क्या होते हैं Electoral Bonds , जानें क्यों सुप्रीम कोर्ट में दी गयी इसे चुनौती | News In Depth
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Gujarat और Himachal Elections 2022 को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है। वहीं इस बीच Supreme Court दो राज्यों के चुनाव के बीच Electoral Bond योजना में संशोधन के खिलाफ दायर एक नई याचिका पर सुनवाई के लिए Supreme Court सहमत हो गया है। इस याचिका में केंद्र सरकार की उस अधिसूचना को चुनौती दी गई है जिसमें विधानसभा चुनावों के दौरान Electoral Bond की बिक्री के लिए 15 दिनों की अतिरिक्त अवधि प्रदान करने की अनुमति प्रदान की गई है। अधिवक्ता अनूप जॉर्ज चौधरी ने इस अधिसूचना को पूरी तरह से अवैध बताया है। वहीं वकील की दलील सुनने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गई।
सरकार ने इस दावे के साथ साल 2018 में Electoral Bond की शुरुआत की थी कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा. इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती हैं और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं. चुनावी फंडिंग व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार ने Electoral Bond की शुरुआत की है. कैसे काम करते हैं ये बॉन्ड ? क्या है Electoral Bond की खूबी ? क्यों सुप्रीम कोर्ट में दी गयी इसे चुनौती ? क्यों घिरा है Electoral Bond विवादों में , जानें सब कुछ इसके बारे में News In Depth में विजय विद्रोही के साथ ABP LIVE PODCASTS पर