धोनी से कप्तानी की बारीकियां सीख कर क्या कमाल करेंगे रोहित शर्मा?
आईपीएल का पूरा टूर्नामेंट ‘ब्रैंडिंग’ में माहिर है. आईपीएल शुरू होने से हफ्तों पहले तमाम टीवी चैनल्स पर आईपीएल के जो विज्ञापन चलते हैं वो क्रिकेट फैंस का जोश बढ़ाने में कामयाब रहे हैं.
आईपीएल का पूरा टूर्नामेंट ‘ब्रैंडिंग’ में माहिर है. आईपीएल शुरू होने से हफ्तों पहले तमाम टीवी चैनल्स पर आईपीएल के जो विज्ञापन चलते हैं वो क्रिकेट फैंस का जोश बढ़ाने में कामयाब रहे हैं. इस बार का थीम भी ‘बेस्ट बनाम बेस्ट’ है. चूंकि इस बार आईपीएल में कई बड़े खिलाड़ी इधर से उधर यानी एक टीम से दूसरी टीम में गए हैं इसलिए भी लोगों की दिलचस्पी है.
चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स की टीमें भी प्रतिबंध के बाद इस सीजन में लौट आई हैं. आईपीएल की प्रमोशन टीम धोनी को ‘कैश’ कराना जानती है. इसीलिए माही बनाम रोहित शर्मा का विज्ञापन कई दिनों से टीवी चैनल्स पर लगातार चल रहा है. ‘शर्मा जी का बेटा कहीं दो सौ ना कर दे’ की लाइन बच्चे बच्चे की जुबां पर है.
विज्ञापनों की दुनिया से अलग असल कहानी मैदान में शुरू होगी. जहां बतौर कप्तान धोनी और रोहित शर्मा दोनों खुद को एक से ज्यादा बार साबित कर चुके हैं. आपको याद दिला दें कि मुंबई इंडियंस की टीम आईपीएल में तीन बार खिताब पर कब्जा कर चुकी है. जबकि धोनी की कप्तानी में चेन्नई सुपरकिंग्स ने 2010 और 2011 में खिताब जीता था. इसके अलावा चेन्नई की टीम चार बार इस टूर्नामेंट की रनर-अप टीम रही है. जाहिर है 2018 में भी बतौर कप्तान धोनी और रोहित शर्मा में दिलचस्प मुकाबला होगा.
धोनी से रोहित शर्मा ने बहुत कुछ सीखा है
मौजूदा दौर में भारतीय टीम के लगभग सभी बड़े स्टार धोनी की ही देन हैं. धोनी की भूमिका किंगमेकर की रही है. रोहित शर्मा का वनडे करियर भले ही राहुल द्रविड़ की कप्तानी में शुरू हुआ था लेकिन टी-20 में वो धोनी की कप्तानी में ही अपना पहला मैच खेले थे. ये साल 2007 था. उस समय भारतीय क्रिकेट बहुत खराब समय से गुजर रहा था.
वेस्टइंडीज में खेले गए वर्ल्ड कप के पहले दौर से ही बाहर होने के बाद टीम इंडिया पर सवालों की बौछार की जा रही थी. ऐसे मुश्किल वक्त में धोनी ने टी-20 वर्ल्ड चैंपियन बनाया था. इसके बाद से ही भारतीय क्रिकेट की दशा-दिशा में सकारात्मकता आई थी. रोहित शर्मा इस पूरे घटनाक्रम के गवाह हैं. इसके अलावा भी रोहित शर्मा ने देखा है कि महेंद्र सिंह धोनी बतौर कप्तान किस परिपक्वता से स्थितियों का सामना करते हैं. वो हारने पर झुंझलाते नहीं ना जीतने पर इतराते हैं.
धोनी ने अपने इसी बर्ताव की बदौलत टी-20 वर्ल्ड कप के अलावा चैंपियंस ट्रॉफी और 2011 वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट्स जीते हैं. रोहित शर्मा ने उनसे यही बातें सीखी हैं. वो भी मैदान में संतुलित रहने की पूरी कोशिश करते हैं. धोनी की तरह ही वो भी टीम में बतौर कप्तान सर्कस के ‘रिंग मास्टर’ की बजाए ‘शीट-एंकर’ की भूमिका में रहते हैं. गेंदबाजी में सही समय पर बदलाव करना और ‘फील्ड-प्लेसमेंट’ को लेकर सतर्क रहना रोहित शर्मा की खूबी रही है. आईपीएल में उनकी कामयाबियां इसी बात को साबित करती हैं. खासतौर पर 2017 में जब मुंबई इंडियंस ने सिर्फ 129 रन का छोटा स्कोर बनाकर भी पुणे को 1 रन से हराया तो रोहित शर्मा की कप्तानी की बहुत तारीफ हुई थी. बल्ले से उनकी काबिलियत और आक्रामकता के बारे में कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है, वो तो विज्ञापन की एक लाइन ही साफ कर देती है कि ‘शर्मा जी का बेटा दो सौ ना कर दे’.
बतौर खिलाड़ी कैसे हैं धोनी और रोहित के रिकॉर्ड्स
कप्तानी से इतर इन दोनों खिलाड़ियों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड्स भी शानदार रहे हैं. धोनी ने अब तक आईपीएल में खेले गए 159 मैचों में 3561 रन बनाए हैं. उनका स्ट्राइक रेट 136 से ज्यादा का है. डेढ़ सौ से ज्यादा छक्के उनके नाम दर्ज हैं. ये दिलचस्प संयोग है कि रोहित शर्मा ने भी आईपीएल में अबतक ठीक 159 मैच खेले हैं. उनके खाते में 4207 रन हैं. उनकी स्ट्राइक रेट करीब 130 की है, यानी धोनी से कम है. उन्होंने 172 छक्के लगाए हैं. रोहित शर्मा के नाम आईपीएल में एक शतक भी दर्ज है. जाहिर है कि इस सीजन में इन दोनों खिलाड़ियों की कप्तानी के साथ साथ बल्ले के वार से इनकी टीमों का भविष्य तय होगा.