बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के टाइटल प्रायोजक बने रहेंगे. उन्होंने कयासों को संबोधित करते हुए कहा कि भले ही चीनी ब्रैंड आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सर है लेकिन यहां लोगों को समझना होगा कि उससे कमाया जाने वाला पैसा अंत में भारत में ही रह रहा है. लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे जिसके बाद लोगों ने चीनी कंपनी और सामानों का विरोध करना शुरू कर दिया था.


बीसीसीआई भले ही दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है जिसकी कमाई कुल 11,900 करोड़ रुपये है लेकिन अगर यहां हम चीनी स्पॉन्सर का बहिष्कार करते हैं तो इससे चीनी कंपनियों को बहुत कम फर्क पड़ेगा. लेकिन अगर बीसीसीआई के नुकसान की बात करें तो यहां बोर्ड को 1675 करोड़ रुपये का नुकसान हो जाएगा जो काफी ज्यादा है. इसमें स्पॉन्सरशिप डील्स और बाकी बचे जो डील्स हैं वो शामिल हैं.


इसके अलावा 1000 करोड़ रूपये का और नुकसान होगा क्योंकि होस्ट बॉडकास्टर स्टार है जिसे एड और चीनी कंपनियों से पैसा मिलता है. पिछले कुछ नीलामी की अगर बात करें तो ये टक्कर वीवो और ओप्पो के बीच हुई थी जहां जिसने ज्यादा पैसा दिया था उसे स्पॉन्सर मिला था. ऐसे में अगर बीसीसीआई को अपनी कुल वैल्यू को बचाकर रखना है तो उसे अपने आसपास 2,3 कंपनियां रखनी ही होगी जिससे अगली बार सभी के बीच में प्रतियोगिता हो और बीसीसीआई को ज्यादा पैसे मिले नहीं तो बीसीसीआई को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा सकता है.


बीसीसीआई और चीनी स्पॉन्सर डील (लगभग)


वीवो - पांच साल के आईपीएल टाइटल प्रायोजक सौदे पर 2200 करोड़. 450 करोड़ प्रति वर्ष - शेष दो वर्षों के लिए 900 करोड़.


पेटीएम - 326 करोड़ - 2023 तक शेष तीन वर्ष के लिए 180 करोड़ का नुकसान.


ड्रीम इलेवन - आईपीएल के चार वर्षों के लिए 210 करोड़ - शेष तीन वर्षों के लिए 150 करोड़ का नुकसान.


स्विगी- प्रति वर्ष 50 करोड़, शेष एक वर्ष के लिए 25 करोड़ का नुकसान.


बायजू - पांच साल के लिए 1079 करोड़ की जर्सी प्रायोजक, लगभग 210 करोड़ प्रति वर्ष - शेष दो वर्षों के लिए 420 करोड़ का नुकसान.


विज्ञापन के माध्यम से स्टार को राजस्व हानि से अतिरिक्त 1000 करोड़