Chhath Puja 2021 Kharna : छठ पूजा में खरना का है खास महत्व, इस विधि-विधान से होती है खरना की पूजा
Chhath Puja Kharna 2021 Kab Hai : छठ पूजा की शुरूआत 8 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगी. नहाय-खाय के बाद अगले दिन (9 नवंबर 2021) खरना होता है. आइए जानते हैं इस पूजा में क्या है खरना का महत्व.
खरना का महत्व
खरना को लोहंडा भी कहती हैं. छठ पर्व में इस दिन का विशेष महत्व होता है. नहाय-खाय वाले दिन घर को पवित्र कर व्रती अगले दिन की तैयारी करती हैं. जब खरना आता है तो सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं. इसी दौरान अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है. शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है. इस खीर को कुछ जगहों पर रसिया भी कहते हैं. इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है. हालांकि शहरी इलाकों में मिट्टी के चूल्हे की उपलब्धता न हो पाने की स्थिति में कुछ लोग नए गैस चूल्हे पर भी इसे बनाते हैं. पर चूल्हा नया हो और अशुद्ध न हो इसका खास ध्यान रखा जाता है.
तन और मन को शुद्ध रखना होता है मकसद
प्रसाद तैयार होने के बाद व्रती पूजा पर बैठते हैं. इस दौरान खीर के अलावा पूरियों और मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है. भगवान सुर्य की पूजा करने के बाद इसी प्रसाद को ग्रहण करते हैं और फिर इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. इस पूजा का मकसद अर्घ्य के लिए शुरू होने वाले कठिन व्रत से पहले तन और मन को शुद्ध रखना होता है. इस बार खरना 9 नवंबर 2021 को है. इस दिन सूर्यास्त का समय 5 बजकर 30 मिनट है.
प्रसाद ग्रहण करने का ये है नियम
खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है. पूजा करने के बाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के दौरान घर के सभी लोगों को बिल्कुल शांत रहना होता है. मान्यता है कि शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देता है. पूजा का प्रसाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बादी ही परिवार के अन्य लोगों में बांटा जाता है और परिवार उसके बाद ही भोजन करता है.
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