अपनी कप्तानी में लिए गए धोनी के वो 3 फैसले जिसने सबको चौंका दिया
धोनी ने अपनी कप्तानी में न जाने कितने शानदार फैसले लिए हैं जिससे टीम इंडिया को जीत मिली है. लेकिन कई बार इस कप्तान ने वो फैसले भी लिए हैं जिसने खिलाड़ियों के साथ पूरे क्रिकेट जगत को चौंका कर रख दिया था. यहां हम आपको उन्हीं 3 फैसलों के बारे में बात रहे हैं.
महेंद्र सिंह धोनी एक ऐसा नाम जो टीम इंडिया में एक धाकड़ विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में आया था लेकिन शायद किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि टीम इंडिया का ये सितारा एक दिन भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे सफल कप्तान भी होगा. धोनी की कप्तानी में भारत ने 2007 टी20 और 2011 वनडे वर्ल्ड कप जीता और इतिहास रचा.
एक कप्तान के रूप में महेंद्र सिंह धोनी ने साल 2007 में ट्वेंटी-20 विश्व कप, साल 2011 में एकदिवसीय विश्व कप और साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीती है. ये अभी तक किसी भी कप्तान के लिए सबसे बड़ा काराना है. धोनी की कप्तानी इसलिए भी खास है क्योंकि धोनी ने जब कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली थी तो उन्हें कैप्टन कूल के नाम से लोग जानने लगे. कारण था धोनी का विकेट के पीछे शांत रहकर पूरी रणनीति बनाना और अंत में टीम को जीत की दहलीज पार करवाना.
कप्तान के तौर पर धोनी ने कई बड़े फैसले लिए लेकिन 3 फैसले ऐसे थे जिसने सबको चौंका दिया.
1. पाकिस्तान के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप में रॉबिन उथप्पा से गेंद करवाना
साल 2007 टी20 वर्ल्ड कप आज भी कोई भुला नहीं सकता. वो धोनी की ही कप्तानी थी जिसमें टीम इंडिया ने पहली बार टी20 खिताब पर कब्जा किया था. पाकिस्तान के साथ मुकाबला चल रहा था और अंत में ये मैच टाई हो गया. इसके बाद टाई ब्रेकर के रूप में बॉल आउट नियम को बीच में लाया गया. इस दौरान दोनों देशों के क्रिकेटर्स ने गेंद को खाली स्टम्प्स पर मारना था. और भारत की तरफ से धोनी ने उस दौरान गेंदबाजों को तो गेंद दी ही थी लेकिन रॉबिन उथप्पा को उस अहम मैच में गेंद देने वाला पल सबसे चौंकाने वाला था.
रॉबिन उथप्पा को आज तक दुनिया ने गेंदबाजी करते हुए नहीं देखा था लेकिन धोनी की कप्तानी में वो भी मुमकिन हुआ और रॉबिन ने गेंद सीधे स्टम्प्स पर भी मारी.
2. पाकिस्तान के खिलाफ टी20 फाइनल में जोगिंदर शर्मा से गेंदबाजी
टी20 वर्ल्ड कप फाइनल मुकाबला और आमने सामने भारत- पाकिस्तान की टीमें. दोनों टीमें अपना पहला वर्ल्ड कप जीतने के लिए बरकरार. पाकिस्तान को अंतिम ओवर में जीत के लिए 13 रन चाहिए थे. भारत की तरफ से जो गेंदबाज सबसे महंगा साबित हुआ था धोनी ने उसे ही गेंद थमा दी. पूरे देश की धड़कने तेज हो गई लेकिन अंत में जोगिंदर ने ही मिस्बाह को आउट कर टीम इंडिया को वर्ल्ड कप 2007 का चैंपियन बना दिया.
3. डेब्यू टेस्ट में ही चेतेश्वर पुजारा को द्रविड़ से पहले बल्लेबाजी करवाना
चेतेश्वर पुजारा को आज टीम इंडिया का टेस्ट स्पेशलिस्ट कहा जाता है लेकिन पहले ही मैच के पहले इनिंग्स में यानी की बेंग्लुरू टेस्ट में पुजारा फ्लॉप रहे थे. दूसरे इनिंग्स में धोनी ने एक बार फिर अपने फैसले से सबको चौंका दिया और पुजारा को द्रविड़ से पहले तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेज दिया. पुजारा ने 72 रनों की पारी खेली और टीम इंडिया वो मैच जीत गई.