एक्सप्लोरर
कैसा रहा महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय का कार्यकाल और उनके निधन के बाद ब्रिटेन में क्या-क्या बदलेगा? FYI | Ep. 269
Britain, United Kingdom & Scotland

कैसा रहा महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय का कार्यकाल और उनके निधन के बाद ब्रिटेन में क्या-क्या बदलेगा? FYI | Ep. 269

एपिसोड डिस्क्रिप्शन

ब्रिटेन में एक युग का अंत हो गया। महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने कल रात स्कॉटलैंड में बारमोरल कैसल में आख़िरी साँस ली। उनकी उम्र 96 साल की थी। एलिज़ाबेथ द्वितीय के साथ उनके 70 साल लंबे शासकीय कार्यकाल का भी अंत हो गया, जिसे उन्होंने आख़िरी साँस तक निभाया। 70 साल का उनका कार्यकाल किसी भी शासक द्वारा निभाया गया अब तक का सबसे बड़ा कार्यकाल है। वो अपने पीछे 4 बच्चों, 8 पोतों और उनके 12 बच्चों समेत एक बड़ा परिवार छोड़ गई हैं। उनके बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स ने महाराजा की गद्दी सँभाल ली है।

मंगलम् भारत का आपको नमस्कार। FYI यानि कि फ़ॉर योर इन्फ़ॉर्मेशन में हम बात करेंगे महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के कार्यकाल और उनकी चुनौतियों के बारे में और साथ ही जानेंगे कि उनके निधन के बाद आने वाले कुछ वक्त में ब्रिटेन में क्या क्या परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

सबसे पहले बात करते हैं एलिज़ाबेथ के रानी बनने की बात पर। एलिज़ाबेथ का जन्म राजघराने में हुआ और वह जेम्स षष्ठम की बेटी थीं। जेम्स षष्ठम के एक बड़े भाई थे जिनका नाम एडवर्ड अष्टम था। एलिज़ाबेथ के दादा जॉर्ज पंचम की मृत्यु के बाद गद्दी उनके बड़े बेटे एडवर्ड अष्टम के पास आई, लेकिन उसी साल 1938 में उन्होंने तलाक़शुदा वॉलिस सिंप्सन से शादी करने के कारण होने वाले विवाद के चलते हुए गद्दी छोड़ दी। अब उनके छोटे भाई और एलिज़ाबेथ के पिता जेम्स षष्ठम को कार्यभार मिला। 1951 में जब जेम्स षष्ठम का स्वास्थ्य ख़राब रहने लगा तो अक्सर एलिज़ाबेथ उनकी ग़ैर उपस्थिति में सभाओं को संबोधित किया करती थीं। 1952 में अपने पिता जेम्स षष्ठम की मृत्यु के बाद वह रानी बनीं। दो ऐसी संभावनाएँ थीं कि वह रानी नहीं बन पातीं। अगर उनके ताऊ एडवर्ड अष्टम अपनी शादी के कारण गद्दी नहीं छोड़ते और आने वाले बच्चों को जन्म देते। अगर यह नहीं भी होता तो भी अगर एलिज़ाबेथ के पिता जेम्स षष्ठम की कोई पुत्र संतान होती। लेकिन दोनों ही परिस्थितियाँ नहीं हुईं।

अपने संपूर्ण शासनकाल में सिर्फ के 1959 व 1963 में गर्भाधान के दौरान ही उन्होंने ब्रिटिश संसद सत्र का उद्धाटन नहीं किया। अपने शासनकाल के दौरान एलिज़ाबेथ ने बहुत सारे देशों व राष्ट्रकुल राष्ट्रों का आधिकारिक दौरा किया और एक राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर वह सबसे ज्यादा विदेशी यात्राएँ करने वाली शासक रही हैं।

उन्होंने रानी बनने पर पारंपरिक समारूहों में हिस्सा लेते रहने के साथ साथ उन्होंने नई परम्पराएँ भी स्थापित कीं। ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड के 1970 की अपनी यात्रा में उन्होंने पहली बार सामान्य लोगों से मुलाकातें कीं।

1981 में राजकुमार चार्ल्स व लेडी डाएना स्पेंसर के विवाह से 6 हफ्ते पहले ट्रूपिंग द कलर समारोह के दौरान महारानी पर पास से 6 गोलियाँ चलाई गयीं थीं। बाद में पता चला कि गोलियाँ नकली थीं। इसके लिए 17 साल के मार्कस सार्जेंट को 5 वर्ष के कारावास की सजा हुई जिसे 3 वर्ष बाद छोड़ दिया गया।  इस दौरान महारानी के शांतचित्त रहने व अपने घोड़े व जीन को संभाले रखने के कौशल की जम कर प्रशंसा हुई। अप्रैल से सितम्बर 1982 के दौरान महारानी अपने बेटे राजकुमार ऐंड्रयू को फॉकलैंड के युद्ध में लड़ाई करते हुए भी देखा है।

1991 में, खाड़ी युद्ध की जीत की खुशी में अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने वाली वो पहली अंग्रेज शासक थीं। महारानी के कार्यकाल में बहुत बुरे दौर भी आए हैं। 24 नवम्बर 1992 को अपने राज्याभिषेक की चालीसवीं वर्षगाँठ पर एक संबोधन में उन्होंने 1992 को अपने लिये एक भयावह वर्ष बताया। मार्च में उनके दूसरे पुत्र राजकुमार एंड्र्यू, ड्यूक ऑफ़ यॉर्क और उनकी पत्नी सारा, डचेस ऑफ़ यॉर्क का तलाक हो गया था; अप्रैल में, उनकी बेटी ऐनी, शाही राजकुमारी का भी अपने पति कप्तान मार्क फिलिप्स से अलगाव हो गया।  अक्टूबर में ज़र्मनी के अपने एक राजसी दौरे पर ड्रेसडेन में प्रदर्शनकारियों ने उनपर अंडे फेंके और नवम्बर में विंडसर किले को आग से बहुत नुकसान पहुंचा था। राजसत्ता को बहुत ज्यादा नकारात्मक छवि व जनता के गुस्से व दिलचस्पी का सामना करना पड़ा था। २००७ में वह प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की नीतियों से वो खफा थीं। ब्रिटिश सेनाओं की अफगानिस्तान व इराक़ में जरूरत से ज्यादा समय तक तैनाती से भी वह चिंतित थीं।

रानी ने 2012 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक की शुरुवात 27 जुलाई और 2012, ग्रीष्मकालीन पैरालम्पिक्स की शुरुवात 29 अगस्त 2012 को लंदन में की। इसके पहले वह 1976 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक का मॉन्ट्रियल में उद्घाटन कर चुकी हैं। दो देशों में दो ओलम्पिकों का उद्घाटन करने वाली वो अकेली राष्ट्राध्यक्ष हैं।

तीन बार ऐसे मौक़े आए जब महारानी का भारत आना हुआ। 1961 में पंडित नेहरू ने उन्हें भारत आने का बुलावा भेजा। राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद, प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और उप राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ख़ुद उन्हें हवाई अड्डे पर लेने पहुँचे। इसके बाद 1983 में इंदिरा गाँधी के कार्यकाल के दौरान उनका दूसरी बार भारत आना हुआ, इस दौरान वह नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा से भी मिलीं। आख़िरी बार 1997 में जब भारत ने आज़ादी के 50 साल पूरे किए, तब वह भारत आईं।

अब हम बात करते हैं कि महारानी के निधन के बाद ब्रिटेन और समूची दुनिया में क्या क्या बदलाव देखने को मिलेंगे।

महारानी के निधन के बाद उनके बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स महाराजा बनेंगे। इसके साथ ही 10 दिनों तक संसद का काम बन्द रहेगा। आपको बता दें कि महारानी ने स्कॉटलैंड में दो दिन पहले ही लिज़ ट्रस को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। पूरे युनाइटेड किंगडम में 1 दिन का शोक रहेगा। उनके अंतिम संस्कार को ऑपरेशन यूनिकॉर्न का कोडनेम दिया गया है।   

महारानी के निधन के बाद युनाइटेड किंगडम के ऑफ़िसर्स और आर्मी की यूनिफ़ॉर्म में बदलाव किये जाएँगे। पहले की वर्दियों में क्वीन साइफ़र दिखाई देते थे, वहीं अब नई तस्वीरों में किंग साइफ़र दिखाई देंगे।

देश में 4.5 अरब बैंक नोट ऐसे हैं, जिन पर रानी का चेहरा है। 1952 में जब महारानी सिंहासन में बैठी थीं, तब सिक्कों या नोटों पर उनकी Photo नहीं थी। 1960 में पहली बार डिजाइनर रॉबर्ट ऑस्टिन ने नोटों में एलिजाबेथ second का चेहरा लगाया था। इसके बाद इस बात की आलोचना भी हुई थी। अब इसे हटाकर नए किंग बने प्रिंस चार्ल्स की फोटो लगाए जाने की उम्मीद है।

अगर ये बदलाव होते हैं तो इसमें तकरीबन 2 साल का वक्त लग सकता है.... प्रिंस चार्ल्स चाहें तो कई रॉयल सिंबल्स को पहले की तरह ही चलने दे सकते हैं।

महारानी एलिजाबेथ II का सिक्का ब्रिटेन के पाउंड के अलावा 10 और देशों में चलता है। कनाडा में कई ऐसे नोट आज भी चलते हैं, जिनमे महारानी की फोटो है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजियन सहित कई देशों के कुछ नोटों में महारानी का चेहरा इस्तेमाल किया जाता है। धीरे-धीरे इन देशों के नोटों में भी बदलाव हो सकता है।

बकिंघम पैलेस और रानी के कार्यकाल से संबंधित सभी स्टाम्प में बदलाव किया जाएगा। इन स्टाम्प में रानी का चेहरा इस्तेमाल किया जाता था, वहीं अब इसकी जगह राजा का चेहरा इस्तेमाल में लाया जाएगा।

महारानी के निधन के बाद युनाइटेड किंगडम के राष्ट्रगान में भी बदलाव किया जाएगा। जहाँ रानी के कार्यकाल के दौरान राष्ट्रगान में गॉड सेव द क्वीन शब्द का इस्तेमाल होता था, वहीं अब नए राजा के कार्यकाल में गॉड सेव द किंग शब्द का इस्तेमाल होगा।

1952 के बाद यह पहला मौक़ा होगा जब राष्ट्रगान में गॉड सेव द किंग शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। 1952 में आख़िरी बार किंग जॉर्ज 6 के लिए इस शब्द का प्रयोग किया गया था।

ब्रिटेन में पुलिस स्टेशनों के बाहर लगने वाले Flags से लेकर Navy के जहाज में Use होने वाले Flags में Changes किए जा सकते हैं।

एलिजाबेथ सेकेंड के कई झंडे का उपयोग उन देशों में किया जाता है जहां वह राज्य की प्रमुख हैं। ऐसे में उनके निधन के बाद उन सभी फ्लैग्स में बदलाव किए जा सकते हैं, जो विशेष तौर पर केवल महारानी के मौजूदगी में ही इस्तेमाल किए जाते थे।

महारानी न केवल युनाइटेड किंगडम की महारानी थीं, बल्कि इसके साथ ही 14 अलग देशों की भी स्टेट ऑफ़ हेड थीं, जिसमें कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, जमैका जैसे देश आते हैं। 14 अलग देशों की महारानी होने के बाद वह 54 कॉमनवेल्थ देशों में भी प्रमुख थीं। अब रानी के उत्तराधिकारी होने के नाते प्रिंस चार्ल्स के पास इसकी गद्दी नहीं जाएगी, बल्कि कॉमनवेल्थ देशों के प्रतिनिधि इस पर फ़ैसला लेंगे। संभव है कि इन 54 देशों में कई देश ऐसे भी होंगे, जो ख़ुद को गणतंत्र बनाकर ख़ुद के स्टेट ऑफ़ हेड नियुक्त करेंगे।

चर्च ऑफ इंग्लैंड की सुप्रीम गवर्नर महारानी थीं। चर्च में होने वाली कॉमन प्रेयर की किताब में महारानी के लिए कई प्रार्थनाएं हैं। ये प्रार्थनाएं 1662 में पहली बार लिखी गई थीं। तभी से चर्च की सामान्य प्रेयर में देश के सम्राट/महारानी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रेयर की जाती है। अब महारानी के निधन के बाद प्रिंस चार्ल्स के लिए प्रार्थना की जाएगी। इसीलिए चर्च की किताबों में संशोधन किए जाने की उम्मीद है।

इसके अलावा संसद में जो शपथ ली जाती है उसमें भी चेंजेज होंगे....1952 से ही सभी सांसद अपनी शपथ में महारानी एलिजाबेथ का जिक्र करते आए हैं कि महारानी एलिजाबेथ और उनके successors के प्रति ईमानदार रहेंगे, अब जबकि महारानी का निधन हो गया है उसके बाद इस शपथ में भी बदलाव किया जा सकता है।

तो ये थी महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के जीवन और उनके निधन के बाद होने वाले बदलावों पर एक रिपोर्ट। मैं हूँ मंगलम् भारत। सुनते रहें ABP LIVE PODCAST.

फुल प्लेलिस्ट
और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

भारतीयों के लिए जर्मनी से आई खुशखबरी, इमिग्रेशन नियमों में दी ढील, कामगारों के लिए जारी किए जाएंगे 2 लाख वीजा
भारतीयों के लिए जर्मनी से आई खुशखबरी, इमिग्रेशन नियमों में दी ढील, कामगारों के लिए जारी किए जाएंगे 2 लाख वीजा
दिल्ली में कांग्रेस को बड़ा झटका, AAP के हुए सुमेश शौकीन, अरविंद केजरीवाल ने दिलाई सदस्यता
दिल्ली में कांग्रेस को बड़ा झटका, AAP के हुए सुमेश शौकीन, अरविंद केजरीवाल ने दिलाई सदस्यता
खेसारी लाल यादव के साथ आकांक्षा पुरी ने जिम में किया ऐसे वर्कआउट, लोगों ने पूछा- 'ये कौन-सी एक्सरसाइज है'
खेसारी लाल यादव के साथ आकांक्षा पुरी ने जिम में किया ऐसे वर्कआउट
IND vs AUS: इस ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज की विराट से थी पुरानी दुश्मनी! पर्थ टेस्ट से पहले किया खुलासा
इस ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज की विराट से थी पुरानी दुश्मनी! पर्थ टेस्ट से पहले किया खुलासा
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

'कौरवों के पास अथाह पैसा था लेकिन...', दिल्ली में सियासी हलचल के बीच बोले  - Arvind KejriwalMaharashtra Politics: MVA पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का जोरदार हमला | ABP News | Breaking NewsBreaking: AAP छोड़ बीजेपी में शामिल होते ही कैलाश गहलोत ने दिया बड़ा बयान | Kailash Gehlot | ABP NewsRahul Gandhi on PM Modi: महाराष्ट्र चुनाव के बीच राहुल गांधी ने बीजेपी के सामने खोला सवालों का लॉकर

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
भारतीयों के लिए जर्मनी से आई खुशखबरी, इमिग्रेशन नियमों में दी ढील, कामगारों के लिए जारी किए जाएंगे 2 लाख वीजा
भारतीयों के लिए जर्मनी से आई खुशखबरी, इमिग्रेशन नियमों में दी ढील, कामगारों के लिए जारी किए जाएंगे 2 लाख वीजा
दिल्ली में कांग्रेस को बड़ा झटका, AAP के हुए सुमेश शौकीन, अरविंद केजरीवाल ने दिलाई सदस्यता
दिल्ली में कांग्रेस को बड़ा झटका, AAP के हुए सुमेश शौकीन, अरविंद केजरीवाल ने दिलाई सदस्यता
खेसारी लाल यादव के साथ आकांक्षा पुरी ने जिम में किया ऐसे वर्कआउट, लोगों ने पूछा- 'ये कौन-सी एक्सरसाइज है'
खेसारी लाल यादव के साथ आकांक्षा पुरी ने जिम में किया ऐसे वर्कआउट
IND vs AUS: इस ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज की विराट से थी पुरानी दुश्मनी! पर्थ टेस्ट से पहले किया खुलासा
इस ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज की विराट से थी पुरानी दुश्मनी! पर्थ टेस्ट से पहले किया खुलासा
खतरनाक पॉल्यूशन से जा सकती है आपकी जान, पूरे परिवार के लिए मंगवा लें इस तरह के मास्क
पॉल्यूशन से जा सकती है आपकी जान, पूरे परिवार के लिए मंगवा लें ये मास्क
मलाइका अरोड़ा ने पृथ्वी नमस्कार के बताए फायदे, जानें यह सूर्य नमस्कार से कितना है अलग?
मलाइका अरोड़ा ने पृथ्वी नमस्कार के बताए फायदे, जानें यह सूर्य नमस्कार से कितना है अलग?
गजब की कलाकारी! इस रेस्टोरेंट में खाना नहीं टेबल देखकर भी मुंह में आएगा पानी, देख लें वीडियो
गजब की कलाकारी! इस रेस्टोरेंट में खाना नहीं टेबल देखकर भी मुंह में आएगा पानी, देख लें वीडियो
मोदी की ब्राजील यात्रा और भारत की G20 अध्यक्षता की विरासत देगी भविष्य की वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को आकार
मोदी की ब्राजील यात्रा और भारत की G20 अध्यक्षता की विरासत देगी भविष्य की वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को आकार
Embed widget