कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए पूर्व भारतीय क्रिकेटर चेतन चौहान का निधन हो गया है. उन्होंने रविवार को अंतिम सांस ली. 73 वर्षीय चौहान, जो उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे, 12 जुलाई को कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्हें लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था.


इससे पहले सुबह डीडीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि, "आज सुबह चेतन जी की किडनी फेल हो गई थी और बाद में मल्टी ऑर्गन फेलियर था. वह इस समय लाइफ सपोर्ट पर हैं. हम सभी प्रार्थना कर रहे हैं कि वे इस लड़ाई को जीतें.


40 टेस्ट मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले चौहान, सबसे लंबे समय तक प्रसिद्ध सुनील गावस्कर के साथ ओपनिंग पार्टनर रहे थे.


आईए जानते हैं कैसा था उनका क्रिकेट से राजनीति तक का सफर





पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान वर्तमान दौर में भारतीय जनता पार्टी के नेता थे. यही नहीं वे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में खेल मंत्री भी थे. चेतन चौहान की हालत बेहद गंभीर थी. उन्हें शनिवार को किडनी फेल होने के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन अंत में कोरोना ने उनकी जान ले ली.


चेतन चौहान ने अपना करियर एक क्रिकेटर के तौर पर शुरु किया था. एक वक्त मशहूर ओपनर बल्लेबाज सुनील गावस्कर के साथ उनकी जोड़ी बेहद लोकप्रिय थी. पिछले महीने 21 जुलाई को उन्होंने अपना 73वां जन्मदिन मनाया था. उनका जन्म 1947 में बरेली में हुआ था.


क्रिकेटिंग करियर


भारत के इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने 40 टेस्ट मैचों में 2084 रन बनाए और उनका सार्वाधिक स्कोर 97 रहा. करियर में बिना शतक लगाए (1969-1981) दो हजार रन बनाने वाले वह दुनिया के पहले क्रिकेटर हैं. वैसे बिना शतक लगाए सबसे ज्यादा रन बनाने के रिकॉर्ड शेन वॉर्न के नाम है. उन्होंने (1992-2007) 145 टेस्ट मैचों में 3154 रन बनाए और उनका उच्चतम स्कोर 99 रहा था.


गावस्कर और चौहान की जोड़ी ने टेस्ट की 60 पारियों में 54.85 की औसत से 3127 रन बनाए. दोनों ने कुल 11 शतकीय साझेदारियां कीं, जिनमें से 10 पहले विकेट के लिए रहीं.


राजनीतिक सफर


चेतन चौहान ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट से 1991 में अमरोहा में चुनाव लड़ा और वे वहां से सांसद चुने गए. इसके बाद एक बार फिर 1996 में भाजपा ने उन्‍हें इसी मैदान में चुनावी जंग के लिए उतारा, लेकिन इस बार वे हार गये. 1998 में चेतन चौहान एक बार फिर सांसद चुने गए. वहीं, साल 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी उन्‍होंने अपनी किस्‍मत आजमाई, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. फिलहाल वे अमरोहा जिले की नौगांवा विधानसभा के विधायक थे.