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Shanghai Cooperation Organisation की इस मीटिंग में भारत के लिए क्या? क्या SCO चुनौती है NATO के लिए? | FYI | Ep. 273
Xi Jinping, Modi & Shanghai Cooperation Organisation

Shanghai Cooperation Organisation की इस मीटिंग में भारत के लिए क्या? क्या SCO चुनौती है NATO के लिए? | FYI | Ep. 273

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15 और 16 सितम्बर 2022, दुनिया के लिए बहुत अहम होने वाले हैं। भारत, पाकिस्तान, चीन और रूस समेत दुनिया के 8 बड़े देशों के प्रतिनिधि SCO समिट का हिस्सा बनने वाले हैं। ये समिट उस समय हो रही है जब दुनिया कोविड की महामारी से उबर रही है, रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा है, पाकिस्तान आर्थिक रूप से बेहद तंग स्थिति में है, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का उदय हो चुका है और चीन और भारत के बीच में सीमा विवाद चल रहा है।

नमस्कार साथियो। मेरा नाम है मंगलम् भारत और आप सुन रहे हैं ABP LIVE PODCAST की ये ख़ास पेशकश FYI यानि कि For Your Information. इस एपिसोड में हम बात करेंगे SCO देशों की और आने वाले समय में ये देश किस तरफ़ कदम बढ़ाएँगे, भारत के लिए इसमें क्या संभावनाएँ और चुनौतियाँ हैं, इस पर और साथ ही बात करेंगे प्रणय उपाध्याय से जो कि फ़ॉरेन अफ़ेयर्स को कवर करते हैं।

SCO दुनिया का एक बड़ा मंच है, जिसे नाटो के बराबर माना जाता है। हालाँकि दोनों के बीच मूलभूत अंतर भी हैं। जहाँ नाटो के बारे में लोग एक सैन्य समूह के तौर पर ज़्यादा जानते हैं, वहीं SCO पूरी दुनिया में इन देशों के सीमा से जुड़े विवाद, आर्थिक समस्याओं को सुलझाने, व्यापार को बेहतर करने, नई परियोजनाओं को लागू करने और महत्त्वपूर्ण विदेशी मुद्दों पर एक सामरिक नीति बनाने के लिए जाना जाता है।

ये वाली SCO बैठक बाकी बैठकों से इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों है?

बहुत ज़रूरी सवाल है, जिसका जवाब जानना भी उतना ही ज़रूरी है। पूरी दुनिया भर की निगाहें इस बैठक पर बाज़ की तरह टिकी हैं, और सब कोई जानना चाहते हैं कि इस बैठक के बाद कौन देश किस तरफ़ कदम बढ़ाएगा। चीन और भारत के बीच सीमा विवाद का क्या अंजाम होगा? भारत और पाकिस्तान किस तरह अपने संबंधों को सुधारेंगे। अफ़गानिस्तान में तालिबान का शासन आया है, इस पर बाक़ी देश साथ मिलकर क्या निर्णय और नीति बनाएँगे।

भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

भारत के लिए आने वाले एक दो साल तो चुनौतियों और अवसरों से भरे पड़े हैं। भारत को SCO की अध्यक्षता अगले एक साल के लिए मिलने वाली है। इसके साथ ही भारत G20 का भी नेतृत्व अगले साल करने वाला है। जहाँ अगले साल नई दिल्ली में SCO के अंतर्गत भारत पाकिस्तान, चीन और रूस को आमंत्रित करेगा, वहीं G20 के अंतर्गत व्लादिमीर पुतिन और जो बाइडेन के साथ प्रधानमंत्री चाय पे चर्चा करते दिखाई दे सकते हैं।

इस कारण भी भारत के लिए SCO की यह बैठक बहुत अहम होने वाली है। कोविड की महामारी के बाद जो आर्थिक आपदा पूरी दुनिया के सर पर फूटी है, उससे भी ये 8 देश अछूते नहीं हैं। यूक्रेन से लड़ तो लिए हैं पुतिन लेकिन यूरोपीय संघ और नाटो देशों ने जो सेंक्शन्स लगाए हैं, उनसे निपटने के लिए SCO देशों के साथ अपने संबंधों को और बेहतर करने के लिए पुतिन भी इस बैठक को लेकर भयंकर क्यूरियस दिखाई देंगे। भारत इसमें अपने लिए भी कोई संभावनाएँ तलाश रहा है क्योंकि मंदी के इस दौर में पैसा तो सबको बनाना है।

SCO को हमेशा से जाना जाता है अपने सीमा विवादों को सुलझाने के लिए। SCO का जन्म भी इसीलिए हुआ था। सोवियत संघ के टूटने के बाद यूरोप और एशिया के इन देशों के बीच सीमा के विवाद न हों इसलिए चीन के बीजिंग में शंघाई फ़ाइव नाम का संगठन तैयार हुआ जिसने 2002 में अपना नाम बदलकर SCO कर लिया। आज भारत और चीन भी चाहेंगे कि सीमा विवाद को सुलझाया जाए और मंदी से निकलकर रोज़गार के नए अवसर तैयार किए जाएँ।

पाकिस्तान की बात करते हैं। कल के ही दिन शहबाज़ शरीफ़ ने वकीलों के एक कार्यक्रम में अपना दुखड़ा रो दिया। शरीफ़ बोले कि सारी दुनिया और उनके मित्र देश भी उनको भीख माँगने वाले मुल्क के तौर पर देखते हैं। उन्होंने कहा, "आज, जब हम किसी मित्र देश में जाते हैं या फोन करते हैं, तो वे सोचते हैं कि हम [उनके पास] पैसे मांगने आए हैं,"। शरीफ ने कहा कि छोटी अर्थव्यवस्थाओं ने भी पाकिस्तान को पीछे छोड़ दिया है, "और हम पिछले 75 वर्षों से भीख का कटोरा लेकर भटक रहे हैं"। श्री शरीफ के अनुसार, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बाढ़ से पहले ही एक "चुनौतीपूर्ण स्थिति" का सामना कर रही थी, जिसने इसे और अधिक "जटिल" बना दिया था।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधान मंत्री इमरान खान को हटाने के बाद अप्रैल में जब उन्होंने सत्ता संभाली थी, तब पाकिस्तान "आर्थिक चूक" के कगार पर था, और गठबंधन सरकार ने अपनी कड़ी मेहनत से देश को डिफ़ॉल्ट से बचाया था।

पाकिस्तान की रवायत भले ही भीख माँगने की रही हो लेकिन शरीफ़ साहब पूरी कोशिश करेंगे कि SCO की इस बैठक में पाकिस्तान की आर्थिक समस्याओं को सुलझाने के लिए पड़ोसी देशों के साथ कुछ नई परियोजनाएँ मिल जाएँ।

इस बैठक के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने बात की प्रणय उपाध्याय से जो कि फॉरेन अफ़ेयर्स को कवर करते हैं। प्रणय बहुत बहुत धन्यवाद आपका ABP LIVE PODCAST में।

पहला सवाल तो ये कि SCO और NATO की तुलना होती रहती है। नाटो यूरोप और अमेरिका में एक्टिव है वहीं SCO एशिया में। इनकी तुलना होनी भी चाहिए या फिर सब फिज़ूल की बातें हैं।

अगले साल भारत को SCO की कमान मिलने वाली है, क्या फ़ायदा और क्या चुनौतियाँ होंगी 2023 के लिए।

ईरान नए स्थाई सदस्य के तौर पर SCO से जुड़ा है। भारत के लिए क्या फ़ायदा क्या नुकसान हैं?

तो ये थे हमारे साथ प्रणय उपाध्याय। जिन्होंने SCO की इस बैठक को लेकर हमसे बातचीत की। FYI का ये एपिसोड यहीं ख़त्म होता है। मैं हूं मंगलम् भारत। सुनते रहें ABP LIVE PODCAST.

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