Indian Cricket Team: टी20 विश्व कप का आठवां संस्करण जल्द ही ऑस्ट्रेलिया में खेला जाना है. इसका पहला संस्करण 2007 में दक्षिण अफ्रीका में खेला गया था. 2007 वनडे विश्व कप के पहले राउंड से ही बाहर होने वाले भारत ने टी20 विश्व कप के लिए एकदम युवा टीम भेजी थी. सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली जैसे दिग्गजों ने टूर्नामेंट में नहीं जाने का फैसला लिया था और महेन्द्र सिंह धोनी को भारत की कप्तानी सौंपी गई थी. धोनी के पास युवराज सिंह, हरभजन सिंह और वीरेंद्र सहवाग जैसे दिग्गज मौजूद थे.
इन अनुभवी खिलाड़ियों के अलावा टीम में रोहित शर्मा और युसुफ पठान जैसे नए खिलाड़ी भी मौजूद थे. भारत का पहला मैच पाकिस्तान से था जो टाई हो गया था. इसके बाद बॉल आउट कराया गया और इसमें धोनी का चतुर दिमाग देखने को मिला. पाकिस्तान ने जहां तेज गेंदबाजों को चुना तो वहीं धोनी ने इसके लिए स्पिनर्स की मदद ली. सहवाग और रॉबिन उथप्पा जैसे बल्लेबाजों ने स्टंप को हिट करके भारत को मुकाबला जिताया था. आइए जानते हैं कैसे युवा खिलाड़ियों ने भारत को चैंपियन बनाया.
धोनी का चतुर दिमाग
धोनी ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान अपने चतुर दिमाग का इस्तेमाल किया और कई चौंकाने वाले फैसले लिए. अनुभवी दिनेश कार्तिक का जगह 18 साल के रोहित शर्मा को मौका देना भी रोहित का मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ था. अजीत अगरकर जैसे सीनियर गेंदबाज के होते हुए धोनी ने अहम मैचों में श्रीसंत और जोगिंदर शर्मा पर भरोसा जताया. फाइनल मैच में आखिरी ओवर जोगिंदर से कराना भी धोनी के सबसे बड़े सफल प्रयोगों में से एक रहा.
युवराज ने झोंकी पूरी ताकत
युवराज सिंह ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान गजब का खेल दिखाया था. इंग्लैंड के खिलाफ स्टुअर्ट ब्रॉड के खिलाफ छह गेंदों में लगातार छह छक्के मारकर युवराज ने अपने इरादे साफ कर दिए थे. सेमीफाइनल में भारत का सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ था. उस दौर में ऑस्ट्रेलिया को हराना काफी कठिन होता था, लेकिन युवराज जिस लय में उसमें उनके लिए कुछ भी कठिन नहीं था. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफऱ 30 गेंदों में 70 रनों की पारी खेलकर युवराज ने भारत को फाइनल में पहुंचाया था.
सभी खिलाड़ियों ने दिए अहम योगदान
पूरे टूर्नामेंट के दौरान भारतीय टीम एकजुट होकर खेली और सभी खिलाड़ियों ने अहम योगदान दिए. सहवाग हों या गंभीर या फिर इरफान पठान, हर किसी ने अहम मौकों पर टीम को संभालने का काम किया था. आरपी सिंह और इरफान पठान ने गेंदबाजी में टीम को पूरे टूर्नामेंट में संभालकर रखा था. युवा रोहित ने फाइनल मैच में बेहद अहम पारी खेली थी और भारत को अच्छे स्कोर तक पहुंचाया था.
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