Asian Games 2018: नीरज चोपड़ा ने गोल्ड पर लगाया निशाना, 9वें दिन आए तीन सिल्वर
Asian Games 2018: भारत को स्वर्ण (गोल्ड) भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने दिलाया. नीरज जब जकार्ता जा रहे थे तभी से उनसे पूरे देश को स्वर्ण की उम्मीद थी और उन्होंने अपने फ्रशंसकों को निराश भी नहीं किया.
जकार्ता: भारतीय एथलीटों ने 18वें एशियाई खेलों के नौवें दिन सोमवार को कुल चार पदक अपने नाम करते हुए देश को झूमने का मौका दिया. इन चार पदकों में एक स्वर्ण और तीन रजत पदक शामिल हैं. उम्मीद के मुताबिक भारत को स्वर्ण (गोल्ड) भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने दिलाया. नीरज जब जकार्ता जा रहे थे तभी से उनसे पूरे देश को स्वर्ण की उम्मीद थी और उन्होंने अपने प्रशंसकों को निराश भी नहीं किया.
वहीं, सुधा एक समय स्वर्ण की रेस में थीं, लेकिन अंत में वह पिछ़ड़ गई रजत (सिल्वर) पदक तक सीमित रह गईं. भारत के ध्वजावाहक रहे नीरज ने अपनी ख्याति के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए सोने की चमक बिखेरी. नीरज ने अपनी सर्वश्रेष्ठ थ्रो 88.06 मीटर की फेंकी और स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया. नीरज ने यह सोने का तमगा पांच में से दो प्रयासों में विफलता के बाद भी हासिल किया. यह भारत का नौवें दिन का पहला स्वर्ण पदक है.
रजत पदक जीतने वाले चीन के किझेन लियू 82.22 मीटर की थ्रो फेंक कर दूसरे स्थान पर तो वहीं पाकिस्तान के नदीम अरशद ने 80.75 की सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंक कांस्य पदक हासिल किया.
नीरज ने अपने पहले प्रयास में 83.46 मीटर की थ्रो फेंकी. वहीं उनका दूसरा प्रयास फाउल हो गया. तीसरे प्रयास में उन्होंने 88.06 मीटर की थ्रो फेंक अपना स्वर्ण पक्का कर लिया था और हुआ भी यही. उनकी इस थ्रो के बाद कोई भी खिलाड़ी उनके आस-पास नहीं भटक सका. चौथे प्रयास में नीरज ने 83.25 मीटर की दूरी मापी. उनका आखिरी प्रयास भी फाउल रहा लेकिन इससे नीरज के स्वर्ण पदक पर कोई असर नहीं पड़ा.
चोपड़ा का स्वर्ण पदक असल में एशियाई खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में भारत का केवल दूसरा पदक है. उनसे पहले 1982 में नई दिल्ली में गुरतेज सिंह ने कांस्य पदक जीता था. मिल्खा सिंह के बाद नीरज दूसरे ऐसे एथलीट है जिन्होंने एक ही साल में कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता.
जीत के बाद नीरज चोपड़ा ने कहा कि उनका लक्ष्य एशियाई खेलों का रिकॉर्ड बनाना था जिसे वह मामूली अंतर से चूक गये. जीत के बाद नीरज ने कहा ‘‘यह आसान नहीं था. अच्छे थ्रोअर भी थे लेकिन वे बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाये. मैंने बहुत अच्छी तैयारी की थी और एशियाई रिकार्ड बनाना चाहता था लेकिन भाले की लंबाई मसला था और इस वजह से मैं दूरी हासिल नहीं कर पाया.’’
भारत की महिला धावक सुधा 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा के फाइनल में रजत पदक पर कब्जा जमाने में सफल रहीं. सुधा ने नौ मिनट 40.03 सेंकेंड में दूरी तय करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया. बहरीन की विनफ्रेड यावी ने नौ मिनट 36.52 सेकेंड का समय निकालते हुए स्वर्ण पदक जीता.
महिला धावक सुधाइंचियोन में 2014 में खेले गए एशियाई खेलों में इससे बेहतर नौ मिनट 35.64 सेकेंड का समय निकाला था, लेकिन फिर भी चौथे स्थान पर रही थीं. कांस्य पदक पर वियतनाम की थि ओन्ह गुयेन ने नौ मिनट 43.83 सेकेंड का समय निकला. भारत की एक और धावक चिंता 11वें स्थान पर रहीं. उन्होंने 10 मिनट 26.21 सेकेंड का समय निकाला.
सुधा से पहले, धरुण अय्यासामी ने पुरुषों की 400 मीटर बाधा दौड़ स्पर्धा के फाइनल में राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित करते हुए रजत पदक अपने नाम किया. फाइनल रेस में धरुण ने अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए 48.96 सेकेंड का समय निकाला और दूसरा स्थान हासिल किया.
धरुण अय्यासामीतमिलनाडु के 21 वर्षीय अय्यासामी के नाम 49.45 सेकेंड का पिछला राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी था जिसे उन्होंने मार्च में हुए फेडरेशन कप के दौरान बनाया था. वह इस स्पर्धा में 49 सेकेंड से पहले रेस पूरी करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं. भारत के संतोष कुमार तमिलारसन 49.66 सेकेंड का समय निकालते हुए पांचवां स्थान हासिल किया.
वहीं, नीना वरकिल ने महिलाओं की लंबी कूद स्पर्धा में भारत को रजत पदक दिलाया. नीना ने फाइनल में 6.51 मीटर के दूसरा स्थान हासिल कर अपनी झोली में पदक डाला. फाइनल में नीना ने दमदार शुरुआत की और पहले प्रयास में 6.41 मीटर की कूद लगाई. दूसरे और तीसरे प्रयास में उन्होंने 6.40 और 6.50 मीटर की दूरी तय की जबकि पांचवें प्रयास में उन्होंने 6.51 मीटर की कूद लगाई. अगले दो प्रयासों में वह 6.46 और 6.50 मीटर की ही दूरी तय कर पाईं.
नीना वरकिलपदकों के अलावा हालांकि भारत को निराशा भी हाथ लगी. महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ में जौना मुर्मु और अनु राघवन फाइनल में क्रमश: चौथे और पांचवें पायदान पर रहीं. चेतन बालासुब्रमण्यम पुरुषों की ऊंची कूद स्पर्धा में आठवें पायदान पर रहे. चेतन ने फाइनल मुकाबले में 2.20 मीटर की कूद लगाई. पुरुषों की 800 मीटर स्पर्धा में जिनसन जॉनसन, मनजीत सिंह फाइनल में क्वालीफाई करने में सफल रहे.