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Marital Rape | Delhi High Court का बंटा फैसला, शादी के बंधन में क्या बीवी से ज़बरदस्ती,  रेप की श्रेणी में आएगा | FYI | Ep. 240
rape, Section 375 & Women Rights

Marital Rape | Delhi High Court का बंटा फैसला, शादी के बंधन में क्या बीवी से ज़बरदस्ती, रेप की श्रेणी में आएगा | FYI | Ep. 240

एपिसोड डिस्क्रिप्शन

Introduction:

Time: 0.10 - 0.58

11 मई, 2022  वो दिन जब 2 अदालतों के 2 बड़े फैसले आये और वो भी 2 बहुत ही अहम मुद्दों पर। एक sedition यानी कि राजद्रोह पर तो दूसरा Marital Rape पर। चूँकि हमारे पास वक़्त कम और ज्ञान ज़्यादा होता है, हम आज इन दोनों में से एक मुद्दे को उठाएंगे जो है Marital Rape का मुद्दा। आखिर क्या वर्डिक्ट रहा इस पर और क्या असर पड़ेगा इस फैसले का Marital Rape पर हो रही चर्चा पर, आज जानेंगे इस एपिसोड में।

Body:

Time: 1.00 - 

Time:तो सबसे पहले तो नमस्ते, आदाब सत्श्रीअकाल,

मैं हूँ आपकी host Sahiba Khan और आप सुन रहे हैं अपना favourite ज्ञानवादी podcast - FYI यानी कि For Your Information. Delhi High Court की 2 जज की बेंच ने एक फैसला सुनाया। मुद्दा था शादी में रेप का और फैसला आया 2 तरफ़ा यानी कि Split verdict. कुछ याचिकाओं को सुनने और समझने के बाद Justice Rajiv Shakdher और Justice C Hari Shankar ने अलग अलग फैसले सुनाये और दोनों ही एक दूसरे के विपरीत। इसलिए ये केस बना Split Verdict का।

 

क्या था फैसला?

 

संविधान में Indian Penal Code की धारा 375 define करता है, परिभाषित करता है Rape को। क्या होता है Rape. अब उस Section में है एक exception यानी कि छूट एक अपवाद है. अपवाद ये है कि अगर पति पत्नी के साथ जबरन शारीरिक सम्बन्ध बनाने की कोशिश करता है तब उसे रेप नहीं मन जायेगा। इस परिस्थिति में पति गलत नहीं है। चूँकि वो उसकी पत्नी या, इसलिए वो ये कर सकता है। और इसी exception को Delhi High Court में चैलेंज किया गया था। कुछ याचिकाएं डाली गई थीं 

 

अब आइये पूरे मुद्दे को समझते हैं 

 

अदालत 4 याचिकाओं को सुन रही थी जिसमें धारा 375 के इस exception को चैलेंज किया गया था। कुछ NGO और संस्थानों ने याचिकाएं डाली थीं तो कुछ लोगों ने। जैसे कि एक याचिकाकर्ता थे All India Democratic Women’s Association (AIDWA) जिनकी तरफ से Advocate Karuna Nundy ने ये केस लड़ा तो वरिष्ठ वकील Colin Gonsalves ने एक व्यक्ति के तरफ से याचिका दायर की। याचिका थी कि धारा 375 का एक्सेप्शन कि पति की पत्नी के साथ ज़बरदस्ती रेप नहीं कह लाएगी - ये कितना संवैधनिक है। इस exception की संवैधानिकता के ऊपर प्रश्न करती है ये याचिकाएं। अब इसी बीच कुछ Men’s Right Organizations की दलीलें भी कोर्ट ने सुनीं। वरिष्ठ वकील Rebecca John और Rajshekhar Rao ने कोर्ट के लिए amicus curiae का काम किया। amicus curiae वो वकील होते हैं जो दोनों में से किसी भी party के लिए या उसके खिलाफ नहीं बोलते। वो सिर्फ अदालत को अपनी expertise, अनुभव और ज्ञान द्वारा किसी particular मुद्दे पर guide करने के लिए appoint किये जाते हैं। 

 

अब आ जाते हैं अपवाद यानी कि exception पर, आख़िर प्रॉब्लम क्या है। 

 

IPC की धारा 375 बताती है वो 7 परिस्थितियों में जब आपकी मर्ज़ी को नज़रअंदाज़ किया जाता है, वो 7 situations जिनमें consent को उल्लंघन होता है एक आदमी द्वारा। हालाँकि इसी धारा में एक अलावा है, एक exception यानी कि अपवाद है -

“Sexual intercourse or sexual acts by a man with his own wife, the wife not being under eighteen years of age, is not rape.”

 

हिंदी में समझाती हूँ -

"अगर आपकी पत्नी 18 साल से ऊपर है और अगर अपनी ही व्यस्क पत्नी के साथ एक पुरुष जबरन यौन संबंध या यौन कृत्य करता है, तो वो बलात्कार नहीं माना जायेगा "

यह छूट basically, एक पति को ये वैवाहिक अधिकार देती है, एक कानूनी मंज़ूरी देती है कि वो अपनी पत्नी की मर्ज़ी या रज़ामंदी के बगैर उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध सम्बन्ध बना सकता है। 

 

इस exception को गुजरात उच्च न्यायालय के सामने इस आधार पर चुनौती दी जा रही है कि यह एक महिला की वैवाहिक स्थिति के आधार पर उसकी सहमति को कमज़ोर करता है। यानी कि अगर महिला शादीशुदा है तो क्या उसे हक़ नहीं पति द्वारा शारीरिक सम्बन्ध बनाने से मना करने का। ये तो आपकी स्वतंत्रता पर भी चोट है। और तो और, कर्नाटक हाई कोर्ट में तो इस छूट, इस exception के बावजूद जज साहब ने एक आदमी पर Marital Rape आरोप लगाने की इजाज़त देदी है।

दिल्ली उच्च न्यायालय में  जो split verdict यानी कि दो-तरफ़ा फैसला आया है उसे उम्मीद की किरण माना जा रहा है। अब इसमें Supreme Court भी दखल दे सकता है। 

आपको बताते हैं कि सरकार का इस पर क्या कहना है

तो जी सुप्रीम Court में चल रहे देशद्रोह वाली IPC धारा 124 A की तर्ज़ पर ही इस केस में दिल्ली सरकार पहले तो रेप की धारा 375 की इस छूट पर अड़ी थी कि नहीं ये ठीक है, excpetion होना चाहिए। दिल्ली सरकार का कहना था कि इस छूट में कोई तबदीली नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे आदमियों को गलत तरीके से बिदाया भी जा सकता है और इससे शादी जैसे बंधन को हम ख़राब कर देंगे। 

मगर अब U-turn लेकर सरकार का कहना है कि अभी इस पर और विचार-विमर्श करने की ज़रूरत है, लोगों से बात करने की ज़रूरत है, इसमें सुधार होने की ज़रूरत है। अब सरकार ने ये U-Turn क्यों लिया ये तो वही बता सकते हैं।

 

मगर मैं ये जो बार-बार बोल रही हूँ Split Verdict, ये क्या होता है और जब Split वर्डिक्ट आता है तब क्या होता है?

Split verdict के मामले में, मामले की सुनवाई एक बड़ी बेंच को ट्रांसफर हो जाती है। यही वजह है कि ज़्यादातर judges आमतौर पर महत्वपूर्ण मामलों के लिए odd numbers में पीठ बनाते हैं जिनमें 3,5 या 7 जजस हों ताकि ऐसे split verdict से बचा जा सके।

अब ये केस या तो High Court की बड़ी बेंच, शायद 3 judge वाली बेंच के पास जाएगा या फिर सीधा Supreme Court के पास भी जा सकता है क्योंकि High Court ने पहले ही इस केस को Supreme Court में ले जाने का प्रमाणपत्र दे दिया है, ये सोचकर कि केस में कानूनों को बदलने की बात हो रही है।

 

बुधवार यानी कि कल के Split Verdict से क्या हमें आगे का कुछ पता लगता है कि आगे क्या हो सकता है ?

 

तो भले ही फैसला 2 तरफ़ा आया हो मगर Justice Shakdher के फैसले ने उस चर्चा को आगे बढ़ाया है जो कई सालों से औरतों के हक़ की लड़ाई का एक अहम मुद्दा बना हुई थी। अभी पहले मैंने आपको कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक केस की सुनवाई का उदाहरण दिया था कि कैसे जज साहब ने धारा 375 में छूट होने के बावजूद  एक आदमी पर marital rape के आरोप को तवज्जो दी है और उस पर ये charge लगाया है। और जब मामला Supreme Court में पहुंचा तो Supreme Court ने भी इस फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया। तो हमें तो पता है कि अगर supreme court ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले पर stay नहीं लगाया तो शायद वो इस धारा में तबदीली लाने की बात को सुनेंगे ज़रूर।

Conclusion:

Time: 9.40

तो खैर कह सकते हैं कि कुछ positive आउटकम आ सकता है इन सबसे। मगर दोनों पक्षों की बातें सुनना और समझना ज़रूरी हैं। अभी तो बंटा हुआ फैसला आया है। कुछ दिन इंतज़ार करें, जब पूरा फैसला आएगा तब हम आपकी बात हमारे guest expert से कराएँगे जो दोनों ही पक्षों की बात को निष्पक्षता के साथ समझायेंगे। आखिरी फैसला आने पर चर्चा करेंगे कि अब वहां से बात कितने दूर जाएगी इस मुद्दे पर और क्या क्या और असर पड़ेगा भारत में औरतों की हक़ की लड़ाई पर।

फिलहाल मैं चलती हूँ , दोबारा लौटूंगी अगले FYI में। Podcast की sound-designing  Lalit ने। अपना ख्याल रखें और सुनते रहे ABP Live Podcasts की खास पेशकश - FYI. 

Host and Producer: @jhansiserani

Sound designer: @lalit1121992

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