Hardik Patel joins BJP : भ्रष्टाचार के आरोप, दंगों में नाम, छोड़ी Congress और थामा BJP का हाथ | FYI | Ep. 249
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“मैं PM Modi की सेना का एक सिपाही बनूंगा”, ये ट्वीट किया है आज Hardik Patel ने। Hardik Patel Gujarat Congress के president थे और उन्होंने इतनी बड़ी पोस्ट छोड़ी है BJP में आने के लिए। मगर हार्दिक ने आखिर क्यों छोड़ा कांग्रेस का साथ, और कैसे थामा BJP का दामन, आज जानेंगे इस FYI में।
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नमस्कार,आदाब सत्श्रीअकाल,
मैं हूँ Sahiba Khan और आप सब सुन रहे हैं ABP Live Podcasts की पेशकश FYI. तो जी कहाँ थे हम - हाँ हार्दिक पटेल के सियासी परवान चढ़ने की कहानी पर। 2019 में पहले हार्दिक पटेल ने Congress पार्टी join की थी। और कुछ हफ़्तों पहले ये खबर आग की तरह फ़ैल गई कि पाटीदार कोटा नेता हार्दिक Congress भी छोड़ रहे हैं। Congress के चिंतन शिविर के बाद उन्होंने शायद इसके बारे में सोचा क्योंकि पार्टी आलाकमान से उनकी नाराज़गी जगज़ाहिर थी। बहुत ही कड़े पत्र में हार्दिक ने Sonia Gandhi को कई कड़वी बातें कहीं जैसे कि - Congress ने कभी भी लोगों को अपना roadmap नहीं दिखाया इसलिए हर राज्य ने कांग्रेस को reject किया, कि कांग्रेस बड़े मुद्दों जैसे कि राम मंदिर, CAA, Article 370 और GST के आढ़े आती रही और कभी इन मुद्दों का हल नहीं निकाला। हार्दिक ने यहाँ तक कह दिया कि Congress के आलाकमान को Gujarat के लोगों से और उनके हित में नीतियां बनाने से ज़्यादा अपने चिकन सैंडविच में दिलचस्पी है। ये बात Rahul Gandhi के लिए कही गई थी। खैर हुआ ये कि इस पत्र के कुछ ही दिन में बाद ये अफवाह उड़ने लगी कि हो सकता है Hardik BJP का दामन थाम लें। कांग्रेस के पूर्व नेता और कभी बीजेपी के धुर आलोचक रहे हार्दिक पटेल (Hardik Patel) आज बीजेपी (BJP) में शामिल होंगे। पटेल ऐसे समय में पार्टी में शामिल हो रहे हैं, जब इस साल के आख़िर में गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections) होने वाले हैं. बीजेपी पिछले दो दशक से ज़्यादा वक़्त से राज्य में सत्ता में हैं. कांग्रेस (Congress) से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व की कड़ी आलोचना की थी जबकि फैसले करने की बीजेपी की क्षमता और कार्यशैली की तारीफ की थी. हार्दिक पटेल 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे और बाद में उन्हें राज्य इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. गुजरात में अगले कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं. जानें कैसा रहा हार्दिक का सियासी सफर.
हार्दिक सबसे पहले पाटीदार आंदोलन से चर्चा में आए
28 साल के हार्दिक पटेल 2015 में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पाटीदार समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर किए गए आंदोलन के दौरान चर्चा में आए थे. उन्होंने इस आंदोलन का नेतृत्व किया था. आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में एक पुलिसकर्मी सहित 10 लोग मारे गए थे और सार्वजनिक संपत्तियों और वाहनों को काफी नुकसान पहुंचा था. इसके बाद पटेल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (ए), 121 (ए) और 120 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया था और वह 2016 से ज़मानत पर हैं. बीजेपी सरकार ने भी हाल ही में 2015 के आरक्षण आंदोलन के संबंध में हार्दिक पटेल और अन्य के खिलाफ दर्ज कई मामलों को वापस लेने के लिए कदम उठाए हैं.
पटेल ने फिर बनाई नवनिर्माण सेना
कुर्मी, पाटीदार और गुर्जर समुदाय को ओबीसी में शामिल करना और उन्हें सरकारी नौकरियां दिलाने के मकसद से हार्दिक पटेल ने 9 सितंबर 2015 को पटेल नवनिर्माण सेना का गठन किया था. इसी साल 18 अक्टूबर को हार्दिक पटेल पर राष्ट्रीय झंडे के अपमान का आरोप लगा और केस दर्ज होने के बाद उन्हें कुछ दिनों के लिए जेल की हवा भी खानी पड़ी.
फिर उन्होंने गुजरात चुनाव में कांग्रेस को सपोर्ट किया
हार्दिक पटेल ने कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले साल 2017 में कांग्रेस को सपोर्ट किया था. इस विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल के अलावा कांग्रेस अल्पेश ठकोर और जिग्नेश मेवानी की मदद से पूरे उत्साह के साथ मैदान में उतरी थी. हालांकि ठकोर बाद में बीजेपी में शामिल हो गए, लेकिन उपचुनाव में हार गए.
फिर आया 2019 जब पाटीदार नेता हुए कांग्रेस में शामिल
हार्दिक पटेल मार्च 2019 में अहमदाबाद में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक के दौरान तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए थे.
मगर फिर भी दंगों के ऐसे दाग लगे थे कि लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाए
मेहसाणा दंगा मामले में जुलाई 2018 में एक सत्र अदालत ने हार्दिक पटेल को दोषी साबित किया था. इसके बाद हार्दिक ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था और दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और वह चुनाव नहीं लड़ सके. बाद में हार्दिक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन वहां से भी उनको कोई राहत नहीं मिली.
हार्दिक पर कितने मुकदमे दर्ज?
- अहमदाबाद और सूरत में देशद्रोह के दो मुकदमे दर्ज
- 2015 में रैली में हुई हिंसा के बाद राजद्रोह का केस
- 2015 में हुई अहमदाबाद से गिरफ्तारी
इसके बाद वो बने गुजरात कांग्रेस के वर्किंग प्रेसिडेंट
जुलाई 2020 में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुजरात में पार्टी को एक बड़ी मजबूती देते हुए हार्दिक पटेल को राज्य इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था. तब पटेल ने कहा था, "गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में मुझे एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. इससे यह भी स्पष्ट होता है कि पार्टी साधारण पृष्ठभूमि के लोगों को बढ़ावा देती है और 2022 में कांग्रेस दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में आएगी."
ये सब बोल कर अब हार्दिक ने लिया कांग्रेस से इस्तीफा
गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए राज्य कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने 5 मई को पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की. हार्दिक पटेल ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस को गुजरात में कोई दिलचस्पी नहीं है, वह सिर्फ नीतियों और कार्यक्रमों का विरोध कर रही है. पार्टी ऐसा विकल्प नहीं बन रही है, जिसकी लोग तलाश कर रहे हैं. पार्टी राष्ट्रहित में और समाज के लिए कार्य करने में विफल रही.
ये सब तो ठीक है, पार्टी बदलने के लिए नेताओं के पास कब बहनों की कमी रही है। मगर दिलचस्प बात ये है कि पाटीदार आंदोलन के सदस्यों ने हार्दिक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए
भावनगर से कभी हार्दिक पटेल के सहयोगी रहे भावेश सोमानी ने कहा था कि उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया पर हार्दिक पटेल के निर्देश पर 'चप्पल' फेंकी थी. सोमानी ने हार्दिक पटेल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा कि हार्दिक ने 2017 में गरियाधर विधानसभा क्षेत्र के चुनाव के लिए टिकट देने के लिए 23 लाख रुपये की रिश्वत ली थी. सोमानी ने कहा, "10 लाख रुपये उनके पिता भरतभाई को उनके अहमदाबाद के फ्लैट में दिए गए और बाकी का भुगतान अंगदिया सर्विसेज के माध्यम से दो किस्तों में किया गया."
तो ये थी हार्दिक की अभी तक की सियासी कुंडली। वो कब विवादों में आये, कैसे उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा और फिर इस्तीफा दे कर अब भाजपा के हो लिए। गौरतलब है कि चुनाव भी पास हैं और साफ़ तौर पर देखा जाए तो हार्दिक को शायद कांग्रेस के जीतने की उम्मीद नहीं लग रही है। अब ठीक है, डूबते हुए जहाज़ में कौन सफर करना चाहेगा। मगर फिर भी, किसी पार्टी के बारे में इतना कुछ बोल कर जब आदमी वापस उसी में आता है तो उसकी कितनी वक़त होती है ये कहना मुश्किल है। मगर हो सकता है कि BJP को भी इस समय पाटीदार वोटों की ज़रूरत हो, तो हार्दिक को कोई चमचमाता पद मिल जाए। ये politics है मेरे यार, यहाँ लोगों को मार कर दफनाया या जलाया नहीं जाता बल्कि मुर्दों को आगे के लिए रख दिया जाता है - क्या पता कल को शायद ये भी बोलने लगें।
Conclusion:
Time: 8.17 - 9.08
फ़िलहाल मैं चलती हूँ, अब अगले FYI में मिलूंगी। पॉडकास्ट की sound-designing की है ललित ने और आप सुन रहे थे ABP Live Podcasts की पेशकश FYI.
Host: @jhansiserani
Sound designing: @lalit1121992