कौन हैं स्वप्निल त्रिपाठी, जिनके कारण आप देख सकते हैं सुप्रीम कोर्ट की ऑनलाइन सुनवाई!
एपिसोड डिस्क्रिप्शन
सुप्रीम कोर्ट के लिए आज एक बेहद ही ऐतिहासिक दिन है। आज के दिन से सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाहियों को आप ऑनलाइन स्ट्रीमिंग के ज़रिए अपने लैपटॉप, मोबाइल और कंप्यूटर पर देख सकते हैं। आप ऑनलाइन जाकर webcast.gov.in/scindia पर सुप्रीम कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग देख सकते हैं।
नमस्कार साथियों, मेरा नाम है मंगलम् भारत और आप सुन रहे हैं ABP LIVE PODCAST का ये ख़ास एपिसोड, ख़बर गरम है। चर्चा में रहने वाले क़िस्सों को हम इस सेगमेंट में रखते हैं।
आज से चार साल पहले 26 सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने स्वप्निल त्रिपाठी वर्सेस सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ऑन 26 september 2018 पर सुनवाई करते हुए लाइव टेलेकास्टिंग और वेबकास्टिंग को मंज़ूरी दी थी और इस ऐतिहासिक निर्णय में कहा था, सूर्य की रौशनी सबसे अच्छा कीटाणुनाशक है।
इस लाइव स्ट्रीमिंग से जुड़ी गाइडलाइन्स के बारे में हम बाद में आएँगे, सबसे पहले बात करते हैं स्वप्निल त्रिपाठी की, जिनके कारण ये लाइव स्ट्रीमिंग शुरू हुई।
स्वप्निल त्रिपाठी केस के बारे में जानकारी
2017 में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर में पढ़ रहे थे और इंटर्नशिप करने आए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इंटर्न केवल मंगल, बुध, गुरू को जा सकते हैं. बाकी दिन नहीं जा सकते। सोमवार शुक्रवार को मिसलेनियस डे कहा जा सकता है, उस दिन काफ़ी ज़रूरी केस सुने जाते हैं।
इससे स्वप्निल त्रिपाठी ने कहा कि इंटर्न के अधिकार बाधित हो रहे हैं। इसमें कई NGO आ गए, जिसमें इंदिरा जयसिंह के NGO आए। सुप्रीम कोर्ट ने 1966 की 9 जज की बेंच ने माना है कि ओपन कोर्ट एक्सेस होना चाहिए। मिराज का केस था। मीडिया के द्वारा रिपोर्टिंग से जुड़ा केस था।
इसमें केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पब्लिक इंपॉर्टेंस के केस होंगे उनकी लाइव स्ट्रीमिंग भविष्य में की जाएगी। और आर्टिकल 145 के अंतर्गत नियम भी होंगे।
2018 में आ गया था केस का फ़ैसला। कोरोना के बाद इस सिस्टम को सुधारने पर ज़ोर देने लगा। सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल कोर्ट सुने। इनको पब्लिक नहीं किया जा सकता था। ऑनलाइन कोर्ट लग रहे हैं, सब कुछ फ़ंक्शन हो रहा है।
इस केस में दुनिया भर के लाइव स्ट्रीमिंग की भी बात कही थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद आज के दिन से आप ऑनलाइन कार्यवाही को देख सकते हैं। लेकिन इसके साथ सुप्रीम कोर्ट की ओर से आपको गाइडलाइन्स की लिस्ट भी पढ़नी ज़रूरी है। अगर आप इन गाइडलाइन्स का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो ख़तरे में पड़ सकते हैं।
सबसे पहली बात तो यह कि कोई अथॉरिटी, कोई अधिकृत व्यक्ति विशेष जिसे सुप्रीम कोर्ट की ओर से इसकी इजाज़त मिली हो, के अलावा कोई भी इस रिकॉर्डिंग को रिकॉर्ड नहीं करेगा, साझा नहीं करेगा, प्रसारित नहीं करेगा।
रिकॉर्डिंग और अभिलेखीय डाटा में अदालत के पास विशेष कॉपीराइट होगा।
इस लाइव स्ट्रीमिंग का अनधिकृत उपयोग भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 सहित अन्य प्रावधानों के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा।
कोर्ट के पहले लिखित अथॉरिटी के बिना इस लाइव स्ट्रीमिंग को किसी भी रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता, भेजा नहीं जा सकता, अपलोड नहीं किया जा सकता, पोस्ट नहीं किया जा सकता, संशोधित यानि अमेंड नहीं किया जा सकता और वापस प्रकाशित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट चाहे तो इस लाइव स्ट्रीमिंग की अधिकृत कॉपी को समाचार के लिए, प्रशिक्षण के लिए या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए दे सकता है। इस अधिकृत रिकॉर्डिंग को भी आगे एडिट या प्रोसेस नहीं किया जा सकता है।