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DRS पर ड्रेसिंग रूम से मदद की परमिशन होनी चाहिए: संजय मांजरेकर
भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज संजय मांजरेकर ने रविवार को कहा कि निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के इस्तेमाल में संशय होने पर बल्लेबाजों को ड्रेसिंग रूम से मदद लेने की अनुमति मिलनी चाहिए.
कोलकाता: भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज संजय मांजरेकर ने रविवार को कहा कि निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के इस्तेमाल में संशय होने पर बल्लेबाजों को ड्रेसिंग रूम से मदद लेने की अनुमति मिलनी चाहिए. ईडन गार्डन्स स्टेडियम में जारी पहले टेस्ट मैच के चौथे दिन श्रीलंका के बल्लेबाज दिलरुवान परेरा की ओर से डीआरस के फैसले की मांग पर विवाद खड़ा हो गया. ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने ड्रेसिंग रूम की तरफ देखने के बाद इसकी मांग की थी.
श्रीलंका की टीम 57वें ओवर में सात विकेट के नुकसान पर 208 रन बना चुकी थी. परेरा सात गेंद खेल चुके थे और उनका खाता नहीं खुला था. अंपायर नाइजेल लॉन्ग ने उन्हें मोहम्मद शमी की गेंद पर पगबाधा आउट करार दिया.
परेरा आउट दिए जाने के बाद पवेलियन की तरफ मुड़े, उन्होंने ड्रेसिंग रूम की ओर देखा और वापस पलटकर डीआरएस की मांग की.
इसके बाद डीआरएस से पता चला कि परेरा आउट नहीं हुए थे. विचित्र अंदाज में लिए गए डीआरएस पर कमेंटेटर ने भी टिप्पणी की.
संजय ने संवाददाताओं से कहा, "मुझे लगा कि जो भी हमने टेलीविजन पर देखा, उससे यही पता चलता है कि डीआरएस के इस्तेमाल के लिए ड्रेसिंग रूम से इशारे किए गए थे. हालांकि, इसके लिए कोई पुख्ता सबूत नहीं है."
उन्होंने कहा, "अगर आप पिच से जा रहे हैं और 15 सेकेंड में बल्लेबाज ड्रेसिंग रूम की ओर देखने के बाद डीआरएस की मांग करता है, तो मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई बड़ी बात है."
संजय ने कहा, "मुझे ऐसा लगता है कि एक बार फिर इस मामले में नियम की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए और इसमें बदलाव किया जाना चाहिए, क्योंकि जब आप क्षेत्ररक्षण करते हैं, तो आपके पास विचार-विमर्श के लिए 11 खिलाड़ी होते हैं. आपने स्टीव स्मिथ को भी देखा था..ऐसे में अगर आप बल्लेबाजी कर रहे हैं, तो आपको बाहर से भी मदद की जरूरत होती है."
वर्तमान में कमेंटेटर की भूमिका निभा रहे संजय ने एक क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में अपने करियर के दौरान 37 टेस्ट व 74 वनडे मैच खेले थे. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 2,043 और वनडे में 1,994 रन बनाए हैं.
संजय ने कहा कि जब आप टीवी में देखते हैं, तो आप सही तरीके से देखते हैं और यह दोनों टीमों के लिए अच्छा होता है. कोशिश तो यही होती है कि निर्णय सही हो, इसलिए इस पर विचार किया जाना चाहिए.
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अशोक वानखेड़ेवरिष्ठ पत्रकार
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