एक इंसान अपनी जिंदगी में कई मौकों पर उतार चढ़ाव का सामना करता है. जब बात एक खिलाड़ी के करियर की हो तो सवाल उठना लाजिमी है खास कर जब वह नेशनल टीम का हिस्सा हो. एक खिलाड़ी के लिए टीम से बाहर होना और फिर वापस अपनी जगह बनाना आसान नहीं होता. लेकिन कुलदीप यादव के साथ कई बार हो चुका है.


बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट में 188 रनों की जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले प्लेयर कुलदीप यादव की कहानी भी कुछ ऐसे ही है. भारत और बांग्लादेश के बीच कल यानी 22 दिसंबर को दूसरा टेस्ट मैच शुरू हो चुका है.


दूसरे टेस्ट मैच के लिए जब भारत की प्लेइंग-11 घोषित हुई तो भारतीय टीम एक बदलाव के साथ मैदान पर उतरी. कप्तान केएल राहुल ने दूसरे टेस्ट में जयदेव उनादकट को 12 साल बाद टेस्ट में खेलने का मौका दिया, लेकिन इसके लिए उन्होंने कुलदीप यादव को टीम से बाहर कर दिया. 




जबकि कुलदीप यादव ने पहले टेस्ट मैच में 8 विकेट लिए थे और 40 रन की उपयोगी पारी खेली थी. उनके पहले प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच भी चुना गया था. कुलदीप यादव को टीम से बाहर रखने की काफी आलोचना हो रही है. उन्होंने इस टेस्ट से 22 महीने पहले अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था. लगभग दो साल के बाद वापसी करते हुए उन्होंने आठ विकेट चटकाए थे.


कुलदीप यादव को टीम से बाहर रखने का क्या कारण है


कुलदीप यादव को टीम में जगह नहीं देने के फैसले पर टॉस के बाद बातचीत में कप्तान केएल राहुल ने कहा कि कुलदीप यादव को टीम से बाहर रखना एक बेहद ही मुश्किल फ़ैसला था. टीम में हमारे पास स्पिनर के रूप में अश्विन और अक्षर हैं. उन्होंने कहा कि विकेट को लेकर काफ़ी कन्फ़्यूजन था और ये पता नहीं चल पा रहा था कि उस पिच को लेकर क्या उम्मीद की जा सकती है. इसलिए उन्होंने कोचिंग स्टाफ और अपने सीनियर्स से बात की है.


कप्तान केएल राहुल ने कुलदीप को बाहर करने के पीछे जो तर्क दिया है वो किसी के भी गले के नीचे नहीं उतर रहा है.  क्योंकि राहुल जिस पिच को डैंप बता रहे हैं वहां पर भारतीय टीम को पहला विकेट गिराने में पसीना बहाना पड़ गया और नतीजा ये रहा कि बांग्लादेश की सलामी जोड़ी 15 ओवर तक टिकी रही. सवाल इस बात का है कि टीम इंडिया के कप्तान और कोच दोनों को अगर पिच के बारे में कोई अंदाजा नहीं लग पा रहा है तो वो रणनीति किस हिसाब से बना रहे हैं.


वहीं कुलदीप को टीम में अंदर-बाहर करने का सिलसिला नया नहीं है. उन्हें कप्तान विराट कोहली और कोच शास्त्री के समय भी बाहर किया जा चुका है. लेकिन कुलदीप की टीम में वापसी रोहित शर्मा के कप्तानी के समय हुई और केएल राहुल के हाथ में कमान आते ही फिर उनको बिना किसी ठोस वजह के बाहर बैठा दिया गया. 



कुलदीप यादव का सफर



  • कुलदीप यादव को पहली बार साल 2012 में अंडर-19 टीम के लिए खेलने का मौका मिला था. लेकिन विकेट लेने के बावजूद उन्हें टीम में खेलने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था.

  • इसके बाद साल 2014 में उन्होंने अंडर-19 वर्ल्ड कप में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के साथ सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. इसके बाद उन्हें आईपीएल में जगह मिली और उसी साल अक्टूबर के महीने में उन्हें वनडे टीम में भी जगह मिली.

  • कुलदीप यादव को पहला वनडे खेलने का मौका साल 2017 में मिला था. उस वक्त उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट टीम में शामिल किया गया. कुलदीप ने अब तक खेले अपने आठ टेस्ट मैच में 34 विकेट लिए हैं. कुलदीप ने अब तक  25 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं और 44 विकेट लिए हैं.


जितने भी बड़े प्लेयर कुलदीप का फेवर कर रहे हैं 


पिछले मैच में मैन ऑफ द मैच रहने वाले कुलदीप के बाहर होने पर कई पूर्व भारतीय दिग्गज नाराज हैं, जिसमें से एक सुनील गावस्कर का नाम भी शामिल है. गावस्कर ने कुलदीप को बाहर किए जाने पर सवाल भी उठाया है.


गावस्कर ने कहा, "मैन ऑफ द मैच रहने वाले खिलाड़ी को बाहर करने पर भरोसा नहीं होता है. मैं केवल यही कह सकता हूं और यह काफी साधारण शब्द है. मैं कुछ कड़े शब्दों का इस्तेमाल करना पसंद करूंगा, लेकिन भरोसा नहीं होता कि आपने मैन ऑफ द मैच रहने वाले खिलाड़ी को छोड़ दिया है, जिसने 20 में से आठ विकेट अकेले चटकाए थे. आपने टीम में दो अन्य स्पिनर्स को रखा है तो निश्चित तौर पर इनमें से किसी एक को निकाला जा सकता था."


वहीं पूर्व महिला क्रिकेटर अंजुम चोपड़ा ने इस फैसले पर अपनी नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया, 'कुलदीप को टीम से बाहर रखना आश्चर्यजनक है, लेकिन ये टेक्निकल हो सकता है. तीन दिन पहले ही कुलदीप यादव को 'प्लेयर ऑफ द मैच' चुना गया था.'




वापसी पर शानदार रहा कुलदीप का प्रदर्शन


मार्च 2021 के बाद पहली बार कुलदीप ने भारत की टेस्ट टीम में वापसी की थी और उन्होंने पहली पारी में ही पांच विकेट लेकर इसे सही साबित किया था. मैच में कुलदीप ने कुल आठ विकेट चटकाए थे. पहली पारी में कुलदीप ने बल्ले से भी अच्छा योगदान दिया था और 40 रनों की शानदार पारी खेलते हुए रविचंद्रन अश्विन के साथ मिलकर भारत को अच्छे स्कोर तक पहुंचाया था. कुलदीप का टेस्ट करियर कुछ इसी तरह का रहा है जिसमें वह टीम से अंदर-बाहर होते ही रहे हैं. 


2010 में अमित मिश्रा के साथ भी ऐसा ही हुआ था 


साल 2010 में कुछ ऐसा ही हुआ था. जब अमित मिश्रा ने एक टेस्ट में सात विकेट लिए थे और 50 रन बनाए थे. लेकिन मीरपुर में होने वाले अगले टेस्ट में उन्हें टीम से बाहर रखा गया था.


क्या टीम इंडिया में सिर्फ चहेतों को जगह?


कुलदीप को बाहर करने के फैसले को पूर्व दिग्गजों ने भी गलत माना है. अब सवाल इस बात का है कि क्या टीम इंडिया में सेलेक्शन प्रदर्शन के आधार पर नहीं, चेहरा देखकर किया जाता है और टीम के अंदर भी खेमे वाली राजनीति चल  रही है. हाल ही में हुए टी-20 विश्वकप में भी कई बार कैमरे में कई ऐसी बातें दिखीं जिससे साफ लगा कि टीम इंडिया में सब कुछ ठीक नहीं है.