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खबर गरम हैं
Aabir Lahiry & syeda hameed
के. ए. अब्बास की किताब 'सोने चाँदी के बुथ' के अंग्रेज़ी अनुवाद पर पद्मश्री सईदा हमीद के साथ आबीर लहिरी की ख़ास बातचीत!
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किसी किताब को लिखते समय उस वक़्त को जीना, उन यादों को समेटना और सहेजना कितनी दिल्लगी का काम है। यादें एक रास्ता हैं, जिनसे गुज़रने के बाद इंसान वापस उसी उम्र में पहुंच जाता है, जब वो उन्हें जी रहा था। उन यादों को अगर कोई लिख दे, तो आने वाली नस्लें उन यादों से उस शख़्स के होने का अन्दाज़ा लगाती हैं। उनको अपने दिल में बिठा लेती हैं, आने वाली पीढ़ियों को उनके बारे में बताती हैं कि एक आदमी ऐसा भी था, जिसने अपने रास्ते ख़ुद बनाए, दुनिया को नए नज़रिए से देखा और केवल देखा ही नहीं, कैमरा से दिखाया।
आज हमारे बीच उसी शख़्स के. ए. अब्बास की यादों का लिखे क़िस्से आपके लिए किताब में बुनकर लाई हैं सईदा हमीद जी, उनसे बात की आबीर लहिरी ने।
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