Afghanistan Women Footballers Evacuated: अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के शासन के बाद से यहां महिलाओं को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. यहां तालिबानी शासन के तले महिलाएं खौफ और डर के माहौल में अपना जीवन गुजार रही हैं. यहां महिला एथलीटों के खेलने पर भी तालिबानी आकाओं ने बैन लगाने का तुगलकी फरमान सुना दिया है. तालिबान के कब्जे के बाद अब अफगानिस्तान से 100 महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को बाहर निकाला गया है. इनमें इन महिला फुटबॉल खिलाड़ी के साथ साथ उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं.
गुरुवार को महिला फुटबॉल खिलाड़ियों समेत इन सभी को फ्लाइट के जरिए दोहा (Doha) लाया गया है. कतर (Qatar) की सहायक विदेश मंत्री (Assistant Foreign Minister) Lolwah Rashid Mohammed Al-Khater ने एक ट्वीट में इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "100 महिला फुटबॉल खिलाड़ियों और उनका परिवार यहां लाया गया है."
कतर सरकार ने FIFA के सहयोग से दिया इस मिशन को अंजाम
कतर सरकार ने Federation Internationale de Football Association (FIFA) के साथ मिलकर इन खिलाड़ियों को यहां से सुरक्षित बाहर निकाला है. इनमें से कुछ खिलाड़ी अफगानिस्तान की राष्ट्रीय टीम के मेम्बर हैं. इन सभी को यहां एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है. यहां इन सभी का सबसे पहले कोविड-19 टेस्ट किया जाएगा. ये सभी खिलाड़ी कतर में कितने दिनों तक रहेंगे इसको लेकर अब तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
इस से पहले अफगानिस्तान की युवा महिला फुटबॉल टीम ने छोड़ा था देश
इस से पहले सितंबर में अफगानिस्तान की युवा महिला फुटबॉल टीम के प्लेयर्स ने भी अपने परिवार वालों के साथ अफगानिस्तान छोड़ दिया था. ये सभी खिलाड़ी पाकिस्तान पहुंची थी. ये सभी यहां से 30 दिनों के बाद किसी तीसरे देश के लिए रवाना होंगी. फिलहाल ये सभी महिला फुटबॉलर लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम के अंदर फीफा हाउस में रह रही हैं. कई अंतरराष्ट्रीय संगठन इन महिला खिलाड़ियों को यूके, यूएस औऱ ऑस्ट्रेलिया जैसे देश उन्हें अपने यहां सेटल करने का कार्य कर रहे हैं.
1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन के दौरान के तालिबान के तुगलकी फरमान इस बार भी लगाए जा रहे हैं. उस समय भी महिलाओं को खेलों से प्रतिबंधित कर दिया गया था और इस सरकार में भी यहीं हाल देखने को मिल रहा है. तालिबान के एक प्रतिनिधि ने 8 सितंबर को ऑस्ट्रेलियाई प्रसारक एसबीएस से कहा कि उन्हें नहीं लगता कि महिलाओं को क्रिकेट खेलने की अनुमति दी जाएगी क्योंकि यह "जरूरी नहीं" है और यह इस्लाम के खिलाफ होगा.
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