BY: शिवेन्द्र कुमार सिंह, वरिष्ठ खेल पत्रकार


क्रिकेट के मैदान में कदम रखने वाले हर खिलाड़ी को समझाया जाता है कि टेस्ट क्रिकेट बड़े धैर्य और संयम का खेल है. यहां मैच भले ही पांच दिन का होता है लेकिन उसमें 15 सेशन होते हैं और उन 15 सेशंस में से जो टीम ज्यादा सेशन जीतती है वही टेस्ट मैच जीतती है.


सेंचुरियन में विराट कोहली के धुरंधर खिलाड़ी इसी बुनियादी सीख को भूल गए. नतीजा ये है कि चौथे दिन दक्षिण अफ्रीका एक बार फिर टेस्ट मैच पर अपनी पकड़ मजबूत करता दिख रहा है. इस टेस्ट मैच में हार का मतलब है सीरीज में हार. सीरीज में हार का मतलब है उस नई सोच और उन बयानों की हार जो विराट कोहली ने पिछले कुछ समय में दिए हैं.


केपटाउन की तरह ही सेंचुरियन में भी भारतीय टीम के पास पूरा मौका था कि वो मेजबान टीम को दबाव में ले और फिर जीत का कारनामा दिखाए. मुसीबत ये है कि खिलाड़ियों में अति आक्रामकता तो दिखी लेकिन जीत की भूख नहीं. आज सेंचुरियन में गेंदबाजों पर निगाहें हैं. दक्षिण अफ्रीका की बढ़त 118 रन हो चुकी है. भारतीय टीम की बल्लेबाजी की मौजूदा हालत और दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों में जीत की भूख देखकर लगता है कि 150 रनों के बाद एक-एक रन भारतीय टीम की हार को तय करेगा. इस टेस्ट मैच के इस हालत तक पहुंचने की जिम्मेदार वाकयों पर नजर डालते हैं.


हार्दिक पांड्या का रनआउट
हार्दिक पांड्या का रन आउट तो हर तरफ चर्चा में है. सोशल मीडिया में उनके आउट होने के तरीके को लेकर जबरदस्त हो हल्ला मचा हुआ है. सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज खिलाड़ी ने उनके आउट होने के तरीके पर आपत्ति दर्ज की है. हार्दिक पांड्या उस वक्त रन आउट हुए जब उनका पैर और बल्ला दोनों क्रीज में था, लेकिन हवा में. वो एक रन लेना चाहते थे, जिसे विराट कोहली ने मना कर दिया. हार्दिक पांड्या अपनी क्रीज में वापस नहीं आ पाए. पांड्या जब आउट हुए तब भारत का स्कोर 209 रन था. विराट कोहली क्रीज पर थे. बड़ा शानदार मौका था कि कप्तान के साथ तालमेल कर दक्षिण अफ्रीका के ऊपर कुछ रनों की बढ़त बनाई जाए. विराट हार्दिक के बड़े प्रशंसक हैं, लेकिन हार्दिक को अभी शायद वो परिपक्वता लानी होगी जिससे विराट की ‘गुडबुक्स’ में उनकी जगह बची रहे.







पुछल्ले खिलाड़ियों का समर्पण
भारत के पुछल्ले बल्लेबाजों ने जिस तरह का आत्मसमर्पण किया वो भी देखने लायक था. आर अश्विन जब आउट हुए तो भारत का स्कोर 280 रन था. विराट कोहली अब भी क्रीज पर थे. मोहम्मद शामी और ईशांत शर्मा बचे हुए थे. शामी और ईशांत दोनों को टेस्ट क्रिकेट का अच्छा खासा तजुर्बा है. दोनों को पता था कि अगर स्कोरबोर्ड में पचास रन और जुड़ गए तो दक्षिण अफ्रीका के स्कोर की बराबरी हो जाएगी. इसका मनोवैज्ञानिक लाभ भारत को मिलता लेकिन दोनों खिलाड़ी बेहद सस्ते में आउट हो गए. पिछले साल के घरेलू मैचों को छोड़ दिया जाए तो ये वही पुछल्ले बल्लेबाज हैं जिन्होंने 2016 में एक अलग ही जिम्मेदारी दिखाई थी. 2016 में न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज समेत कई ऐसे टेस्ट मैच थे जिसमें पुछल्ले बल्लेबाजों ने 100 से ज्यादा रन जोड़ दिए थे. 







फिर खलेगी रहाणे की कमी
दक्षिण अफ्रीका के पास फिलहाल 118 रन की बढ़त है. उसके 8 बल्लेबाज बाकी हैं. खतरनाक एबी डीविलियर्स क्रीज पर हैं. अपनी हाफ सेंचुरी बना चुके हैं. जाहिर है दक्षिण अफ्रीका की कोशिश होगी कि अभी कम से कम 200 रन और जोड़े जाएं और भारत को 300 रनों के आस पास का लक्ष्य दिया जाए. टेस्ट मैच का दूसरा पहलू ये है कि भारतीय टीम मैच में वापसी करने के लिए छटपटा रही होगी.


भारतीय गेंदबाज एक बार फिर दोगुने जोश के साथ प्रोटिएय बल्लेबाजों पर हमला करेंगे. उनकी कोशिश होगी कि दक्षिण अफ्रीका को जल्दी से जल्दी निपटाया जाए और छोटे लक्ष्य का पीछा करने के लिए उतरा जाए. भारतीय बल्लेबाजों ने पिछले टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका को दूसरी पारी में सिर्फ 130 रनों पर समेट भी दिया था. बावजूद इसके व्यवहारिक पक्ष ये है कि भारतीय टीम को 200-225 के आस पास का लक्ष्य तो मिलेगा ही, ऐसे में हो सकता है कि एक बार फिर आजिंक्य रहाणे की कमी खले.