एक बार फिर से क्रिकेट इवेंट्स को शुरू करने के लिए बीसीसीआई फिलहाल दबाव में है. तो वहीं बीसीसीआई स्टाफ और एपेक्स काउंसिल के लिए सबसे बड़ा मुद्दा अध्यक्ष सौरभ गांगुली और सेक्रेटरी जय शाह की याचिका है जो सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल को लेकर है. दोनों का कार्यकाल जून और जुलाई के महीने में खत्म होने वाला है. ऐसे में ये भी कहा जा रहा है कि कुछ फोकस क्रिकेट पर भी होगा जिसमें टीम इंडिया और डोमेस्टिक के लिए क्रिकेट की शुरूआत करनी है.


कई दिनों से ये बात चल रही है कि टीम इंडिया के लिए नेशनल कैम्प का आयोजन 15 जून से एनसीए बैंगलोर में करवाया जा सकता है तो वहीं दक्षिण अफ्रीका दौरा भी मुमकिन है. लेकिन अब बोर्ड डोमेस्टिक क्रिकेट को कम कर सकता है जिसकी शुरूआत सितंबर के महीने से होने वाली है.


जानकारी के आधार इस कोरोना साल में बीसीसीआई ये कदम उठा सकती है जिसमें सिर्फ बेसिक टूर्नामेंट्स ही खेलने की बात कही जा रही है. ऐसे में बीसीसीआई दिलीप ट्रॉफी और देवधर ट्रॉफी को भी रद्द कर सकीत है. इस बीच सईद मुश्ताक अली ट्रॉफी को शुरू किया जा सकता है. क्योंकि बोर्ड के दिमाग में अभी भी आईपीएल है. टूर्नामेंट को अगर कम किया जा रहा है तो ऐसे में आईपीएल डोमेस्टिक क्रिकेट के 2 महीने खा सकता है.


बोर्ड यहां पर सफेद गेंद क्रिकेट को जोन आधारित कर सकता है जहां ये पांच जोन में बंट जाएगा. इसे खिलाड़ियों और टीमों को ज्यादा यात्रा नहीं करनी पड़ेगी तो वहीं रोड ट्रेवल भी कम रहेगा. ऐसे में खिलाड़ियों के लिए भी एक सुरक्षित वातावरण तैयार होगा. रणजी ट्रॉफी फिलहाल लिस्ट में टॉप पर है. बीसीसीआई ने इससे पहले कई उम्र आधारित टूर्नामेंट्स शुरू किए थे जिसमें महिलाएं भी शामिल थी लेकिन अब इसे दोबारा पुराने तरीके से ही शुरू किया जा सकता है जहां सिर्फ एक ही टूर्नामेंट हुआ करता था.


पिछले कुछ सालों में बोर्ड ने डोमेस्टिक टूर्नामेंट्स को खत्म करने की कोशिश की क्योंकि ये तो सेलेक्टर्स और न ही टीम के खिलाड़ियों के लिए फायदेमंद था. लेकिन जिन लेजेंड्स क्रिकेटर्स के नाम पर इन टूर्नामेंट्स का नाम पड़ा था. उनकी खातिर बोर्ड को काफी फजीहत झेलनी पड़ी. ऐसे में अब कोरोना संकट के बीच बीसीसीआई आखिरकार इन डोमेस्टिक टूर्नामेंट्स को कम कर सकती है.