Achinta Sheuli Profile: मजदूर के बेटे ने बर्मिंघम में जीता सोना, कभी खुद ज़री और सिलाई का करते थे काम
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games 2022) में इस खिलाड़ी ने वेटलिफ्टिंग में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता, लेकिन इस खिलाड़ी की पर्सनल लाइफ आसान नहीं रही है.
Achinta Sheuly Journey: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के मुकाबले जारी हैं. वहीं, भारतीय वेटलिफ्टर अचिंता शेउली ने गोल्ड मेडल जीता. स्नैच में उन्होंने पहली लिफ्ट में 137 किलोग्राम का भार उठाया. वहीं दूसरी लिफ्ट में 139 किलोग्राम का भार उठा दिया. इसके बाद अचिंता ने तीसरे लिफ्ट में 143 किलोग्राम का भार उठाया. क्लीन एंड जर्क में अचिंता शेउली ने दूसरे अटैम्प्ट में 170 किलोग्राम का भार लिफ्ट किया. इस तरह उन्होंने 313 किलोग्राम के भार के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया. 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का यह तीसरा गोल्ड है. दिलचस्प बात यह है कि सभी गोल्ड वेटलिफ्टिंग में आए हैं.
ज़री के अलावा सिलाई का किया काम
हालांकि, अचिंता शेउली की लाइफ आसान नहीं रही है. साथ ही उनकी कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम से नहीं है. दरअसल, अचिंता शेउली के पिता मजदूरी का काम करते थे. इसके अलावा वह रिक्शा भी चलाया करते थे. यहीं नहीं, इसके बाद अचिंता शेउली ने ज़री का काम किया. ज़री का काम करने के अलावा उन्होंने कई छोटे छोटे काम किए. साथ ही उन्होंने सिलाई का काम किया.
24 नवंबर 2001 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में जन्मे अचिंता के पिता परिवार को पालने के लिए रिक्शा चलाने का काम करते थे. इसके अलावा वह मजदूरी का काम भी करते थे. दरअसल, अचिंता ने 2011 में पहली बार वेटलिफ्टिंग के बारे में जाना. उस वक्त अचिंता की उम्र महज 10 साल थी.
पिता की मौत से हालात हुए बदतर
इसके अलावा अचिंता के बड़े भाई स्थानीय जिम में ट्रेनिंग करते थे. सबसे पहले उन्होंने ही उन्हें वेटलिफ्टिंग के बारे में बताया. दरअसल, साल 2013 में अचिंता के पिता की मौत हो गई, जिसके बाद हालात और बदतर हो गए. पिता की मौत के बाद भाई आलोक ही परिवार में एकमात्र कमाने वाले शक्स थे. वहीं, अचिंता की मां पूर्णिमा ने भी परिवार का पेट पालने के लिए छोटे-मोटे काम किए
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