Parliament: संसद में अब नहीं बोल सकेंगे जुमलाजीवी, लॉलीपॉप, जयचंद और शकुनी जैसे शब्द, सांसदों ने जताया विरोध | FYI | Ep. 266
एपिसोड डिस्क्रिप्शन
जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी (Shakuni), जयचंद (Jaichand), लॉलीपॉप (Lollipop), चाण्डाल चौकड़ी…जो मैंने ये शब्द बोले हैं वो कोई गाली नहीं बल्कि असंसदीय शब्द है। संसद (Parliament) के दोनों सदनों लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) की कार्यवाही के दौरान सदस्य अब चर्चा में हिस्सा लेते हुए जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी (Shakuni), जयचंद (Jaichand), लॉलीपॉप (Lolipop), चाण्डाल चौकड़ी (Chandal Chaukadi), गुल खिलाए, पिट्ठू जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. मगर क्यों? और ये कैसा रूल है, कब से है और क्या होता है इसका नतीजा, आज जानेंगे इस एपिसोड पर।
तो जो शब्द अभी मैंने बोले हैं, उन शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जायेगा और वो सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे, यानी कि उन्हें एक्सपंज। दरअसल जब सदन में कोई वाद-विवाद होता है, या कोई स्पीच होती है, तब उस स्पीच को साथ ही साथ एक written format में डालते रहते हैं ताकि एक रिकॉर्ड बना रहे कि किसने कब क्या कहा। संसद में जो भाषा इस्तेमाल करनी चाहिए उसकी भी सीमा है और इसलिए कई बार जब लोग मर्यादा से बहार जाते हैं , तब उन्हें चेताया भी जाता है और उनकी टिप्पणियां को सदन के रिकॉर्ड में नहीं रखा जाता। अभी फिर से लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों और वाक्यों की नई लिस्ट तैयार की है, जिन्हें असंसदीय अभिव्यक्ति यानी कि unparliamentary expression की category में रखा गया है.
तो संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले सदस्यों के लिये जारी किये गए इस संकलन में ऐसे शब्द या वाक्यों को शामिल किया गया है, जिन्हें लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानमंडलों में साल 2021 में असंसदीय घोषित किया गया था. इस के अनुसार, असंसदीय शब्द, वाक्य या अमर्यादित अभिव्यक्ति की श्रेणी में रखे गए शब्दों में कमीना, काला सत्र, दलाल, खून की खेती, चिलम लेना, छोकरा, कोयला चोर, गोरू चोर, चरस पीते हैं, सांड जैसे शब्द शामिल हैं .
कुछ pharses भी आप संसद में use नहीं कर सकते। इसमें आप मेरा समय खराब कर रहे हैं, आप हम लोगों का गला घोंट दीजिए, चेयर को कमजोर कर दिया है और यह चेयर अपने सदस्यों का संरक्षण नहीं कर पा रही है, आदि शामिल हैं.
छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी हटे असंसदीय शब्द
असंसदीय अभिव्यक्ति के संकलन में छत्तीसगढ़ विधानसभा में कार्यवाही से हटाए गए कुछ शब्द या वाक्यों को भी रखा गया है जिनमें बॉब कट हेयर, गरियाना, अंट-शंट, उच्चके, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे आदि शामिल हैं. इसमें राजस्थान विधानसभा में असंसदीय घोषित कुछ शब्दों को भी रखा गया है जिसमें कांव-कांव करना, तलवे चाटना, तड़ीपार, तुर्रम खां तथा झारखंड विधानसभा में अससंदीय घोषित कई घाट का पानी पीना, ठेंगा दिखाना आदि शामिल है.
सभापति के आदेश से बाहर किए जाते हैं ऐसे शब्द
इस संकलन में अंग्रेजी के कुछ शब्दों एवं वाक्यों को भी शामिल किया गया है जिनमें आई विल कर्स यू, बिटेन विद शू , बिट्रेड, ब्लडशेड, cheated , शेडिंग क्रोकोडाइल टियर्स, donkey, गून्स, माफिया, रबिश, स्नेक चार्मर, टाउट, ट्रेटर, विच डाक्टर आदि शमिल हैं. संसद के सदस्य कई बार सदन में ऐसे शब्दों, वाक्यों या अभिव्यक्ति का इस्तेमाल कर जाते हैं जिन्हें बाद में सभापति या अध्यक्ष के आदेश से रिकॉर्ड या कार्यवाही से बाहर निकाल दिया जाता है.
Lok Sabha में Rules of Procedure and Conduct of Business का नियम 380 के अनुसार speaker को ये अधिकार है कि वो वो शब्द और वाक्य एक्सपंज कर दे जो उन्हें मर्यादा के बाहर लगते हैं।
Speaker उन टिप्पणियों को हटाने का भी आदेश दे सकता है, जो "अपमानजनक या अपमानजनक प्रकृति की हैं या किसी बड़े अधिकारी या इंसान या बड़ा ओहदा प्राप्त इंसान या संगठन के खिलाफ कोई आरोप लगाती हैं"। या फिर किसी के धर्म की तौहीन करती हैं, अगर सेना पर कोई सवाल उठाये और उसे बदनाम करने की कोशिश करे, या फिर सदन का ही मज़ाक बना दे, इन सब चीज़ों को स्पीकर record से हटवा सकता है।
जैसे जुलाई में समाजवादी पार्टी के सांसद Azam Khan ने BJP की सांसद Rama Devi पर कुछ सेक्सिस्ट टिप्पणी कर दी थी और फिर उन्हें माफ़ी भी मांगनी पड़ी थी
2015 में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने आम आदमी पार्टी के भगवंत मान की पम्म Modi पर की गई एक टिप्पणी भी expunge कर दी थी। भगवंत मान ने प्रधानमंत्री के रेडियो शो मन की बात पैट अठास करते हुए कहा था कि इससे अच्छा किसानों के लिए बेहतर पॉलिसियां बनाने में समय लगाना चाहिए।
फरवरी 2017 में जम्मू कश्मीर असेंबली के स्पीकर Kavinder Gupta ने मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ़्ती के Article 370 पर की गई टिप्पणी को expunge कर दिए था।
पिछले ही साल अगस्त में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के B.K. Hariprasad पर की गई टिप्पणी को expunge कर दिया गया था. कभी-कभार कई टिप्पणियाँ सन्दर्भ में देखने के बाद expunge कर दी जाती हैं जैसे अगर आप संसद को market place या बाजार बोल देते हैं तो उसे भी मर्यादा के बहार मन जाता है।
मगर ये टिप्पणियाँ कैसे होती हैं expunge?
टिप्पणियों को उसी दिन सदन में ही या फिर बाद में हटाया जा सकता है।
अध्यक्ष, उपाध्यक्ष (Speaker, the Deputy Speaker or the Chairperson) उन टिप्पणियों के निष्कासन यानी expunging की प्रक्रिया की पहल कर सकते हैं जो मानहानिकारक यानी कि defamatory हो, अभद्र, असंसदीय या अशोभनीय हो सकती हैं।
कोई सदस्य या मंत्री कुछ टिप्पणियों की ओर भी अध्यक्ष का ध्यान आकर्षित कर सकता है जिसके आधार पर अध्यक्ष ऐसी टिप्पणियों को हटाने का निर्देश दे सकता है।
ज़्यादातर होता ये है कि जब टिप्प्णी हुई, तब ही Speaker उस टिप्पणी को expunge करने का आदेश देता है, हाँ मगर अगर किसी ने बाद में कहा कि ये सही नहीं है, मर्यादा में नहीं है तो आप बाद में भी उस टिप्पणी को expunge कर सकते हैं।
और हाँ, किसी भी मामले में, स्पीकर को निष्कासन का आदेश देने से पहले एकदम verbatim स्पीच सुननी पड़ेगी और फिर ही वो शब्दों य स्पीच को expunge कर सकतेहैं।
Speaker का फैसला यहाँ आख़िरी फैसला होता है। उसके खिला आप नहीं जा सकते न किसी अथॉरिटी को complain कर सकते हैं।
एक बार टिप्पणियों को हटा देने के बाद क्या होता है?
हटाई गई टिप्पणियों का शब्द कार्यवाही के रिकॉर्ड में शामिल नहीं होते है और जहाँ से वो शब्द हटाए गए हैं वहां ...….(Expunged as ordered by the Chair) लिखा होता है।
अब आ जाते हैं एक ज़रूरी सवाल पर - कि कुया media उन शब्दों या टिप्पणियों को दिखा सकती है जिन्हें exounge किया गया है ?
हटाई गई टिप्पणियों की रिपोर्टिंग पर में मीडिया पर कुछ प्रतिबंध हैं।
मीडिया से ये उम्मीद की जाती है कि वो expunge किये गए शब्द पब्लिश न करें या उसकी न्यूज़ न बनाएं। जो भी शब्द या वाक्य expunge हुए हैं उनकी सूचना लोकसभा सचिवालय मीडिया को भेजता है। हालांकि, यह भी साफ़ तौर पर कहा गया है कि अगर मीडिया कहता है कि उन्हें तो ये information मिली ही नहीं कि फलाना शब्द या वाक्य expunge कर दिया गया है, तो इसका मतलब ये नहीं कि वो इस से बच जायेंगे।
लोकसभा की वेबसाइट यह साफ़-साफ़ कहती है कि प्रेस अगर expunge की गई detials पब्लिश करती है तो हो सकता है कि वो "इससे सदन की तौहीन कर रहे नियमों का उल्लंघन”
और अंत में जो हो गया सो हो गया वाला केस हो जाता है
मतलब अब तो बोल दिया, रिकॉर्ड में वो भले ही नहीं लिखा जायेगा मगर हाँ मीडिया को उसे कवर करने से बचना चाहिए।
तो दोस्तों ये होता है expunging और ऐसी हटाए जाते हैं सभा से शब्द। AG Noorani ने Asian Age के एक आर्टिकल में कहा था कि शब्दों को expunge कर देना एक abuse of power है। क्योंकि आप कैसे फैसला कर सकते हैं कि क्या अपमानजनक है और क्या नहीं। ख़ैर ये debate तो सदियों पुराणी है और हम इसे ऐसे ही छोड़ देते हैं। मगर शब्दों पर लगाम लगाना भी कई बार ज़रूरी हो जाता है, उसके exmaples तो आप देख ही चुके होंगे। फिलहाल मैं चलती हूँ, मैं हूँ साहिबा ख़ान