RAMZAN LAST ASHRA | क्यों है रमज़ान (Ramadan) का आख़री अशरा (phase) सबसे ज़रूरी | माह-ए-रमज़ान
एपिसोड डिस्क्रिप्शन
Introduction
Time : 0.12 - 0.52
रमज़ान (Ramadan) का महीना चल रहा है और रमज़ान का अंत होता है ईद (Eid ul Fitr 2022). दुनियाभर में इस वक्त रमज़ान (Ramadan 2022) के महीने का आख़िरी असरा (Last Stage of Ramadan) चल रहा है। यानी इस पाक महीने के आखिरी 10 दिन। इस्लाम मज़हब (Islam) में रमज़ान का आख़िरी असरा बहुत ज़रूरी माना जाता है। रोज़ा रखना Islam के 5 सबसे ज़रूरी स्तम्भों में से एक है और आखिरी असरा उसमें सबसे ज़्यादा ज़रूरी। आइए जानते हैं कि रमज़ान का आखिरी असरा क्यों खास होता है।
Body:
Time: 0.55 - 5.04
रमज़ान (Ramadan) का पहला और दूसरा असरा खत्म होकर अभी तीसरा यानी आखिरी असरा चल रहा है. इस्लाम के मुताबिक यह 21वें रोजे से शुरू होकर चांद के हिसाब से 29वें 30वें रोज़े तक चलता है। यह असरा बेहद खास माना जाता है। जानते हैं क्यों? क्योंकि इस असरे का motive होता है जहन्नम की आग यानी कि hell fire से खुद को सुरक्षित करना। इस दौरान मुसलमान जहन्नम से बचने के लिए अल्लाह से दुआ करते हैं। इसके अलावा रमज़ान के आखिरी असरे में ज़्यादातर मुसलमान आदमी मस्जिद में और औरतें घरों पर ही एहतकाफ में बैठते हैं. एतकाफ के दौरान सभी केवल इबादत करते हैं। चूँकि एतकाफ में सिर्फ इबादत के लिए जगह होती है, इसलिए TV से लेकर mobile phone तक, सब कुछ 10 दिन के लिए लोग छोड़ देते हैं ताकि distractions न रहें।
हदीस के मुताबिक इस्लाम में आखिरी नबी, पैगम्बर साहब भी एतकाफ में बैठते थे।
आईये जानते हैं कि एतकाफ में किन चीज़ों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है
- एतकाफ में बैठने वाले पुरुष या महिला को अपना ज्यादातर वक्त इबादत में गुजारना चाहिए। इबादत में आप क़ुरान शरीफ पढ़ें, हदीसें पढ़ें, 5 वक़्त के अलावा जो बाक़ी नमाज़ें हैं वो भी पढ़ी जा सकती हैं।
- पुरुष केवल मस्जिद में रहकर ही एतकाफ कर सकते हैं, जबकि महिलाएं घर के किसी कोने में पर्दा लगाकर एतकाफ करती हैं। ये इसलिए क्योंकि इस्लाम का जन्म क़बीलों में हुआ है। तो उस समय ज़्यादातर आदमी बहार ही रहते थे, या तो जंग में या फिर घर के लिए सामान इखट्टा करने के लिए। और औरतें घर संभाला करती थीं। औरतें घर में एतकाफ करती हैं।
- एतकाफ में बैठने वाले लोगों को साफ-सफाई का खास ख्याल रखना चाहिए। वैसे तो Islam में सफाई-सुथराई का एक अलग ही रुतबा है मगर एतकाफ में लोग और थोड़े सावधान हो जाते हैं। आपको बताती चलूँ की इस्लाम में हर नमाज़ के से पहले वुज़ू करना फ़र्ज़ है। मगर आप पिछले नमाज़ की वुज़ू को कंटिन्यू रख सकते हैं। हाँ अगर बीच में बाथरूम गए हों या फिर खून निकला हो इत्यादि तब वुज़ू दोबारा बनानी होती है।
- एतकाफ के दौरान किसी की बुराई करने, लड़ाई-झगड़ा करने से बचना चाहिए
- मौजूदा वक्त में मोबाइल सबकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है, ऐसे में एतकाफ में बैठने वाले शख्स को मोबाइल से भी खुद को दूर रखना चाहिए और पूरा वक्त इबादत में ही लगाना चाहिए। जैसे कि पहले बोलै गया है, मोबाइल, TV, radio ये सब distractions में गिने जाते हैं और इन्ही चीज़ों से अलग रहना होता है, यही इम्तेहान है।
तो ये थे एतकाफ के कुछ ground rules. आज माह-ए-रमज़ान का आख़िरी एपिसोड है। हमने इस बार कोशिश की कि खुद से ज़्यादा लोगों से बात की जाये और उनसे समझा जाए रमज़ान के मायने। क्योंकि हर इंसान का खुदा से अपना रिश्ता होता है। आप पूजा-पाठ करते हैं, नमाज़ पढ़ते हैं, गिरजाघर जाते हैं, व्रत या रोज़े रखते हैं, और कैसे रखते हैं, ये सब आपके और आपके खुदा के बीच की बातें हैं। और ऐसे ही आप ऊपर वाले से अपना रिश्ता खुद कायम करते हैं। इस podcast का उद्देश्य था आप तक वो जानकारी पहुँचाना जो शायद आपको रमज़ान के बारे में मालूम नहीं थी। मगर उससे भी ज़रूरी है ये जानना कि जितने भी लोगों से हमने बात की, उन सभी की विचार-धाराएं एकदम अलग थीं, सोच अलग थी और इसलिए उनक रिश्ता उनके अल्लाह से अलग-अलग था। यही होती है विविधता की पहचान - जियो और जीने दो।
Conclusion:
Time: 6.05
आज के लिए बस इतना ही। हम मगर वापस ज़रूर लौटेंगे अगले साल, मार्च के महीने में क्योंकि रमज़ान अगले साल मार्च में आएगा। तब तक के लिए हमें इजाज़त दें और ढेर सारा प्यार भी।
मैं हूँ Sahiba Khan, podcast की sound-designing की है ललित ने और आप सुन रहे थे ABP Live Podcasts की रमज़ान वाली ख़ास पेशकश - माह-ए-रमज़ान
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