International Men's Day : वो बातें पुरुषों के बारे में जो महिलाओं को नहीं पता, सुनिए पुरुषों से | FYI
एपिसोड डिस्क्रिप्शन
हाँ मैं एक लड़की हूँ लेकिन आज बात लड़कों की करुँगी।नहीं कोई बढ़ाई नहीं करुँगी पर बुराई भी नहीं करुँगी।
दुनिया भर में करीब 60 से भी ज़्यादा देशों में हर साल 19 नवंबर को International Men's Day मनाया जाता है। कहते हैं इंडिया तो पुरुष प्रधान देश है , फिर Men's Day की क्या ज़रूरत ? अब जिस तरह ये कह दिया जाता है एक लड़की को कोई नहीं समझ सकता सच बताऊं तो लड़कों को भी कम ही समझ पाते हैं हम।। क्यूंकि सारे मर्द हमें एक जैसे ही लगते हैं। But not all men are same। और वो क्या चीज़ें है जो हम महिलाओं को मर्दों के बारे में समझनी चाहिए , आईये बात करते हैं आज के FYI में Males से ! Hello, मैं मानसी हूँ आपके साथ ABP LIVE PODCASTS पर
International Men’s Day was inaugurated in 1992 by Thomas Oaster . और इसकी इम्पोर्टेंस को revive किया गया 1999 में by Dr Jerome Teelucksingh, a history lecturer at University of the West Indies in Trinidad and Tobago. Dr Teelucksingh chose to host International Men’s Day on November 19, अपने पिता के बर्थडे पर। और थोड़ा पीछे हिस्ट्री में जाएं तो In 1968, American journalist John P. Harris ने सेलाइन जर्नल में एक एडिटोरियल लिखा था सोवियत सिस्टम में Lack of Balance को लेकर , जिसमें उसने ये कहा की सोवियत सिस्टम Women's Day मनाता है महिलाओं के समाज में योगदान के लिए लेकिन Mens Day जैसी कोई चीज़ नहीं ? हर्रिस ने लिखा की ये असामनता है उनके कम्युनिस्ट सिस्टम में। 1960 से 1990 तक बार बार विमेंस डे के साथ साथ मेंस डे मनाने को लेकर मीडिया में छापा गया जिसके चलते मेंस डे मनाने को लेकर एक शुरुआत की गयी।
Shockingly, out of 1000 men, 51.5 per cent experience spousal violence in India at least once in their lives. Emotional abuse is the most prevalent form of marital or domestic violence against males (51.6%), with physical abuse coming in second (6%). The 4 most common reasons why domestic violence cases against Indian men go unreported: general stereotypes against males, fear of fake cases, societal and family pressure, and denial. डाटा तो बहुत कुछ कह रहा है की लेकिन सवाल यही है की क्या आप यकीन करोगे ?
इसलिए हम बात आज इस डाटा पे और नहीं करेंगे बल्कि इस पर करेंगे की वो क्या चीज़ें हैं जो महिलाओं को भी मर्दों की समझनी चाहिए। और इसी से हम इस डाटा को कम कर सकते हैं . बात की मैंने कुछ Males से।। सुनिए क्या जवाब मिले।