पोलियो को मात देकर डेब्यू में लिया 4 विकेट, उसी साल बने भारत के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर, कौन हैं बी चंद्रशेखर
भगवत चंद्रशेखर स्पिन गेंदबाजी के जादूगर थे. आज वह 75 साल के हो गए हैं. चंद्रशेखर ने अपने टेस्ट करियर में कमाल का प्रदर्शन किया था. उन्होंने 58 टेस्ट मैचों में 29.74 की औसत से 242 विकेट चटकाए. उनकी कलाई गेंद फेंकते वक्त ज्यादा मुड़ जाती थी, जो उन्हें सामान्य स्पिनरों से अलग करती थी.
दिग्गज भारतीय खिलाड़ी भगवत सुब्रमण्यम चंद्रशेखर स्पिन गेंदबाजी के जादूगर थे. आज वह 75 साल के हो गए हैं. वो टीम इंडिया की स्पिन चौकड़ी का हिस्सा थे जिसमें ईएएस प्रसन्ना, बिशन सिंह बेदी, श्रीनिवासराघवन वेंकटराघवन शामिल थे. इन खिलाड़ियों का साल 1960 से 1970 के बीच वर्चस्व था. चंद्रशेखर का जन्म आज ही के दिन 1945 को मैसूर में हुआ था. उन्होंने क्रिकेट में शुरुआती रुचि विकसित की. वो ऑस्ट्रेलिया के पूर्व स्पिनर रिची बेनॉड की खेल शैली से प्रेरित थे. 10 साल की उम्र में, चंद्रशेखर ने क्रिकेट खेलना शुरू किया और 1964 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया.
चंद्रशेखर अपनी उछलती-कूदती और तेज गुगली के साथ भारतीय क्रिकेट टीम की टोपी में एक गहने जैसे थे. उन्होंने विदेशी टेस्ट में राष्ट्रीय टीम का रंग बदल दिया. लेग स्पिनर ने राष्ट्रीय टीम को लंबे समय तक विदेशी परिस्थितियों में टेस्ट मैच जीतने में मदद की. जब चंद्रशेखर टीम का हिस्सा थे तो उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 14 जीत में 98 विकेट लिए थे. उनका औसत 19.27 और स्ट्राइक रेट 45.4 था. कुल मिलाकर, उन्होंने राष्ट्रीय टीम के लिए 58 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 8/79 की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी के साथ 242 विकेट झटके हैं.
???? Tests: 58 ???? Wickets: 242 ???? Five-fors: 16
Happy birthday to former ???????? leg-spinner BS Chandrasekhar, who is held in special regard for having spun his side to famous Test victories in England and Australia. pic.twitter.com/S4AFLsWVFA — ICC (@ICC) May 17, 2020
उन्होंने विजडन क्रिकेट से कई पुरस्कार जीते. 1972 में, उन्हें विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर नामित किया गया था और बाद में 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ 1971 में ओवल में 38 रन देकर 6 विकेट लिए थे और सदी के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी के लिए विजडन का पुरस्कार पाया था. कम उम्र में, चंद्रशेखर को पोलियो हो गया था जिस कारण उनका बायां हाथ सूख गया था, लेकिन इसने उन्हें अपने सपनों को हासिल करने से नहीं रोका. उन्होंने ठीक होने के बाद 10 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया. उन्होंने अपने टेस्ट डेब्यू पर चार विकेट लिए और उसी साल भारतीय क्रिकेटर ऑफ द ईयर से नवाजे गए.
चंद्रशेखर इंग्लैंड में भारत की जीत में प्रभावशाली गेंदबाजों की सूची में शामिल थे और 1972 में अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित किए गए. एक बल्लेबाज के रूप में, वह नंबर 11 पर बल्लेबाजी के लिए आते थे और अपने मौके को सही ठहराते थे. वो हर 4 इनिंग्स बाद 0 पर आउट होते थे. औसत के हिसाब से वो 80 पारियों में 23 बार 0 पर आउट हुए.