल रियो पैरालम्पिक में रजत पदक जीत दिखा दिया कि कोशिश करने वाले कभी नहीं हारते.
गोल्फ के क्षेत्र में भी भारत की बेटी ने नया कारनामा कर दिखाया. अदिति अशोक ओलम्पिक में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं. इसके अलावा उन्होंने इस साल हीरो महिला इंडियन ओपन खिताब भी जीता और इस प्रक्रिया में वह एक लेडीज यूरोपीयन टूर खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बनीं.
भारतीय महिला हॉकी टीम ने भी इस साल सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ. देश की महिला हॉकी टीम ने 36 साल बाद ओलम्पिक खेलों में प्रवेश किया. वे जीत के सूखे को खत्म नहीं कर पाईं लेकिन उनका ओलम्पिक में प्रवेश का प्रयास सफल रहा. लेकिन ओलम्पिक की असफलता ने भारतीय महिला हॉकी टीम का हौसला नहीं तोड़ा और उन्होंने पहली बार एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब जीता.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ओलम्पिक की इन महिला विजेताओं को देश के सबसे बड़े खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा.
ओलंपिक में 52 साल बाद कोई भारतीय जिमनास्ट फाइनल तक पहुंचने में सफल रहा. वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट भी बनीं.
त्रिपुरा के एक छोटे से गांव से ओलम्पिक के फाइनल तक का सफर तय करने वाली भारतीय जिमनास्ट दीपा कर्माकर ने जिम्नास्टिक्स में वह कारनामा कर दिखाया, जिसे देखकर रियो ओलम्पिक में पांच स्वर्ण पदक जीतने वाली अमेरिकी जिम्नास्ट सिमोन बाइल्स भी उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह सकीं.
रियो ओलम्पिक में हिस्सा लेने वाली एक भारतीय महिला खिलाड़ी ऐसी भी रहीं, जिन्होंने पदक जीतने बिना पूरे देशवासियों का दिल जीत लिया. जिम्नास्टिक्स में पहली बार ओलम्पिक में भारत की दावेदारी पेश कर रहीं दीपा कर्माकर ने फाइनल तक का सफर तय किया और बेहद मामूली अंतर से वह पदक से चूक गईं.
वहीं ब्राजीलियाई महानगर रियो डी जनेरियो में हुए ओलम्पिक खेलों में भारत के पदक के इंतजार को महिला पहलवान साक्षी मलिक ने खत्म किया. साक्षी ने कुश्ती में कांस्य पदक हासिल किया और ओलम्पिक में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान बनीं.
बैडमिंटन में पी. वी. सिंधु ने पहली बार देश को रजत पदक दिलाया. वह किसी भी ओलम्पिक स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी भी बनीं.
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