ASHA Worker and WHO award | Award पेट नहीं भरते, वेतन बढ़ाया जाए”, ASHA Worker | FYI | Ep. 247
एपिसोड डिस्क्रिप्शन
Introduction:
Time: 0.10 - 1.15
भारत की लाखों महिला आशा कार्यकर्ताओं को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समुदाय को सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों से जोड़ने के प्रयासों के लिए देश की 10.4 लाख आशा कार्यकर्ताओं (ASHA Workers) को 'ग्लोबल हेल्थ लीडर' के रूप में मान्यता दी है। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) और स्वास्थ्य मंत्री ने बधाई संदेश दिए हैं। हालांकि देश में हेल्थ केयर वॉलेंटियर अधिक वेतन, स्थाई नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आपको बताती चलूँ कि पिछले साल सितंबर में अपनी मांगों को लेकर देश भर से आशा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर पड़ीं थीं। तो आज हम जानेंगे कि कौन होती हैं ASHA workers और क्या हैं इनकी demand
Body:
Time: 1.20 - 6.20
नमस्कार, अदब, सत्श्रीअकाल,
मैं हूँ Sahiba Khan और वापस आ गई हूँ एक नए FYI के साथ जहाँ हम जानेंगे कुछ और नई और रोचक चीज़ें, एक interesting तरीके से। आज बात करते हैं उन हेल्थ केयर वॉलेंटियर की जिन्होंने Corona के समय ज भूमिका निभाई है, उसका एहसान आप और हम कभी नहीं उतार पाएंगे। मगर कौन हैं ये ASHA Workers और क्या होती है इनकी भूमिका
महिला आशा वर्कर्स (ASHA Workers) सरकार की कई स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी आम लोगों के बीच पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के तहत इन सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवकों की भूमिका पहली बार 2005 में स्थापित की गई थी। आशा मुख्य रूप से विवाहित, विधवा या समुदाय के भीतर से 25 से 45 वर्ष की आयु के बीच की तलाकशुदा महिलाएं हैं. Program के हिसाब से ASHA workers 8वीं पास होनी चाहिए।
आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ पहुंचने में लोगों को जानकारी देने, जागरूक बनाने और और सहायता करने के लिए प्रशिक्षित यानी कि ट्रेन किया जाता है। ये कार्यकर्ता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, उप-केंद्रों और ज़िला अस्पतालों जैसी सुविधाओं से जोड़ने वाले एक सेतु यानी कि एक ब्रिज के तौर पर काम करती हैं। इनके पास बेहतर संचार और नेतृत्व कौशल होना चाहिए। माने communication और leadership स्किल्स होनी चाहिए।
तो भारत में कुल कितनी आशा कार्यकर्ता?
देश भर में लगभग 10.4 लाख आशा कार्यकर्ता हैं. अधिक आबादी वाले राज्यों में सबसे बड़े कार्यबल के रूप में उत्तर प्रदेश में करीब 1.63 लाख आशा कार्यकर्ता हैं. बिहार में 89,437, और मध्य प्रदेश में 77,531 आशा कार्यकर्ता काम कर रही हैं। सितंबर 2019 से उपलब्ध नए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आंकड़ों के मुताबिक गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जहां अभी तक कोई भी आशा कार्यकर्ता नहीं है। आशा कार्यकर्ताओं को रखने का मकसद है कि पहाड़ी से लेकर आदिवासी या फिर कम आबादी वाले क्षेत्रों में हर 1000 व्यक्तियों या प्रति बस्ती के लिए एक आशा कार्यकर्ता होना चाहिए।
देश भर में 10 लाख से अधिक आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य के क्षेत्र (Health Sector) में लोगों की मदद के लिए काम कर रही हैं. वो घर-घर जाकर बुनियादी पोषण, स्वच्छता प्रथाओं और उपलब्ध सेवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करती हैं. महिला आशा कार्यकर्ता मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करने पर ध्यान फोकस करती हैं कि महिलाएं delivery के समय अपनी पूर्व जांच कराएं, गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार लें, बच्चों के टीके, क्या मां पोष्टिक आहार ले रही है, इन सभी चीज़ों का ख्याल रखती है ASHA काय्रकर्ता।
मगर जब ASHA कार्यकर्ताओं तक ये बात पहुंची की WHO ने उन्हें इतना बड़ा सम्मान दिया है तब उन्हेआने कुछ इस तरह से अपनी बात रखी
Interview of Manju Moriya, ASHA Worker (Varanasi) 4.15 - 6.05
आशा कार्यकर्ताओं को कोरोना के समय एक containment zone में एक घर जाने के Rs 10 मिल रहे थे, ये एक ASHA worker ने The Quint को बताया। मंजू जी ने भी यही कहा कि अवार्ड मिलना ठीक है मगर उसके आगे क्या। 2 हज़ार में खर्चा कैसे चलाएं
Conclusion:
Time: 6.20
तो ये थीं एक ASHA worker और उन्होंने हमें दिल से अपनी बात बताई। आज है Friday और friday के लिए इतना ही। हम दोबारा वापस आएंगे अगले FYI में जहाँ फिर होंगी नई ताज़ा बातें अउ नए मुद्दे। फिलहाल आप भी याद रकहिं कि पहचान और अवार्ड मिलना अलग बात है और ज़मीनी काम में बेहतरी होना अलग।
मैं हूँ sahiba khan और आप सुन रहे थे ABP Live podcasts की पेशकश FYI
Host and Producer: @jhansiserani
Sound designer: @lalit1121992
Guest: Manju Moriya, ASHA Worker