NEET UG Exam 2022: 'एग्जाम देना है तो पहले उतारें ब्रा...' NEET परीक्षा से पहले छात्राओं से की गई बदसलूकी, केस दर्ज | FYI | Ep. 268
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क्या security के चक्कर में लोगों से, और ख़ासकर के महिलाओं से, उनके undergarments उतरवाने की इजाज़त है? बच्चे cheating न कर पाएं, क्या इस वजह से एक exam से पहले बगैर किसी cheating के सबूत के, उनसे उनके कपड़े उतरवाए जा सकते हैं? क्या असर पड़ता है लोगों पर इस तरीके से उन्हें treat करने का, वो भी एक ज़रूरी exam से पहले…
आज इन सभी बातों पर चर्चा होगी। क्यों? बस हमारे साथ बने रहें, हम आपको पूरी जानकारी देंगे।
तो ख़बर आई है कि केरल (Kerala) में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट (NEET) के दौरान लड़कियों को कथित तौर पर ब्रा (Bra) उतारने को मजबूर किया गया है। ये मामला तब सामने आया जब एक लड़की के पिता ने थाने पहुंचकर इस पूरे घटनाक्रम की शिकायत की और FIR दर्ज कराई। बताया जा रहा है कि परीक्षा के लिए हॉल में प्रवेश से पहले सुरक्षा जांच में लड़की की ब्रा में लगे मेटल के हुक के कारण बीप हो रहा था जिसके बाद उसे ब्रा उतारने को मजबूर किया।
पूरा मामला बताते हैं
कोल्लम ज़िले के NEET केंद्र मार्थोमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशम टेक्नोलॉजी (TEXT: Marthoma Institute of Information Technology) में एक महिला सुरक्षाकर्मी ने जांच के दौरान लड़की से कहा था कि ब्रा के हुक के कारण उसे अपनी ब्रा हटा देनी चाहिए। लड़की के विरोध करने पर उसे ये भी कहा गया कि अगर उसने ब्रा नहीं हटाई तो उसे मेडिकल प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी. हैरान कर देने वाली बात ये है कि शिकायत के मुताबिक, लड़की से ये कहा गया कि, आपके लिए आपका भविष्य बड़ा है या innerwear? इसे हटा दीजिए और हमारा समय बर्बाद न कीजिए।
वहीं, मामले के सामने आने के बाद परीक्षा केंद्र ने इस पूरे मामले में कोई भी ज़िम्मेदारी लेने से इनकार किया है. कोल्लम पुलिस ने पुष्टि करते हुए कहा कि, माता-पिता ने शिकायत दर्ज कराई है साथ ही आरोप लगाया है कि कई लड़कियों को उनके innerwear हटाने के लिए मजबूर किया गया. लड़की के पिता ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि, सुरक्षा जांच के दौरान मेरी बेटी से कहा गया कि उसकी ब्रा में हुक होने के चलते मेटल डिटेक्टर में बीप हो रहा है. उन्होंने बताया कि 90 प्रतिशत छात्राओं से उनके innerwear उतरवाए गए जिसके चलते परीक्षा देते समय छात्रा मानसिक रूप से परेशान थी.
अब जानते हैं कि National Testing Agency ने इस पर क्या कहा और क्या NEET के नियम इस तरीके से frisking की इजाज़त देते हैं?
NTA ही वो authority है जो NEET परीक्षा की ज़िम्मेदार लेती हैं। मामले के सामने आने के बाद अब केरल (Screenshot and highight of tweet) उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू ने कहा कि, "हमने एनटीए और केंद्र को पत्र लिखकर इस तरह की कार्रवाई के प्रति अपनी अस्वीकृति व्यक्त की है. उन्हें अपने अधिकारियों द्वारा गलत व्याख्या से बचने के लिए अपने निर्देश ठीक से बनाने चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करना है कि एक छात्र की मनोवैज्ञानिक स्थिति बाधित न हो." वहीं, इसके अलावा, National Testing Agency (राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी) ने भी मामले को लेकर कहा कि, NEET ड्रेस कोड ऐसी किसी भी एक्टिविटी की इजाज़त नहीं देता है।” और उन्होंने ये भी कहा कि ऐसी कोई भी हरकत उनके लोगों ने छात्राओं के साथ नहीं की है और न ही उस समय ऐसी कोई complain आई।”
NTA के डायरेक्टर-जनरल Vineet Joshi ने Indian express को बताया कि उनके कर्मचारियों को संवेदनशील तरीके से Frisking यानी कि तलाशी लेने की training दी गई है। वो ऐसा नहीं कर सकते।
ये पहली बार नहीं है जब NEET की परीक्षा में लड़कियों से उनके innerwear उतरवाए गए हों। . 2017 में जब dental और medical course का National Eligibility and Entrance Test हुआ था, तब भी उस समय NEET टेस्ट की ज़िम्मेदार authority Central Board of Secondary Education ने ऐसे कई ऊट-पटांग rules रखे थे जैसे कि बच्चे full sleeves पहन कर न आएं, गहरे रंग के pants न पहनें, टखनों से ऊपर जूते न पहनें, pins और metal buttons भी न हों, metal के earing या innerwear में भी metal न हो। उनका कहना था कि ये सब cheating को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। उस समय भी कई छात्राओं को उनकी ब्रा निकालने को कहा गया था क्योंकि metal detector वहां beep कर रहा था। उस समय भी इस बात पर काफी बवाल हुआ था और महिला कांग्रेस president Bindu Krishna ने केरल मुख्यमंत्री Pinarayi Vijayan से दरख्वास्त की थी कि वो इस पर enquiry बैठाएं।
ताज़े मामले में भी पिता का कहना है कि आपको दिक्कत है आप चेक करें, कपड़े निकलवा क्यों रही हैं। NEET में ऐसा rule नहीं है।
अब कई लोग कह रहे हैं कि इतनी भी बड़ी बात हो गई। अगर (Screenshot) शाहरुख़ खान और (Screenshot)APJ Abdul Kalam के कपड़े हटवा कर search कर सकते हैं तो ये तो exam देने वाले बच्चे ही हैं। मगर फर्क पड़ता हैं। एक बात होती है देश की सुरक्षा की और एक बात होती है exam में cheating की। उन बच्चों की मानसिक सेहत पर क्या असर पड़ता होगा है जब एक ज़रूरी exam से पहले बच्चों को इस तरीके से strip search किया जाता है और कपड़े side में रख कर exam देने को कहा जाता है। किस मानसिक तनाव से वो बच्चे exam देते होंगे। कई लड़कियां अपने भाई और पिता के साथ exam देने आती हैं। उन लोगों के सामने लड़कियों का ऐसी बातें सुनना उनके confidence पर भी चोट कर सकता है। ये तरीका invasive होता है और privacy का उल्लंघन भी करता है। लंबे समय से कई लोग इस पर research करते आ रहे हैं। बच्चों और नौजवानों पर strip -search करने से उनके दिमाग पर पड़ने वाले असर पर भी बहुत काम हुआ है।
Children Rights Litigation Committee of the American Bar Association’s Section of Litigation and the New York Civil Liberties Union के Preventing Strip Searches of Children and Youth: A Guide for Advocates नाम के एक रिसर्च paper के अनुसार इस तरीके की body search demeaning, dehumanizing, undignified, humiliating, terrifying, unpleasant, embarrassing, repulsive, signifying degradation and submission होती है। हिंदी में कहें तो ऐसी search नीचा दिखाने वाली, अमानवीय अशोभनीय, अपमानजनक, भयानक, अप्रिय, शर्मनाक, प्रतिकारक, गिरी हुई और आपकी अधीनता को दर्शाने वाली होती है।
भारत में भी 2017 में जब ऐसी ही घटना सामने आई थी, तब भी कई सारे माता-पिता और अभिभावकों ने कहा था कि उनकी बच्चियां exam देने गई तो थीं पूरे confidence के साथ मगर वापस आ कर रोने लगीं और यही बोलीं कि हमसे मत पूछिए कि exam कैसा गया। ताज़े मामले में भी लड़की के पिता का कहना है कि उन्ही की नहीं बल्कि कई लड़कियों के साथ ऐसा किया गया है, और सभी लड़कियों ने संकोच और बेआराम हो कर exam दिया क्योंकि साथ में लड़के भी exam दे रहे थे। 2017 में भी थिरुवनंथपुरम के CBSE officials का यही बयान आया था कि हमें तो इसके बारे में कुछ नहीं पता और आज NTA भी यही कह रहा है।
फिलहाल इन आरोपों के चलते, NTA ने सोमवार को कहा कि उन्होंने परीक्षा केंद्र के superintendent , उनके स्वतंत्र पर्यवेक्षक यानी कि independent observer और NEET के लिए city coordinator से तत्काल प्रभाव से प्रतिक्रिया मांगी थी। पर एजेंसी ने एक बताया कि "इन तीनों ने कहा है कि उन्होंने ऐसी कोई भी घटना होते हुए नहीं देखी"
ज़िम्मेदारी लेना न लेना एक बात है। मगर हम कब तक इस तरीके से cheating और सुरक्षा के नाम पर लोगों की निजता, लोगों की privacy का हनन करते रहेंगे। कब तक बच्चे उत्साह के साथ exam-hall जायेंगे और रोते हुए वापस आएंगे। अब बात होनी चाहिए कि किस तरह ज़रूरी इम्तेहानों में cheating को रोका जा सकता है बगैर नौजवानों को शर्मिंदा किए हुए। ज़रूरत है इस frisking को control करने की वरना जो नौजवान exam देकर और पास कर के एक अच्छी ज़िन्दगी जी सकते हैं, अच्छा समाज बना सकते हैं, कहीं ऐसी घटनाओं की वजह उनके सपनों पर सेंध न लग जाये। ज़रूरत है mental health को अब तवज्जो देने की और सरकारी हुक्मरानों को इसका संज्ञान लेने की।
मैं हूँ Sahiba Khan और आप सुन रहे हैं ABP Live Podcasts की पेशकश - FYI.