Shreeshankar Murali: 11 बजे बंद हो जाता है टीवी, NEET भी क्लियर कर चुके हैं श्रीशंकर, ऐसी है कॉमनवेल्थ गेम्स के मेडलिस्ट की कहानी
भारतीय एथलीट श्रीशंकर मुरली ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में लॉन्ग जंप स्पर्धा का सिल्वर मेडल अपने नाम किया है.
Shreeshankar Murali Wins Silver at CWG 2022: बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games 2022) में गुरुवार को भारत के 23 वर्षीय श्रीशंकर मुरली (Shreeshankar Murali) ने सिल्वर जीता. उन्होंने लॉन्ग जंप (Long Jump) इवेंट में यह मेडल अपने नाम किया. वैसे श्रीशंकर मुरली गोल्ड के ही दावेदार थे. उन्होंने गोल्ड मेडल विनर लकन नैरन के बराबर यानी 8.08 मीटर लंबी छलांग लगाई लेकिन उन्होंने पांचवें अटेम्प्ट में यह दूरी तय की और लकन ने दूसरे अटेम्प्ट में ही यह आंकड़ा छू लिया. यही कारण रहा कि श्रीशंकर बेहद करीब से गोल्ड चूक गए. हालांकि इसके बावजूद श्रीशंकर यहां इतिहास रचने में कामयाब रहे. दरअसल, उनका यह मेडल कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में पुरुषों की लॉन्ग जंप में भारत का केवल दूसरा मेडल है. उनसे पहले केवल सुरेश बाबू ने 1978 में ब्रॉन्ज जीता था.
लॉन्ग जंप में श्रीशंकर मुरली भारत की नई उम्मीद हैं. हाल ही में उन्होंन वर्ल्थ एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी फाइनल में जगह बनाई थी. ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी थे. श्रीशंकर मुरली को यह सफलताएं उनकी लाइफस्टाइल, डेडिकेशन और निरंतरता के चलते मिली हैं. फैमिली सपोर्ट भी इसके पीछे बड़ा कारण रहा है.
माता-पिता भी रहे हैं एथलीट
मूल रूप से केरल के पलक्कड़ जिले के रहने वाले श्रीशंकर का पूरा परिवार एथलेटिक्स से जुड़ा हुआ है. उनके पिता मुरली एकोस बिजमोल भारत के लिए दक्षिण एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीत चुके हैं और मां केएस बिजमोल ने साल 1992 में एशियाई जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 800 मीटर दौड़ में रजत पदक हासिल किया था. उनकी बहन श्रीपारवती भी हैप्थेलॉन की खिलाड़ी हैं. श्रीशंकर मुरली के पिता ही उनके कोच भी हैं. उन्हीं के देखरेख में वह आज कॉमनवेल्थ के सिल्वर मेडलिस्ट बने हैं.
छोटी उम्र, बड़े सपने
बहुत छोटी उम्र श्रीशंकर के पिता उन्हें प्रैक्टिस के लिए मैदान पर ले जाया करते थे. वह दौड़ के साथ-साथ एथलेटिक्स की अलग-अलग स्पर्धाओं का अभ्यास करते थे. स्टेट की अंडर-10 चैंपियनशिप में वह 50 मीटर और 100 मीटर रेस के चैंपियन रह चुके हैं. 13 साल की उम्र में उन्होंने दौड़ की जगह ट्रिपल जंप में करियर बनाने का फैसला किया और फिर धीरे-धीरे वह लॉन्ग जंप में आ गए.
18 साल की उम्र के बाद मिली थी फेसबुक, वाट्सएप चलाने की परमिशन
मुरली एकोस बिजमोल अपने बेटे के करियर के लिए बेहद एकाग्र रहे. वह ट्रेनिंग के दौरान न तो श्रीशंकर को म्यूजिक सुनने देते थे और न ही किसी अन्य तरह की टाइम वेस्ट करने वाली एक्टिविटी उन्हें पसंद थी. श्रीशंकर को 18 साल की उम्र पूरी करने के बाद फेसबुक, वाट्सएप और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को जॉइन करने की परमिशन मिली थी. आज भी उनके घर में 11 बजे के बाद टीवी नहीं चलती है.
NEET क्लीयर कर चुके हैं श्रीशंकर मुरली
श्रीशंकर मुरली के पिता ने खेल के साथ-साथ उनकी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दिया. यही कारण रहा कि श्रीशंकर ने 10वीं और 12वीं की एग्जाम में 95% स्कोर किया. श्रीशंकर मुरली NEET भी क्लियर कर चुके हैं. वह स्पोर्ट्स कोटा से अपने राज्य में दूसरे पायदान पर रहे थे. NEET के स्कोर से उन्हें मेडिकल सीट भी मिल रही थी लेकिन उन्होंने BSc Maths को चुना ताकि वह खेल पर फोकस बनाए रख सकें.
नो स्मोक, नो एल्कोहल
खेल के लिए फिजिकली फिट रहने के लिए श्रीशंकर स्मोक और एल्कोहल से भी परहेज करते हैं. वह अपने दोस्तों के साथ भी ऐसी किसी पार्टी में शरीक नहीं होते जहां यह सब चीजें होती हैं. यहां तक कि अगर वह खुद कोई पार्टी देते हैं तो वहां शराब की जगह फ्रूट जूस होता है.
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