हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु (lord Vishnu) जी को समर्पित है.हर माह में दोनों पक्षों की एकादशी का अलग महत्व होता है. फाल्गुन माह (Falgun Month) के शुक्ल पक्ष  की एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है. रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi 2022) साल की एक ऐसी एकादशी है, जिसमें भगवान शिव की पूजा (Lord Shiva Puja) अर्चना की जाती है. इस बार रंगभरी एकादशी 13 मार्च के दिन पड़ रही है. होली से 6 दिन पहले रविवार को ही रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी. 


रंगभरी एकादशी के दिन काशी में शिव जी के भक्त बहुत धूम-धाम इस त्योहार को मनाते हैं. इस दिन भोलेनाथ और मां पार्वती का गौना कराकर काशी लाए थे. इसलिए इस दिन काशी में मां पावर्त का भव्य स्वागत किया जाता है. और इसी खुशी में रंग-गुलाल उड़ाया जाता है. और ये पर्व 6 दिन तक चलता है. 


आंवला के पेड़ की भी होती है पूजा (Aawla Tree Worship )


रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव के साथ-साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है. इसलिए रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन पूजा पाठ करने से व्यक्ति को सेहत और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इतना  ही नहीं, इस दिन अन्नपूर्णा की सोने या चांदी की मूर्ति के दर्शन करने की भी परंपरा है.


रंगभरी एकादशी शुभ मुहूर्त (Rangbhari Ekadashi Shubh Muhurat 2022)


हिंदू पंचाग के अनुसार रंगभरी एकादशी का आरंभ 13 मार्च सुबह 10:21 मिनट से शुरू होकर 14 मार्च सुबह 12:05 मिनट तक रहेगा. वहीं, पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:07 मिनट से दोपहर 12:54 मिनट तक है.


सर्वार्थ सिद्धि योग 13 मार्च को प्रात: 06:32 मिनट से शुरू होकर रात 10:08 मिनट तक है. 


वहीं, पुष्य नक्षत्र रात 10:08 मिनट तक है. 



रंगभरी एकादशी पूजन विधि (Rangbhari Ekadashi Pujan Vidhi)


रंगभरी एकादशी को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के साथ विवाह कर गौना कर काशी लौटे थे. इस दिन सुबह स्नान आदि के बाद पूजा-व्रत का संकल्प लें. फिर एक लोटे में जल भरकर शवि मंदिर जाएं. साथ में अबीर, गुलाल, चंदन और बेलपत्र आदि ले जाएं. इसके बाद शिवलिंग पर चंदन अर्पित करें और बेलपत्र और जल अर्पित करें. फिर अबीर और गुलाल लगाने के बाद भोलेनाथ से प्रार्थना करें. 


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