Remembering KK : क्योंकि KK सिर्फ गायक नहीं, 90 के दशक के दिल टूटे आशिक़ों की आवाज़ भी थे | FYI | Ep. 248
एपिसोड डिस्क्रिप्शन
Introduction:
Time: 0.10 - 2.05
Krishnakumar Kunnath, the singer, the man, the legend !
हम, रहें या न रहें कल, पल, याद आएंगे ये पल। KK का ये गाना हर उस इंसान को पता होगा जो 90 के दशक में पैदा हुआ। ऐसा नहीं है कि KK तब से गए रहे थे। दरअसल जब तक 90 के दशक वाले बच्चे teenager हुए तब तक KK ने कई बेहतरीन गाने गए दिए थे और इनमें से ये एक गाना था जो 2010-2012 के बीच बहुत चला। Farewell से लेकर दोस्तों के अलग अलग कॉलेजों में जाने तक, हर बच्चा उस वक़्त यही गाना गुनगुनाता था। फ़ोन में callertune का भी कांसेप्ट आया था तो आधों की callertune यही लगी होती थी। और फिर उसी समय KK ने ऐसे धुआंधार गाने गाए कि फिल्म का अता पता नहीं होता था मगर हाँ KK ने गाना गाया है उतना सब जानते थे। वही गाना लूप पर रहता था। उस समय ये OTT platforms भी नहीं आए थे और virus से भरी websites से हम सब इन गानों को download करते थे, इंटरनेट भी कछुए की चाल चलता था तो पता चला 1 घंटा लग गया एक गाने को download करने में, और कुछ दिन बाद पता चला फ़ोन ही बैठ गया क्योंकि file में virus था। इतने रिस्क उठा उठा कर हम गाने डाउनलोड किया करते थे। आजकल तो सब थाल में परसा जा रहा है। Girlfriend रूठ गई तो उसे Dil Ibadat सुना दिया, नया नया प्यार है तो Phir Mohabbat सुना दिया। यार रूठ गए तो Yaaron Dosti Badi Hi Haseen Hai callertune लगा ली और खुद का दिल टूटा तो Tadap Tadap ke Is Dil Se Aah Nikalti Rahi बजा लिया और अपने आप में ही रो लिए। हर इमोशन, हर फ़्रस्ट्रेशन के लिए एक गाना होता था और वो इत्तेफ़ाक़ से KK ने ही गया होता था। तो कई लोगों के लिए KK एक महान गायक होंगे मगर हम 90 के दशक वालों के लिए तो वो मानों यादों का पिटारा थे - हर गाने में एक इंसान, एक याद बसी हुई है।
यादों से याद आया, मेरी खुद एक बहुत ही मज़ेदार और दिलचस्प याद उनसे जुड़ी हुई है।
Time: 2.10 - 7.05
साल होगा करीब 2011 या 2012 का। हमारे झाँसी में मेला लगता है जिसे Jhansi Mahotsav कहते हैं और उसमें सरकार बड़े से बड़े गायक को बुलाने की कोशिश करती है। वो वही साल था जब हमारे साथ के बच्चों के दिल बहुत टूटे क्योंकि अभी अभी तो 15 पार हुआ था। पूरा दिन KK लगा कर रुआंसी में बैठे रहते थे। फिर पता चला कि KK आ रहे हैं इस बार झाँसी महोत्सव में परफॉर्म करने। अब सोचो, जिन बच्चों ने ज़िन्दगी में कोई concert अटेंड नहीं किया और इस बार उनका वो दोस्त कॉन्सर्ट में परफॉर्म कर रहा है जिसे पता ही नहीं है कि वो कितने दिल टूटे आशिक़ों का दोस्त है, कैसा लगेगा? भैय्या झाँसी के बच्चे पागल हो चले थे। और खुशकिस्मती ये थी कि हमारे पिता जी को भी KK काफी पसंद था और उन्हें ये भी पता था कि उनके बच्चे कितने crazy हैं KK के लिए। तो उन्होंने जैसे-तैसे हमारे लिए सबसे आगे की सीटें बुक करा लीं। खुदा कसम हम 20 बच्चे मेरे पिता जी के साथ आगे बैठ कर उनका कॉन्सर्ट देखे थे। और हर गाने पर तालियां, हर सुर पर वाहवाह। मगर कहते हैं न कि हर अच्छी चीज़ का अंत तो होता है, तो भाई कॉन्सर्ट भी ख़तम हुआ। मगर बच्चों की दीवानगी कहाँ ख़तम होती। तो भाई फैसला किया कि KK से मिलेंगे। उस वक़्त तो फैसले ही होते थे, सोचते तो थे नहीं कि क्या कैसे क्यों। पापा को बोले, पापा भी अती थे, बोले चलो गाड़ी में बैठो। शायद KK के ड्राइवर को लगा होगा कि UP में रात के 12 बजे कोई गाड़ी अगर पीछे आ रही है तो ये अच्छा संकेत नहीं है। ड्राइवर ने भी गाड़ी भगाई । फिर हमने पापा को बोला कि वो भी गाड़ी भगाएं। और फिर KK की गाड़ी आगे आगे हमारी गाड़ी पीछे पीछे। पापा इतनी तेज़ भगाये कि गाड़ी KK के बगल में लगा ली। उन्होंने जब हम 3 बच्चों का उत्साह देखा तो खुद ही ड्राइवर को गाड़ी धीमा करने को कहा। फिर KK ने वो किया जो शायद कम ही लोग करते। उन्होंने हाथ बाहर निकाला, हम सबको smile दी, wave किया और फिर आगे निकल गए।
मुझे आज तक उनकी वो मुस्कुराहट याद है जो किसी को तब आती है जब वो चैन की सांस ले लेता है। हमारा इरादा उन्हें इस तरह डराने का नहीं था मगर इस वाक़्यात का point ये है कि दीवानगी बहुत थी। उससे याद आया Om Shanti Om के दीवानगी दीवानगी गाने में भी KK ने अपनी आवाज़ दी थी। ये वही गाना है जिसमें Bollywood के तमाम बड़े सितारे भी मौजूद थे।
खैर ये तो थी मेरी KK से जुड़ी वो याद जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी। वो सादा चेहरा और humble सी मुस्कुराहट। और गाने के तो कहने ही क्या। कई गायक स्टूडियो में एकदम उम्दा आवाज़ में गाते हैं मगर Live हर कोई नहीं गा पाता। Live orchestra के साथ ताल-मेल बैठाना, बगैर थके, बगैर सुरों को हिलाये, लगातार गाना, पसीने में, बारिश में, कोई आम बात नहीं। कई बड़े गायक हुए मगर Live में वो नहीं गा पाते थे, जनता के उत्साह से वो अपना उत्साह, अपनी एनर्जी मैच ही नहीं कर पाते थे। मगर KK जब गाते थे तो दूर-दूर से इंसान उन्हें सुनने आ जाया करता था। मेरे कॉलेज फेस्ट में KK आए थे, तो बगल वाली Gargi की लड़कियां और बहार जा रहे लोग तक दीवारों पर चढ़ कर KK का गाना सुन रहे थे। बहार footpath से लेकर छोले कुल्छे के ठेलों तक सब खचाखच भरा था। उन्हें KK को देखने में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं थी। वो बस उनकी मधुर आवाज़ सुन कर ही खुश थे। और शायद यही एक गायक की सबसे बड़ी जीत होती है - उनकी गायकी के लिए दीवानगी। बाक़ी सब तो शो-शा है।
Conclusion
Time: 7.05 - 8.32
KK ने भारत को गायकी का एक ऐसा ज़माना दिया जिसे कोई और भेद नहीं सकता, चाह कर भी नहीं। क्योंकि वो अकेली गायकी नहीं थी, वो हम सबका बचपन था। हम रोये तो उनके गानों पर, हंसे तो उनके गानों पर, प्यार किया तो Haan Tu Hai पर और जब KK ने तड़प तड़प के इस दिल से में वो सुर लगाया न, तो खुदा कसम अच्छे अच्छे पत्थर दिल भी रोने लगे। KK was an era. उनके जाने से गायकी की दुनिया से एक हीरा तो गया ही, मगर आम जनता के दिलों में भी एक खालीपन सा छा गया है - वो खालीपन जिसे कोई और कभी नहीं भर पाएगा क्योंकि वो कोई और कितना भी अच्छा गा ले मगर वो यादें कहाँ से लाएगा।
ABP Live Podcasts के लिए मैं हूँ Sahiba Khan, podcast की sound designing की है Lalit ने और आप सुन रहे थे FYI पर KK को एक tribute from all the 90s kids who lived through KK’s voice.