वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में साउथ हैम्पटन के मैदान पर दोनों ही पारियों में भारतीय टीम के तमाम बल्लेबाज फेल रहे. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि सिर्फ चेतेश्वर पुजारा को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है? क्रिकेट के कई जानकार, समर्थकों के साथ साथ भारतीय टीम मैनेजमेंट भी पुजारा की धीमी गति के बल्लेबाजी से नाराज हैं. लेकिन क्या वाकई साउथ हैम्पटन में इसी वजह से मैच हारी है टीम इंडिया? टेस्ट मैच में लगभग 4 दिन के आसपास का खेल हुआ था और बाकी मैच बारिश की वजह से नहींं हो सका था.
टेस्ट मैच में हार और जीत के साथ साथ एक और रिजल्ट भी होता है, ये सबको पता है. ऐसे में भारत को मैच ड्रा करने के लिए दो इनिंग्स मिलाकर महज दो दिन के आसपास यानी कि 180 ओवर या उससे थोड़ा ज्यादा बल्लेबाजी करनी थी. मैच ड्रा भी होता तो फाइनल में दोनों टीमों को जॉइंट विनर घोषित कर दिया जाता. लेकिन भारतीय बल्लेबाज दोनों इनिंग्स मिलाकर भी 165 ओवर ही टिक पाए. चेतेश्वर पुजारा पहली पारी में 54 गेंदों पर सिर्फ 8 रन और दूसरी पारी में 80 गेंदों पर 15 रन बनाए थे. ऐसे में चारों तरफ से उनपर सवाल उठ रहा हैं.
चेतेश्वर पुजारा के फॉर्म पर एक नजर
लेकिन जो सवाल उठा रहे हैं उनको शायद ये भी देखना चाहिए कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में फाइनल का सफर जो टीम इंडिया ने तय किया उसमें चेतेश्वर पुजारा ने एक बहुत ही अहम किरदार निभाए. साल 2018 के दिसंबर में एडिलेड ओवल मैदान पर जब भारतीय टीम 5 विकेट खो चुकी थी, तब पुजारा के शानदार शतक के बदौलत ही उस टेस्ट मैच की पहली पारी में टीम इंडिया 250 रन तक ही पहुंच पायी थी. टेस्ट की दूसरी पारी में भी पुजारा ने हाफ सेंचुरी मारकर एडिलेड में भारत को जीत दिलाने के साथ साथ मैन ऑफ द मैच का खिताब भी अपना नाम कर लिया था. उसी सीरीज में मेलबर्न टेस्ट मैच में भी सौराष्ट्र के इस मिडिल आर्डर बल्लेबाज ने बेहतरीन पारी खेला था. अब इस इनिंग्स को भी देख लीजिए. पुजारा ने 319 गेंदों पर 106 रन बनाए थे. इस टेस्ट मैच में भी भारत ने 137 रनों से जीत दर्ज की. रही बात 2021 में भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया सीरीज की आखरी टेस्ट मैच की, तो टीम इंडिया ने ब्रिसबेन में चौथी पारी में 329 रन चेज करके जीत हासिल की थी. उस इनिंग्स में भी 211 गेंदों में 56 रन बनाए पुजारा ने. ऋषभ पंत 89 और शुभमन गिल 91 रन बनाकर भारत को जीत तक पहुंचा दिया.
अबतक बेहतर रहा है पुजारा का रिकॉर्ड
टेस्ट मैचों की बात करें तो भारत के महान बल्लेबाज राहुल द्रविड़ की स्ट्राइक रेट पुजारा से भी थोड़ा कम था. विदेशी धरती पर टेस्ट सीरीज के दौरान रन बनाने के साथ साथ विकेट बचाकर रखना भी अहम हो जाता है और द्रविड़ या फिर पुजारा ने यही विकेट बचाकर रखने का काम सालों से बखूबी निभाया है. लंबे फॉरमेट के क्रिकेट में 18 सेंचुरी कम नहीं होता है. और सबसे बड़ी बात ये की पुजारा के इर्द गिर्द स्ट्रोक प्लेयरों ने कई मैचेस में भारत को जीत दिलाई. चेतेश्वर पुजारा अपने दम पर भी कई मैचों में जीत दिलाने में मदद की है. ऐसे ही धीमी स्टाइल अपनाकर उन्होंने भारत को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल तक पोहोंचाने मे मदद की . अब अचानक एक फाइनल मैच में हारने के बाद खासकर उनपर सवालिया निशान लगाया जा रहा है. जबकि दोनों ही पारियों में कई सेट बैट्समैन खराब शॉट्स खेलकर विकेट गवाएं और वे इससे बेहतर कर सकते थे. अब इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारत को नॉटिंघम, लॉर्ड्स, लीड्स , ओवल और मेनचेस्टर के मैदान पर 5 मैच खेलना है. इंग्लिश समर के दूसरे हाफ में बॉल स्विंग करेगी, आसमान में बादल छाया रहेगा. ऐसे में बल्लेबाजी आसान नहीं हॉगी. रन बनाने के साथ साथ विकेट बचाकर रखना भी अहम होगा. और स्लो बैटिंग के लिए कितना कुछ भी आप कह लीजिए लेकिन पुजारा का रोल अहम होने वाला है.