Muslim-mukt BJP: इतिहास में पहली बार दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी BJP में नहीं होगा एक भी मुस्लिम सांसद या विधायक | FYI | Ep. 263
एपिसोड डिस्क्रिप्शन
‘सबका साथ सबका विकास’, यही नारा है BJP का। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली BJP ने हमेशा ही खुद को अलग बताया है, ये कह कर कि हम सबको साथ लेकर चलते हैं। हालांकि ज़मीनी सच्चाई कुछ अलग दिखाती है। 6 जुलाई, 2022 यानी कि कल बुधवार को अल्पसंख्यक मंत्रालय यानी कि Ministry of Minority affairs मंत्री Mukhtar Abbas Naqvi ने इसितफा दिया क्योंकि उनका कार्यकाल ख़तम हो चुका था। Mukhtar Abbas Naqvi के इस्तीफे के बाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दवा करने वाली BJP से एक भी मुस्लिम सांसद या विधायक नहीं है। तो जब प्रतिनिधित्व नहीं है, मुस्लिम नहीं है तो फिर कैसे सबके साथ सबका विकास का नारा सही है, इसी पर चर्चा करेंगे आज।
नमस्कार, आदाब, सत्श्रीअकाल,
मैं हूँ Sahiba Khan और आप देख रहे हैं UNCUT. आज यानी कि 7 जुलाई के बाद, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास लोकसभा या राज्यसभा में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं होगा। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों माने Union Territory की 31 विधानसभाओं में से किसी एक में भी मुस्लिम विधायक नहीं होगा।
लोकसभा और राज्यसभा में कुल मिलाकर 4908 सीटें हैं।
लोकसभा की 543 सीटें, राज्यसभा की 245 सीटें और बाक़ी legislative bodies की सीटें मिला लें तो बाकी 4120 का आंकड़ा आ जाएगा।
पत्रकार रहे और पूर्व केंद्रीय मंत्री MJ Akbar, जिन पर अक्टूबर, 2018 के #MeToo watershed moment में कई महिलाओं ने sexual harassment के आरोप लगाए थे, उन्हें भी बीच में से ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उनका कार्यकाल 29 जून को समाप्त हो गया। इसके बाद, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद ज़फर आलम का कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त हो गया और इसके ठीक तीन दिन बाद राज्यसभा में सदन के deputy leader और फिर Minority Affairs के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कार्यकाल 7 जुलाई को समाप्त हो गया है।
लोकसभा में BJP के आख़िरी मुस्लिम सांसद शाहनवाज हुसैन थे, जो 2009 के General Election में बिहार के भागलपुर से जीते थे।
भारत में मुसलमान पूरी आबादी का करीब 15.5% है। तो अब सवाल वही आ कर खड़ा हो जाता है कि जो पार्टी सबका साथ सबका विकास की बात करती है उसमें भारत के 20-22 करोड़ की मुस्लिम आबादी का एक भी शख्स आखिर कैसे नहीं है।
इसका जवाब जानना आसान नहीं है। इसलिए हमें कुछ patterns follow करने होंगे।
एक बात तो ये है कि सियासी जानकारों का का मानना है कि BJP से मुसलमान हताश और निराश हैं। ध्रुवीकरण की राजनीती के चलते मुसलमान पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं कि वोट पूरा एकतरफा पड़ जाए। एक फैक्ट ये भी है कि भारत में इस समय मुसलमान BJP candidates को हराने के लिए वोट डाल रहे हैं। BJP को भी ख़ास फायदा नहीं हुआ मुस्लिम candidates field करने में तो उन्होंने भी सोचा कि हटाओ, जब फायदा ही नहीं तो फिर ये representation का लिबास भी क्यों पहना जाए। UP में चुनाव के दौरान कई मुस्लिम बहुल इलाकों में गए तो लोगों ने यही कहा कि BJP के candidates कहते हैं कि हमें आपके वोट की ज़रूरत नहीं क्योंकि बाकी तो हमें वोट कर ही रहे हैं। कई लोगों को ऐसा भी लगता है कि BJP खुद बहुत चाओ से प्रचार-प्रसार नहीं करती अगर उस इलाके में मुस्लिम ज़्यादा हैं। हालांकि ये theory रामपुर और आज़मगढ़ में गलत साबित हुई। रामपुर में कुल 51% मुस्लिम आबादी है। रामपुर, जिसे Azam Khan का गढ़ मन जाता रहा है, वहां Ghanshyam Lodhi 40,000 वोटों से जीत गए। आजमगढ़ में भी SPA के धर्मेंद्र यादव को BJP के दिनेश यादव ‘Nirahua’ ने हरा दिया। इस पर भी एक counter argument ये है voting के दिन कई चुनाव क्षेत्रों से और गली-कूचों से खबरें आईं कि पुलिस मुसलमानों को वोट डालने ही नहीं दे रही है। खुद आज़म ख़ान ने ट्विटर पर video और तसवीरें साझा करीं जहाँ लोग कह रहे हैं कि उन्हें वोट नहीं डालने दिया जा रहा। अखिलेश यादव ने भी कहा कि fake voting कराई जा रही है, कई voting booths में EVM मशीनें ख़राब पाई गई हैं। खबरें तो ये भी आईं कि SPA के नेताओं और कार्यकर्ताओं को BJP ने खासा परेशान किया उस दिन।
आपको बताती चलूँ कि आजमगढ़ में उस दिन वोटिंग percentage 49.43 था और रामपुर जैसे मुस्लिम बहुल इलाके में voting percentage था 41.39. BJP ने भी दोनों क्षेत्रों में OBC factor ध्यान में रखते हुए OBC कैंडिडेट्स ही चुने। उसमें अगर वोट करने पर रोक की खबरें, EVM ख़राब और पार्टी कार्यकर्ताओं को परेशान करने की ख़बरों को साथ लेकर देखा जाए तो शायद ये नहीं कहा जा सकता कि अब मुस्लिम समाज भी धीरे-धीरे BJP का वोटर बन रहा है।
अब आ जाते हैं एक और थ्योरी पर - कि क्या मुसलमान SPA का मोह छोड़ रहे हैं?
bypoll नतीजों से तो ऐसा ही लग रहा है। मगर ये नतीजे संसद में पुख्ता दिखाई नहीं दे रहे क्योंकि मुस्लिम कैंडिडेट ही नहीं है दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के पास। मगर मोदी सरकार लोगों को हमेशा चौंकाती ही है। चाहे वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का चयन हो जिसमें एकनाथ शिंदे को हाल ही में मुख्यमंत्री बनाना हो या फिर झारखंड में हेमंत सोरेन को रिझाना हो। जी हाँ कांग्रेस के साथ गठबंधन में बनी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार का BJP की तरफ झुकाव जगज़ाहिर है। BJP की राष्ट्रपति nominee Droupadi Murmu को सोरेन सरकार ने अपना समर्थन दिया है। तो सियासी रणनीति समझना अभी बहुत मुश्किल है। हमें ये भी याद रखना होगा की ऐसे नाज़ुक माहौल में जहाँ एक तरफ नूपुर शर्मा के बयान की खाड़ी देशों ने निंदा की और BJP को उन्हें पार्टी से हटाना पड़ गया, क्या ऐसे समय में दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का तमगा पहने BJP सही में मुस्लिम नेता नहीं रखेगी? बातें तो ऐसी भी हो रहे हैं की उप राष्ट्रपति की कुर्सी पर मुख़्तार अब्बास नक़वी भी बैठ सकते हैं। और कहीं न कहीं 2024 में BJP को मुस्लिम वोट की जब ज़रूरत पड़ेगी ही, तब के लिए शायद मोदी सरकार का भारत के मुसलमानों के लिए ये एक प्लान हो सकता है। प्रतिनिधित्व कम तो होगा ही मगर शून्य पर होना एक बहुत निराशाजनक बात होगी क्योंकि भारत पर कई देशों की और खासकर कि मुस्लिम देशों की नज़रें गढ़ी हुई हैं। बाहरी रिश्तों को संजो कर रखने वाले PM Modi शायद अब ये रिस्क नहीं लेंगे। देखना होगा कि अंत में लोग सरकार के किस फैसले से चौंकते हैं।
OUTRO
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Guest: Arathi Radhika Jerath