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Covid-19 Deaths | WHO: ‘भारत में 47 लाख लोग मरे Coronavirus महामारी के 2 सालों में’, सरकार के आंकड़ों से 10 गुना ज़्यादा | FYI | Ep. 239
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Covid-19 Deaths | WHO: ‘भारत में 47 लाख लोग मरे Coronavirus महामारी के 2 सालों में’, सरकार के आंकड़ों से 10 गुना ज़्यादा | FYI | Ep. 239

एपिसोड डिस्क्रिप्शन

Introduction:

Time: 0.10 - 0.40

दुनियाभर में कोरोना महामारी से जंग अभी भी जारी है. इस बीच भारत में कोरोना महामारी से हुई मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organization) की रिपोर्ट काफी चिंताजनक है. हालांकि, आपको बता दूँ कि इसे केंद्र की मोदी सरकार ने खारिज कर दिया है. मगर ऐसा क्या कहा WHO ने अपनी रिपोर्ट में कि सब हक्के-बक्के रह गए और सरकार को आगे आ कर उसे ख़ारिज करना पड़ा? आज जानेंगे इस FYI में

Body:

Time: 0.42 - 15.20

नमस्कार, आदाब, सत्श्रीअकाल,

मैं हूँ Sahiba Khan और फिर से आपके दिमाग के जिज्ञासा के कीड़ों को टटोलने आई हूँ। कई लोगों को शायद ये पता होगा कि WHO की एक नई रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें उन्होंने दुनिया भर में  अलग-अलग देशों का मुआयना किया है और पता लगाया है कि महामारी के 2 सबसे मुश्किल तरीन सालों में किस देश में लगभग कितनी मौतें हुई। अब बवाल यहाँ हुआ जब रिपोर्ट में पाया गया कि जिस देश ने सबसे ज़्यादा difference पाया गया असल मौतों में और सरकार द्वारा बताई गई संख्या में, वो देश भारत है। भारत सरकार के आंकड़ों पर जाएँ तो जनवरी 1 2020 से दिसंबर 31 2021 तक केवल 481,486 लोग ही कोरोना से दुनिया छोड़े हैं। जबकि WHO रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 47 लाख लोगों की मौत हुई कोरोना से।

ये आंकड़े आधिकारिक तौर पर दिए गए डेटा से करीब 10 गुणा ज्यादा हैं.

 

थोड़ा जानते हैं कि 47 लाख, इस आंकड़े का मतलब क्या है। 47 लाख मौत का मतलब कई शहरों का मौत के मुंह में समा जाना है। 

47 लाख मौत का मतलब पटना और भोपाल जैसे शहरों का एक साथ मौत के मुंह में समा जाना है. देश में अप्रैल 2022 तक कुल 773 जिले हैं. कई जिलों की आबादी काफी कम है ऐसे में 47 लाख मौत का मतलब कई जिलों का एक साथ तबाह होना भी है. वहीँ कई छोटे राज्य है जिनकी आबादी काफी कम है.

 

ऐसे में इस कोरोना से मौत का एक मतलब कई छोटे राज्यों का एक साथ खत्म हो जाना है. 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक पटना (Urban) की आबादी बीस लाख छियालीस हज़ार छे सौ बानवे है (2,046,652) है. वहीँ भोपाल की आबादी 23 लाख अढ़सठ हज़ार एक सौ पैंतालीस (2,368,145) है. दोनों की आबादी को मिला दें तब भी ये आंकड़ा 47 लाख से कम ही है. patna.nic.in/about के आंकड़ों के मुताबिक पूरे पटना जिले की आबादी अट्ठावन लाख अड़तीस हज़ार चार सौ पैंसठ (5838465) है जिसमें पटना ग्रामीण की आबादी करीब 33 लाख 23 हज़ार 875 है जबकि पटना (शहरी) की आबादी 25 लाख 14 हज़ार 590 है.

47 लाख मौत का मतलब दुबई और शारजाह का एक साथ तबाह होना भी हैं. आपने सही सुना

 

भारत में कोरोना से 47 लाख की मौत का मतलब दुबई और शारजाह से आधुनिक शहर का काल के गाल में समा जाना भी है. 2017 के आंकड़ों के मुताबिक दुबई की जनसंख्या करीब 29 लाख के आसपास है. वही शारजाह की जनसंख्या 1,274,749 के करीब है. ऐसे में दोनों शहरों की आबादी को जोड़ते हैं तो ये आंकड़ा इकतालीस (41) लाख के आसपास पहुंचती है. यानी कि भारत में कोरोना से हुई मौत को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी 47 लाख के आंकड़े से भी कम.

अब जबकि आपको एक आईडिया लग चुका है कि 47 लाख लोगों का मरने का मतलब क्या होता है, आइये हम आपको लेकर के चलते हैं Dr. Ravi Duggal के पास जो public health researcher हैं और उन्हें आकंड़ों को समझने समझाने की कला हासिल है। उनसे समझते हैं कि कितने सही या गलत हैं ये आंकड़े। और कितना सही है सरकार का इन्हें नकार देना

 

Hello Dr. Ravi, welcome to our podcast FYI

 

<Interview>

Conclusion:

Time: 17.00

तो ये थे Dr. Ravi Duggal जिन्होंने हमें अपनेपूर्ण प्रयास और अनुभव से हमें इन आंकड़ों के मायने समझाए और बताया कि कैसे ये आंकड़ा निकला गया है। दोस्तों 2021 का वो काला साल हम सबको ताउम्र याद रहेगा। वो एक के बाद एक जलती चिताएं, वो लोगों का कोरोना से नहीं बाकि ऑक्सीजन की कमी दम तोड़ना। 2021 में हम सभी ने कोई न कोई होना ज़रूर खोया है। मगर हम सब ने किसी न किसी की ऑक्सीजन या फिर कोरोना के इलाज में मदद करने वाली दवाइयां मुहैया कराने में भी मदद की है. शायद इसे ही कहते हैं दुःख-सुख बांटना। शायद ऐसे ही एक collective tragedy यानी कि सामूहिक त्रासदी अलग अलग लोगों को साथ लाती है। अब आंकड़े सही हैं या नहीं अंत में उससे फर्क नहीं पड़ता। फर्क पड़ा है कि उन लोगों को किस तरीके से संभाला गया जिन्होंने कोरोना से अपनी जानें गवा दीं, फर्क पड़ता है इससे कि वो शमशान और कब्रिस्तान में लाशों को किस तरह जलाया और दफनाया गया और क्यों। हाँ आंकड़े ज़रूरी हैं, बहुत ज़रूरी हैं। मगर उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है जीते-जागते लोगों का आंकड़ा न बनना। तो चलिए, आज के लिए बस इतना ही। अब मुलाक़ात होगी अगले FYI में। 

तो आप भी हमारे साथ बने रहे और सुनते रहे ABP Live Podcasts की खास पेशकश - FYI. मैं हूँ Sahiba Khan और पॉडकास्ट की साउंड डिजाइनिंग की है Lalit ने.

 

Host and Producer: @jhansiserani

Sound designer: @lalit1121992

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