(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एक्सपर्ट्स ने कहा, जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं मिल जाती तब तक टोक्यो ओलंपिक्स का होना बेहद मुश्किल
जापान की सरकार ओलंपिक के कारण टीके के विकास और वायरस के लिए एक दवा पर बड़ा जोर दे रही है. लेकिन वो अगले साल तक भी ओलंपिक होने की आशंका नहीं जता रहे हैं जब तक इसकी दवाई नहीं बन जाती.
कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण इस साल के टोक्यो ओलंपिक्स को अलगे साल के लिए टाल दिया गया था. लेकिन अब जापानी वैक्सीन रिसरचर्स का कहना है कि जब तक कोरोना की दवाई नहीं आ जाती तब तक ओलंपिक गेम्स का होना बेहद मुश्किल है.
ओसाका विश्वविद्यालय के रिसर्च फाउंडेशन फॉर माइक्रोबियल डिजीज के प्रोफेसर योशीहारू मत्सुरा ने स्काई न्यूज को बताया, “जापान की सरकार ओलंपिक के कारण टीके के विकास और वायरस के लिए एक दवा पर बड़ा जोर दे रही है. लेकिन वो अगले साल तक भी ओलंपिक होने की आशंका नहीं जता रहे हैं जब तक इसकी दवाई नहीं बन जाती.
विकासशील टीकों के आसपास जापान के सख्त नियम हैं, जिसका अर्थ है कि प्रगति धीमी है. प्रोफेसर ने आगे कहा कि, जापान वास्तव में दौड़ में पिछड़ रहा है, लेकिन दवा कंपनियों, विश्वविद्यालयों और वैक्सीन निर्माताओं ने सरकार से बड़ी धनराशि प्राप्त की है और लगभग एक महीने पहले उचित काम शुरू हो गया है. उन्होंने कहा कि, टीका की सुरक्षा के लिए खुद को साबित करने के लिए समय की आवश्यकता होती है. एक नियमित टीका विकास में 10 साल लगते हैं और वे एक साल में ऐसा करने के लिए कह रहे हैं. यह डरावना है.
प्रोफेसर मत्सुरा चिंतित है कि अगर एक जल्दबाजी में टीका गलत हो जाता है, तो यह जो एंटीबॉडीज पैदा करता है, वह इसके खिलाफ रक्षा करने के बजाय कोरोनोवायरस को मजबूत बना सकता है.
बता दें कि साल की शुरुआत में बड़ी संख्या में मामलों के बावजूद जापान ने कोरोनोवायरस महामारी को अच्छी तरह से संभाला है, जिसका मुख्य कारण डायमंड राजकुमारी क्रूज जहाज है. जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसार, इसमें 1,093 मौतें दर्ज की गई हैं, लेकिन हाल ही में मामले बढ़ रहे हैं.