Women's Day Special : Period Leave से Hiring पे कितना असर पड़ता है, जानें | FYI
एपिसोड डिस्क्रिप्शन
5 मार्च को खबर आयी की केरल यूनिवर्सिटी की 18 साल से ज्यादा उम्र की स्टूडेंट्स अब 6 महीने तक की मैटरनिटी लीव ले सकती हैं। मैटरनिटी लीव लेने के बाद वे बिना किसी दिक्कत के क्लास में शामिल हो सकेंगी। इसके लिए उन्हें दोबारा से कोई प्रोसेस नहीं करनी होगी। वहीँ 6 मार्च को एक और खबर आयी की चिंगारी app कंपनी भी अब २ दिन महिलाओं को पीरियड लीव के तौर पर देगी। जहाँ स्पेन पीरियड लीव पूरे देश में लागू करने को लेकर काफी तारीफें बटोर रहा है वहीँ भारत में पीरियड लीव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पे अफ़सोस।
महिलाओं के पीरियड लीव देश भर में नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एसएम त्रिपाठी ने शीर्ष अदालत को बताया कि केवल बिहार और केरल महिलाओं को मासिक धर्म की छुट्टी देते हैं। बिहार ने 1992 में लालू प्रसाद के मुख्यमंत्रित्व काल में महिला कर्मचारियों के लिए दो दिनों के मासिक धर्म अवकाश की शुरुआत की थी। केरल में, सीएम पिनाराई विजयन ने इस साल 19 जनवरी को घोषणा की थी कि राज्य सरकार छात्राओं के लिए तीन दिन की पीरियड लीव का प्रावधान करेगी। जब पीठ ने नोटिस जारी करने के आदेश को लिखवाया था, तो वकील सत्य मित्र के माध्यम से एक लॉ स्टूडेंट ने कोर्ट को बताया कि पीरियड के लिए अनिवार्य छुट्टी प्राइवेट सेक्टर में महिलाओं के रोजगार पर प्रतिकूल असर डाल सकती है। इसकी वजह है कि नियोक्ता एक बड़ी महिला वर्कफोर्स अपने बिजनस या व्यापार के लिए हतोत्साहन के रूप में देख सकते हैं। इस पर बेंच ने कैविएट में मेरिट को पाया। इसके बाद इसे केंद्र सरकार के नीतिगत निर्णय पर छोड़ दिया। अब सबसे पहला सवाल तो यही आता है की क्या वाकई इससे वीमेन हायरिंग प्रोसेस पर कोई फर्क पड़ता ?
मैं मानसी हूँ आपके साथ लेकर FYI, ABP Live Podcasts पर जहाँ आज सुप्रीम कोर्ट के दिए उस तथ्य पे बात करेंगे जिसकी वजह से पीरियड लीव नहीं दी गयी है महिलाओं को। जिसके बारे में गहराई से बात करने के लिए मेरे साथ में हैं Former CHRO, author, Tedx Speaker , गीतांजलि पंडित