अयोध्या भारत के प्राचीनतम नगरों में एक है. हिंदू पौराणिक कथाओं में सप्तपुरियों का जिक्र आता है. इन सप्तपुरियों में मथुरा, काशी, कांची, अवंतिका, माया (हरिद्वार), द्वारिका और अयोध्या का नाम आता है. भगवान राम इक्ष्वाकु वंश के थे, जिनके कौशल राज्य की राजधानी भी अयोध्या ही थी. अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ. अयोध्या को साकेत भी कहा जाता है. बौद्ध मान्यताओं के अनुसार यहां पर बुद्ध ने भी वर्षों तक निवास किया था. जैन धर्म में भी अयोध्या को पवित्र स्थल माना गया है. जैनियों के अनुसार, उनके 24 तीर्थंकरों में से 22 इक्ष्वाकु वंश के ही थे. अयोध्या नगर सरयु नदी के किनारे बसा है. उत्तर प्रदेश के शहर अयोध्या में ही रामजन्म स्थान पर राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. 22 जनवरी 2024 को नव-निर्मित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होना है. अयोध्या का रामजन्मभूमि स्थान बरसों तक विवादों में रहा. 1528 में अयोध्या में एक मस्जिद बनाई गई, जिसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया. हिंदुओं ने तभी से यह आरोप लगाया कि मस्जिद रामजन्म स्थान पर बनी है. बरसों तक कोर्ट-कचहरी में यह मसला फंसा रहा. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि की पूरी 2.77 एकड़ जमीन राम लला को देने का फैसला सुनाया. इसके बाद 5 अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और इस तरह से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के साथ ही नगर में कई प्रकार के विकास कार्य प्रारंभ हुए. अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन चुका है. आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस रेलवे स्टेशन भी बनाया गया है. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे, कोलकाता, नागपुर, लखनऊ, जम्मू समेत देश के कई इलाकों से अयोध्या के लिए सैकड़ों ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं.
साल 1528- मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने विवाद वाली जगह पर एक मस्जिद का निर्माण कराया, इस जगह को हिंदू भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं.
साल 1853- विवादित मस्जिद वाली जगह तक पहुंच के लिए हिंदू और मुसलमानों के बीच पहली बार संघर्ष हुआ.
साल 1855-1859: विवादित जगह पर नियंत्रण को लेकर एक कानूनी विवाद पैदा हुआ, जो एक समझौते के साथ सुलझाया गया, जिसमें हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को अंदर जाने की इजाजत दी गई.
साल 1885- महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में मस्जिद के बाहर राम चबूतरे पर छतरी बनाने की याचिका दायर की. लेकिन इसे खारिज कर दिया गया.
साल 1949- भगवान राम और मां सीता की मूर्तियों को रहस्यमय तरीके से मस्जिद के अंदर रखा गया, जिससे तनाव पैदा हो गया और बाद में मुसलमानों ने विवादित जगह पर ताला लगा दिया.
साल 1950-1959: हिंदू समूहों ने पूजा स्थल तक पहुंच और भूमि पर कब्ज़ा करने की मांग करते हुए कोर्ट में केस दायर किया.
साल 1962: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के स्वामित्व का दावा किया.
साल 1984: प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हिंदुओं को उस जगह पर प्रतीकात्मक पूजा करने की अनुमति दी, जिससे तनाव और बढ़ गया.
साल 1985-86: विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में 'विवादित' जगह पर राम मंदिर की मांग के लिए एक जन आंदोलन शुरू किया.
साल 1990: बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अखिल भारतीय रथ यात्रा शुरू की, लेकिन उन्हें बिहार में रोक दिया गया और गिरफ्तार कर लिया गया.
साल 1992: कार सेवकों की भीड़ ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया, जिससे पूरे भारत में व्यापक सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी.
साल 1994: बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए लिब्रहान आयोग नियुक्त किया गया.
2002: सांप्रदायिक दंगों की वजह से गुजरात में हज़ारों हिंदू और मुसलमान मारे गये
साल 2002: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित भूमि से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई शुरू की.
साल 2003: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने स्थल पर खुदाई की, जिसमें मस्जिद के नीचे हिंदू संरचनाओं के सबूत मिले.
साल 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला का प्रतिनिधित्व करने वाली हिंदू महासभा को तीन भागों में बांट दिया जाए.
साल 2011-2019: सभी पक्षों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की.
साल 2019: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट को सौंप दी. साथ ही सरकार को मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक भूमि आवंटित करने का भी निर्देश दिया.
साल 2020: राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन समारोह का आयोजन किया गया.
साल 2024: राम मंदिर का निर्माण जारी है और 22 जनवरी को देश इसके उद्घाटन का गवाह बनने के लिए तैयार है.