Ajay Devgan VS Kiccha Sudeep: Twitter पर हिंदी भाषा को लेकर भिड़े दोनों अभिनेता, क्या हिंदी है राष्ट्रभाषा | FYI | Ep. 234
एपिसोड डिस्क्रिप्शन
आज Sahiba Khan बात करेंगी कल हुए Ajay Devgan और Kiccha Sudeep के Twitter war की। दोनों अभिनेता लड़ गए क्योंकि एक ने कहा कि Hindi राष्ट्रभाषा है तो दूजे ने पूछा कि अगर किसी को Hindi नहीं आती तो क्या वो भारतीय नहीं?
Introduction
0.09 - 1.54
जान-गण-मॉं दुनिया का best national anthem नहीं है, जी हाँ UN ने ये कभी नहीं बोला है
Narendra Modi दुनिया के best PM नहीं हैं, ye bhi UN ने नहीं बोला है
आम भारत के राष्ट्रीय फल नहीं है
Hockey हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है, और न ही Cricket है
और इसलिए कई लोगों को ग़लतफहमी है कि Hindi हमारी राष्ट्रभाषा है। मगर नहीं है
नमस्कार अदब सत्श्रीअकाल,
मैं हूँ आपकी अपनी host Sahiba Khan और आप सुन रहे हैं ABP Live Podcasts का शो FYI जहाँ हम बातें करते हैं दुनिया-भर की और देते हैं बिन-मांगा मगर ज़रूरी ज्ञान। हाँ तो आप सोच रहे होंगे कि ये शुरुआत में मैंने क्या कुछ भी बोला है। जी मैंने आपके दिमाग में हमारे देश से संबंधित जो मिथक थे, उनका भांडा फोड़ा है। हम में से कई ऐसे पढ़े-लिखे होंगे जो इन सभी बातों में से किसी न किसी बात को तो सच मानते हो होंगे। नहीं, गलती आपकी या मेरी नहीं बल्कि Fake News और Whatsapp पर चल रही बिन डिग्री की की University की है। आज हम इन मिथकों के बारे में इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि कल ही Twitter पर Ajay Devgan और Kiccha Sudeep की हिंदी भाषा के मुद्दे पर बड़ी गहमगहमी हो गई और दोनों ही public platfrom पर एक-दूसरे पर बरस पड़े।
Body:
1.55 -
इस मामले की शुरुआत एक इवेंट से हुई थी. जहां किच्चा सुदीप ने कहा था कि हिंदी अब राष्ट्रभाषा नहीं रही. बॉलीवुड अब पैन इंडिया फिल्म बना रहे हैं. वह फिल्मों को तमिल और तेलुगू में डब कर रहे मगर उनसे हो नहीं पा रहा है. हम ऐसी फिल्में बना रहे हैं जो हर जगह देखी जा रही हैं. किच्चा का ये बयान अजय देवगन को खटक गया और उन्होंने ट्वीट किया-किच्चा सुदीप मेरे भाई, आपके अनुसार अगर हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है तो आप अपनी मातृभाषा की फिल्मों को हिंदी में डब करके क्यों रिलीज़ करते हैं? हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रभाषा थी, है और हमेशा रहेगी. जन गण मन."
तो ये तो था सुदीप और देवगन का twitter interaction. मगर Hindi को कई लोग आज भी राष्ट्रभाषा मानते हैं। ये तथ्य सरासर गलत है। हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है मगर हाँ, official यानी कि औपचारिक भाषा ज़रूर है। मगर संविधान का अनुच्छेद 343 कहता है कि
“The official language of the Union shall be Hindi in Devanagari script, यानी कि देश की औपचारिक भाषा Hindi होगी जो देवनागरी लिपि में लिखी जाएगी। संविधान के मुताबिक, अंग्रेज़ी और हिंदी, दोनों ही भारत की औपचारिक भाषाओँ में शुमार हैं यानी कि पूरा सरकारी काम, संसद की बातें इन्ही में होंगी। साथ ही साथ संविधान हमें ये भी बताता है कि हर राज्य यानी कि State को अपनी औपचारिक भाषा चुनने का पूरा हक़ है। आपको बताती चलूँ कि पुरे संविधान में कहीं पर भी किसी भी राष्ट्रभाषा का कोई ज़िक्र नहीं है।
PTI ने सन 2010 में report किया - गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा था, "आम तौर पर, भारत में कई लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखते हैं और बहुत से लोग हिंदी बोलते भी हैं और देवनागरी लिपि में लिखते हैं, लेकिन अगर पिछले रिकॉर्ड चेक किये जाएँ तो उन में ऐसा कुछ भी नहीं है जिस से ये लगे कि इस पर कोई भी प्रावधान लागू किया गया है। हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा घोषित करने के लिए किया गया है या आदेश जारी किया गया है
अब जब संविधान में भी इस पर कुछ नहीं है फिर भी इस पर आरसे से चला आ रहा है इस पर विवाद
Amit Shah ने कुछ यूँ हिंदी के बारे में बात की, सुनिए
https://www.youtube.com/watch?v=ftVDF9hVZ4c&ab_channel=ABPNEWS
0.34 to 0.44
ये पहली बार नहीं है जब Amit Shah ने हिंदी को लेकर कोई विवादित बयान दिया हो। 2019 में भी उन्होंने हिंदी के बारे में कहा था की ये भाषा सबको एक करती है और इसे भारतीय पहचान का हिस्सा होना चाहिए। इस ट्वीट पर लोगों की काफी गर्म प्रतिक्रिया भी आयी थी। खासकर के दक्षिण भारत के लोग इस ट्वीट पर काफी गुस्साए क्योंकि उन्हें लगा कि हिंदी बोलने से ही क्या भारतीय होने की पहचान होती है।
आईये ये भी सुनते हैं कि 8 अप्रैल 2022 को RJD सांसद मनोज झा क्या कहते हैं हिंदी पर और BJP बंगाल के पूर्व राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने क्या जवाब दिया
https://www.youtube.com/watch?v=ftVDF9hVZ4c&ab_channel=ABPNEWS
इन बातों को सुन कर सवाल यही पैदा होता है कि जिन्हें हिंदी नहीं आती, वो क्या देश का हिस्सा नहीं? सवाल लज़्मी है। कई राज्यों में कई लोगों को हिंदी थोड़ी-ही आती है या अति ही नहीं। तो क्या वो भारतीय नहीं?
इसी पर एक और विवाद भी हुआ।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में अनिवार्य हिंदी शिक्षा का सुझाव दिया गया
2019 में केंद्र सरकार द्वारा आगे की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के एक ड्राफ्ट में यह provision डाला गया था कि पूरे देश में अनिवार्य रूप से हिंदी सिखाई जानी चाहिए।
जहाँ तमिलनाडु के कद्दावर नेता Stalin ने हिंदी की धौंस और दबदबे का विरोध किया, वहीँ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री Mamata Banerjee ने कहा कि - “आप सब कुछ control नहीं कर सकते। हर राज्य का एक अलग तौर-तरीका है और अलग भाषा है। हमें हर क्षेत्रीय भाषा का सम्मान करना चाहिए। मगर पहले मातृभाषा और फिर कोई और भाषा।
तब जा कर के draft में कुछ सुधार किये गए।
अब PM नरेंद्र मोदी का हिंदी के लिए प्रेम भी किसी से छुपा नहीं है। एक मर्तबा 2014 में नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया जिसमें इंग्लिश की बजाए हिंदी को ज़्यादा तवज्जो देने की बात कह गए। बाकायदा एक आर्डर भी पास हुआ था। उस समय तमिलनाडु की सबसे बड़ी नेता Jaylalitha ने मोदी जी को एक विनम्र पात्र लिखते हुए चेताया भी था कि इस आर्डर से तमिलनाडु के लोग आहत हुए हैं क्योंकि उन्हें अपने इतिहास और अपनी भाषा - तमिल भाषा पर - बहुत गर्व है।
चलिए अब तथ्यों पर भी आते हैं
पहली बात तो ये कि 2011 का census उठा कर देखेंगे तो पता लगेगा कि भारत में 56% लोगों की मातृभाषा हिंदी है ही नहीं है। जी हाँ सही सुने हैं - 2011 के census की बात करें तो भारत में करीब 52 करोड़ लगों की मातृभाषा हिंदी है। हाँ ये बात सही है कि हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाती है भारत में लेकिन वो सिर्फ ऊपरी हिस्सों में। भारत के बाकी हिस्सों में हिंदी बहुत कम ही बोली जाती है। इसी census में ये भी पता लगा कि भारत में करीब 270 अलग-अलग मातृभाषाएं हैं। तो जिस देश में इतनी ख़ूबसूरती और विविधता है कि देश-भर में 250 से ऊपर मातृभाषाएं हैं, वहां एक भाषा को राष्ट्रभाषा का ताज पेहेनना तो बेईमानी होगी। और जब आधे से ज़्यादा देश हिंदी को मातृभाषा नहीं मानता तो क्या फायदा ज़बरदस्ती एक भाषा को किसी पर मढ़ने की। कई बार लोग समझते नहीं है मगर बड़ी-बड़ी जंगें छिड़ गई हैं केवल भाषा और सभ्यता के चक्कर में। Bangladesh बटवारा इसका जीता जागता सबूत है।
Conclusion:
10.51 - 11.55
भाषा एक ऐसी कड़ी है जो इंसान को इंसान से जोड़ती है। कोई भी एक पल में आकर किसी को नहीं बोल सकता कि ये भाषा सही है या ये सही है। भाषा वो सही है जो आपको सामने वाले तक अपनी बात कहने दे, आसानी से। यही भाषा का काम है। इंसानी सभ्यतों का पुल बनना।
Host, Producer: @jhansiserani
Sound designer : Lalit