(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
अनिल कुंबले ने किया खुलासा, क्यों टीम इंडिया साल 2008 का ऑस्ट्रेलिया दौरा बीच में ही छोड़ना चाहती थी
कुंबले ने आर अश्विन के साथ एक बातचीत में खुलासा किया कि विवादास्पद सिडनी टेस्ट के बाद 2007-08 के ऑस्ट्रेलिया दौरे से बाहर निकलना एक "स्वीकार्य" विकल्प हो सकता था, लेकिन उनकी टीम ने पूरी कोशिश की थी कि अंत में टेस्ट मैच जीतकर वो एक अच्छे नोट पर इस सीरीज को खत्म करें.
साल 2007-08 का ऑस्ट्रेलियाई दौरा बेहद विवादास्पद था. दोनों टीमों के बीच अंपायर के फैसले को लेकर काफी विवाद हुए जिसके बाद ये और बढ़ गया. वहीं इस सीरीज में जनवरी 2008 का सिडनी टेस्ट कोई नहीं भुला सकता. इस टेस्ट में मंकीगेट स्कैंडल सामने आया था जहां हरभजन सिंह पर आईसीसी ने तीन मैचों का प्रतिबंध लगा दिया था. हरभजन पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई ऑल- राउंडर एंड्र्यू सायमंड्स पर नस्लीय टिप्पणी की थी.
विवाद इतना ज्यादा बढ़ चुका था कि टीम इंडिया इस सीरीज को बीच में ही छोड़ना चाहती थी लेकिन अनिल कुंबले इस फैसले के खिलाफ गए और भारत ने हरभजन मामले पर अपील की जिसका नतीजा ये हुआ था कि हरभजन पर सिर्फ मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया.
कुंबले ने आर अश्विन के साथ एक बातचीत में खुलासा किया कि विवादास्पद सिडनी टेस्ट के बाद 2007-08 के ऑस्ट्रेलिया दौरे से बाहर निकलना एक "स्वीकार्य" विकल्प हो सकता था, लेकिन उनके पक्ष ने कोशिश करने की परिस्थितियों में शेष मैच जीतकर एक उदाहरण स्थापित करने के लिए श्रृंखला जारी रखी.
"आप एक कप्तान के रूप में जानते हैं कि आप आमतौर पर मैदान पर निर्णय लेने के लिए तैयार रहते हैं. यहाँ मुझे कुछ चीज़ों का सामना करना पड़ा, जो खेल के बड़े हित में निर्णय लेने के लिए मैदान से बाहर थी, ”दिग्गज स्पिनर ने आर अश्विन को अपने यू-ट्यूब शो S DRS विद एश’ में इन सब बातों का खुलासा किया.''
49 साल के कुंबले, 132 मैचों से 619 विकटों के साथ देश के सर्वोच्च टेस्ट गेंदबाज ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें लगा कि ICC के फैसले से हरभजन को "अन्याय" हुआ.
भारत ने पहला टेस्ट 337 रनों से और दूसरा टेस्ट 122 रनों से गंवाया था लेकिन पर्थ में तीसरा टेस्ट 72 रन से जीता और एडिलेड में चौथा और अंतिम टेस्ट ड्रा में समाप्त हुआ.